- श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
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गीत सुनाते पंछी प्यारे,
भौंरे गाएँ गाना ।
मोर नाचता पंख पसारे,
देखो दृश्य सुहाना ।
फूल खिले हैं रंग-बिरंगे,
जो सुगंध फैलाते ।
मधु पराग के लोभी भौंरे,
हैं उन पर मँडराते ।
आम बौर की भीनी-भीनी,
खुशबू सबको भाती ।
और डाल पर काली कोयल,
गीत सुरीले गाती ।
मेरा भी यह मन करता है,
मैं भी झूमूँ गाऊँ ।
कोयल से स्वर और मोर से,
सम्पर्कः व्याख्याता- हिन्दी, अशोक उ.मा. विद्यालय, लहार, भिण्ड, (म०प्र०)
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उम्दा
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