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May 2, 2025

कविताः गुमशुदा

 - सुरजीत [ कैनेडा ]

बहुत सरल लगता था कभी

चुम्बकीय मुस्कराहट से

मौसमों में रंग भर लेना

सहज ही

पलटकर

इठलाती हवा का

हाथ थाम लेना

गुनगुने शब्दों का

जादू बिखेर

उठते तूफानों को

रोक लेना

और बड़ा सरल लगता था

ज़िन्दगी के पास बैठ

छोटी-छोटी बातें करना

कहकहे मार हँसना

शिकायतें करना

रूठना और

मान जाना...

बड़ा मुश्किल लगता है

अब

फलसफों के द्वंद्व में से

ज़िन्दगी के अर्थों को खोजना

पता नहीं क्यों

बड़ा मुश्किल लगता है...

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