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Mar 24, 2018

साथी थी गौरैया

साथी थी गौरैया
 - रश्मि शर्मा

कभी आँगन में फ़ुदकती
कभी
खाट के पायों पर आकर
बैठती थी गौरैया

धान के बोरे में चोंच घुसाने को
दरवाजे की फाँक से अन्दर
फुदककर
अक्सर आ जाती थी गौरैया
नहीं डरती थी वो कारा भी
बिल्कुल पास चली आती थी
इधर-उधर बिखरे दानों को चुग
चीं-चीं कर उड़ जाती थी गौरैया

छत पर सूखने को माँ रखती थी
भर-भर सूप चावल
छतरी की तरह ढाँपकर
ढेरों चावल खा जाती थी गौरैया

जब कभी बरखा में भीग
आती थीदेखकर भी मुझको
बड़े आराम फडफ़ड़ाकर पंख
ख़ुद को सुखाती थी गौरैया

हाँमेरे बचपन की
साथी थी गौरैया
कभी मेरे घर आँगन में
खूब आती थी गौरैया

सम्पर्क: द्वारा- रमा नर्सिंग होममेन रोडराँचीझारखंड -834001

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