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Mar 1, 2022

उदंती.com, मार्च- 2022

वर्ष-14, अंक-7

रँग गई पग-पग धन्य धरा, 
हुई जग जगमग मनोहरा। 
-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

अनकहीः  उन्नति की दिशा में बढ़ते स्त्री के कदम - डॉ. रत्ना वर्मा

 पर्व-संस्कृतिः बस्तर की फागुन मड़ई  - रविन्द्र गिन्नौरे

 पर्व-संस्कृतिः कहाँ गई वो गाँव की होली - कमला निखुर्पा

कविताः मुखड़ा हुआ अबीर - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 महिला दिवसः या देवि...  - डॉ. सुशीला ओझा

 महिला दिवसः  अरी ओ नारी - डॉ. शिप्रा मिश्रा

दो कविताएँः 1. स्त्री समुद्र है, 2. स्त्री व पानी - डॉ. कविता भट्ट

 व्यंग्यः ऑनलाइन कार्यक्रम के लिए ऑफलाइन हिदायतें - जवाहर चौधरी

ग़ज़लः होली में - विनित मोहन ‘फिक्र सागरी’

ताँकाः राधा अधीर कान्हा की बाँसुरी पे - कृष्णा वर्मा

नवगीतः कैसे कहूँ - शशि पाधा

ग़ज़लः रंग- बिरंगा फाग - निधि भार्गव मानवी

हास्य व्यंग्यः महिला दिवस पर गंभीर विमर्श - लिली मित्रा

कविताः पहाड़ यात्रा - मधु बी. जोशी

कहानीः लुका-छुपी  - भारती बब्बर 

दोहेः फिर खिल उठा पलाश - डॉ. सुरंगमा यादव

सोनेटः मौन उद्गार - अनिमा दास

कविताः उस दिन कहना - शशि बंसल गोयल

कविताः मौसम है रंगीन सुहाना - प्रो. (डॉ.) रवीन्द्र नाथ ओझा

कविताः माह फागुनी - आशा पाण्डेय

कविताः देहरी से आँगन तक की यात्रा - नंदा पाण्डेय

कविताः एक चुटकी अबीर - सीमा सिघल ‘सदा

कविताः छेड़ो कोई तान - शशि पुरवार

कविताः होली की यादें - डॉ. निशा महाराणा

कविताः बेटी एकः रूप अनेक - चक्रधर शुक्ल

कविताः मुझे बंदिशों में रहना पसंद है - दिव्या शर्मा

प्रेरकः जंगली फूल  - निशांत

लघुकथाः कम्बल - डॉ. रंजना जायसवाल

दो लघुकथाएँ : 1. बुक शेल्फ, 2. परमात्मा वाली नजर - ऋता शेखर मधु

किताबेंः  छंद साधना की अनुपम कृति - डॉ. शिवजी श्रीवास्तव

आधुनिक बोध कथाएँ - 3  राजनीति के फ्यूचर्स  - सूरज प्रकाश

जीवन दर्शनः खुशी अंतस की अवस्था - विजय जोशी



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