उदंती से जुड़े प्रकाशन मंडल के सभी सदस्यों को नववर्ष की बधाई, रमन सरकार के दोबारा आने का सबसे बड़ा कारण मेरे विचार से शिक्षाकर्मियों की ईमानदारी से की गई भर्ती है, साथ ही उनको दिया जाने वाला वेतनमान भी स्वागत योग्य कदम है,बेरोजगारों को रोजगार देने वाली सरकार ही सत्ता पाने की हकदार होगी, यह संदेश जनता ने दे दिया है, जोगी जी जैसे प्रतिभाशाली प्रशासक ने मुख्यमंत्री रहकर रोजगार जैसे संवेदनशील मुददे को गंभीरता से न लेकर गलती की और पद से बाहर हो गए...
- अजय साहू, शिलांग, मेघालय से
भीड़ से अलग
दिसम्बर 08 अंक देखने को मिला। ऐसी आकर्षक और सारगर्भित पत्रिका देखकर भला किसका मन प्रसन्न न होगा? इसे यह आकार देकर, आप संपादित कर रही हैं यह भी मेरी खुशी को और अधिक बढ़ाने के लिए पर्याप्त है। आपकी कला-दृष्टि और सूझबूझ इस पत्रिका को भीड़ से अलग करती है।
- कवि मुकुन्द कौशल, पद्मनाभपुर, दुर्ग (छ.ग.)
कमी को पूरा करने का प्रयास
उदंती जैसी सुरुचि सम्पन्न पत्रिका कस्बाई शहरों में नहीं मिलती है। कभी-कभार महानगरों में उदंती मिल जाती है। देर सबेर ही पढऩे को मिलता है। पत्रिका में शामिल विभिन्न विषयों को देखकर पता चलता है कि आपने धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान जैसी अच्छी पत्रिकाओं की कमी को पूरा करने का प्रयास किया है। बधाई।
- रामजन्म मिश्र, सकरुगढ़ साहिबगंज, झारखंड
शुचिता, सत्यता, सभ्यता की बातें
उदंती का अंक पढ़ा। आपको बधाई। चेतना की अभिव्यक्ति का एक हिस्सा बन रही उदंती को मेरा असीम प्रेम, आज शुचिता, सत्यता और सभ्यता की बातें कहने वाले उचित माध्यम तक नहीं पहुंच पाते। उम्मीद है उदंती वह माध्यम बनेगी...।
- विकल्प ब्यौहार, रायपुर से
सुनीता के बेहतरीन चित्र
जनवरी का उदंती अंक प्राप्त हुआ। विविधतापूर्ण रचनाओं से समृध्द यह पत्रिका बहुत अच्छी लगी। गोविंद मिश्र की 'सतपुड़ा' पर यात्रा कथा सचमुच में ऊष्मा से भर गई। मधु अरोड़ा की बातचीत में महेश भट्ट की साफगोई के साथ अन्य रचनाएं भी अच्छी लगीं। सुनीता वर्मा के चित्र ने पत्रिका की सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं। मेरी गज़़लों की ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। इतनी सुंदर पत्रिका पाठकों तक पहुंचाने के लिए उदंती परिवार को बधाई।
-देवमणि पाण्डेय, मुम्बई
सतपुड़ा... लंबा पर रोचक
सतपुड़ा यात्रा वृत्तांत लंबा पर रोचक लगा, चित्र भी सुंदर लगे। पहला चित्र संभवत गलत लग गया है यह भीमबेटका का है। आभार।
- पी.एन. सुब्रमण्यिम, पल्लीकारा (त्रिशुर), केरल
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