स्वच्छता का एक नकारत्मक पहलू भी हो सकता है।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सफाई के लिए सुगंधित उत्पादों का
उपयोग करने से लगभग उतने ही वायुवाहित सूक्ष्म कणों का उत्पादन होता है जितना शहर
की एक व्यस्त सड़क पर होता है। और इन छोटे कणों के निरंतर संपर्क में रहने से
सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
कभी-कभी घरों, स्कूलों
और कार्यालयों के अंदर का वातावरण बाहर के वातावरण से भी अधिक प्रदूषित हो सकता
है। मोमबत्ती, धूप, सिगरेट जलाना
स्थिति को और गंभीर बना सकते हैं। गैस स्टोव और खाना पकाने से भी हवा में हानिकारक
कण उत्सर्जित होते हैं जो दमा और अन्य समस्याओं को जन्म देते हैं।
इसके अतिरिक्त, साफ-सफाई
में उपयोग होने वाले उत्पादों से भी प्रदूषण होता है जिनमें उपस्थित वाष्पशील
कार्बनिक यौगिक हवा में उपस्थित ओज़ोन के साथ क्रिया करते हैं और एयरोसोल में
परिवर्तित हो जाते हैं। इन उत्पादों में मौजूद लिमोनीन तथा अन्य मोनोटरपीन इमारतों
में उपस्थित ओज़ोन से अभिक्रिया कर परॉक्साइड, अल्कोहल और
अन्य कणों में परिवर्तित होते हैं। ये कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर दमा जैसी
समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। कुछ लोगों में ये कण दिल के दौरे और स्ट्रोक का
कारण बन सकते हैं।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एक छोटे कमरे (50
क्यूबिक मीटर) का उपयोग किया। सुबह टरपीन आधारित क्लीनर से फर्श को 12-14 मिनट तक
साफ किया गया। इसके बाद अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से अगले 90 मिनट तक कमरे में
अणुओं और कणों की निगरानी की गई।
एकत्र डैटा के आधार पर शोधकर्ताओं ने यह गणना की
कि पोंछा लगाने वाला व्यक्ति आधे माइक्रॉन से छोटे कितने कण सांस में लेगा।
एडवांसेस साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति के शरीर में सांस के
साथ प्रति मिनट एक अरब से 10 अरब नैनोपार्टिकल्स प्रवेश करेंगे। यह किसी व्यस्त
सड़क के बराबर है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने हाइड्रॉक्सिल और
हाइड्रोपेरॉक्सिल जैसे रेडिकल्स (अल्पकालिक अणुओं) का भी पता लगाया जो आम तौर पर
बाहरी (आउटडोर) वातावरण के कणों में पाए जाते हैं। ऐसे अणु कमरे के भीतर भी पाए गए
जो मोनोटरपीन्स और ओज़ोन की क्रियाओं से उत्पन्न होते हैं।
तो क्या किया जाए? पर्याप्त
वेंटिलेशन एक अच्छा उपाय है लेकिन यह बाहर से खतरनाक ओज़ोन को भी अंदर आने का
रास्ता देता है। इसके लिए एक्टिवेटिड कार्बन फिल्टर का उपयोग किया जा सकता है।
ओज़ोन स्तर को सीमित रखना भी एक उपाय हो सकता है। सफाई का काम सुबह-शाम करना उचित होगा क्योंकि इस समय वातावरण में ओज़ोन का स्तर काफी कम होता है। लिमोनीन और अन्य प्रकार के टरपीन आधारित उत्पादों के उपयोग को भी खत्म करना चाहिए। इसके अलावा, सफाई के कुछ घंटों बाद इन छोटे कणों का आकार बड़ा हो जाता है और वे भारी होकर नीचे बैठ जाते हैं। तब ये हानिरहित हो जाते हैं। (स्रोत फीचर्स)
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