बहुत पुरानी बात है। किसी राज्य में लोग लाल फूल वाले एक पेड़ की बात किया करते थे; लेकिन किसी ने भी कभी उस पेड़ को नहीं देखा था। उस राज्य में चार राजकुमार भाई थे। उन सभी ने उस पेड़ को ढूँढ निकालने का निश्चय किया। प्रत्येक राजकुमार चाहता था कि सबसे पहले पेड़ को वही ढूँढ निकाले।
सबसे बड़े राजकुमार ने अपने रथ के सारथी से कहा कि वह रथ को गहरे घने जंगल में ले चले, जहाँ उस पेड़ के मिलने की उसे उम्मीद थी। वह पतझड़ का मौसम था। बहुत प्रयास करने के बाद वह एक अनजान से दिखनेवाले पेड़ के पास पहुँचा। उस पेड़ पर एक भी पत्ता या फूल नहीं था। पेड़ बिलकुल मनहूस झाड़ जैसा लग रहा था। राजकुमार यह नहीं समझ पाया कि लोग उसे लाल फूल वाला पेड़ क्यों कहते हैं। वह चुपचाप वापस आ गया।
वसंत के मौसम में दूसरा राजकुमार उस पेड़ को ढूँढने में सफल हो गया। उस समय वह अद्वितीय लाल फूलों से लदा हुआ था।
गर्मी के मौसम में तीसरा राजकुमार उस पेड़ तक पहुँच गया। तब तक पेड़ के सारे फूल झड़ चुके थे और वह दूसरे पेड़ों की ही तरह साधारण पेड़ लग रहा था। तीसरा राजकुमार भी मन मसोसकर वापस आ गया।
वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद चौथा और सबसे छोटा राजकुमार जंगल में गया और उसने भी लाल फूल वाले पेड़ को ढूँढ निकाला। पेड़ पर बहुत छोटी-छोटी कलियाँ लगने लगी थीं।
महल वापस आने पर वह ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था। “मैंने लाल फूल वाला पेड़ खोज लिया! मैंने लाल फूल वाला पेड़ खोज लिया!” – यह चिल्लाता हुआ वह महल में उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ उसके अन्य भाई खेल रहे थे।
“मैंने भी उस पेड़ को ढूँढ निकला” – बड़े राजकुमार ने कहा – “उसमें पेड़ जैसा कुछ नहीं है। वह सर्वथा नग्न और निर्जीव प्रतीत होता है।”
“ऐसा कैसे हो सकता है!?” – दूसरा राजकुमार बोल उठा – “उस पेड़ पर तो सबसे सुन्दर और अनूठे लाल फूल लगते हैं! इसीलिए तो उसे लाल फूल वाला पेड़ कहा जाता है!”
तीसरा राजकुमार बोला – “कैसे लाल फूल!? उसमें कोई फूल नहीं लगते। वह अन्य पेड़ों की भाँति एक साधारण पेड़ ही है। लाल फूल वाला पेड़ संभवतः होता ही नहीं है।”
उन सबकी बातें सुनकर चौथा और सबसे छोटा राजकुमार बोला – “मैंने तो उस पेड़ को अपनी आँखों से देखा है! वह निर्जीव पेड़ नहीं है। उसमें सिर्फ कलियाँ या पत्ते भी नहीं लगते। उसमें केवल सुन्दर लाल फूल ही लगते हैं।”
पास खड़े राजा ने उन सबकी बहस सुनी और उनको चुप कराया। फिर राजा ने कहा – “बच्चों, तुम सबने एक ही पेड़ को देखा है, लेकिन सबने वर्ष के अलग-अलग मौसम में उसे देखा है।” ( हिन्दी ज़ेन)
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