आए क्या ऋतुराज
- डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
कैसी आहट -सी हुई, आए
क्या ऋतुराज ?
मौसम तेरा आजकल, बदला
लगे मिजाज।।1
अमराई बौरा गई , बहकी
बहे बयार ।
सरसों फूली- सी फिरे, ज्यों
नखरीली नार ।। 2
तितली अभिनन्दन करे, मधुप गा
रहे गान।
सजी क्यारियाँ धारकर, फूल-कढ़े परिधान ।। 3
मोहक रंग अनंग के, धरा खेलती
फाग ।
खिलते फूल पलाश के, ज्यों
वन दहके आग ।। 4
टेसू , महुआ, फागुनी, बिखरे
रंग हजार ।
धरा-वधू भी
खिल उठी, कर
सोलह सिंगार ।। 5
फागुन ने मस्ती भरी, कण-कण
में उन्माद ।
विरहिन का जियरा करे, अब
किससे फ़रियाद।।
6
देखी पीड़ा हीर की, रांझे
का संताप ।
धीरे-धीरे बढ़ गया, दिन
के मन का ताप ।। 7
आम, नीम
सब मौन हैं, गुम सावन के गीत ।
खुशियों की पींगें नहीं, बिसर
गया संगीत ।। 8
तीखे तेवर धूप के, उगल
रहा रवि आग ।
चादर हरी सहेज ले, उठ
मानव! अब जाग ।। 9
जब से अपने मूल का, छोड़
दिया है साथ ।
पर्णहीन तरु सूखता, रहा
न कुछ भी हाथ ।। 10
धरती डगमग डोलती, कहती
है कुछ बात ।
धानी चूनर छीन कर, मत
करना आघात ।। 11
देखा दर्द किसान का, विवश
धरा ग़मगीन ।
नहीं नयन में नीर है, नभ
संवेदनहीन ।। 12
धुला-धुला आकाश है, सुरभित
मंद समीर ।
सुभग, सुहानी
शारदी, हरती मन की पीर ।। 13
झीनी चादर धुंध की, सिहरा
सूरज भूप।
सिमटी,ठिठुरी
झाँकती,यह सर्दी की धूप ।। 14
माटी महके बूँद से, मन
महके मृदु बोल ।
खिडक़ी एक उजास की, खोल
सके तो खोल ।। 15
मेरी ख़ुशियों में मिले, उनको
ख़ुशी अपार।
ख़ुशियाँ उनकी माँगती, मैं
भी सौ-सौ बार ।। 16
मन की माटी पर लिखा, जब
से उनका नाम।
खुशियों की कलियाँ खिलीं, महकी
सुबहो-शाम।। 17
फूलों -बसी सुगंध ज्यों,वीणा
में झंकार।
दिल में धडक़न-सा रहे, सदा
तुम्हारा प्यार ।। 18
तेरा जब से है मिला,
नेह-भरा सन्देश।
आँखों से छलकी खुशी, धर
मोती का वेश ।। 19
पुरवा में पन्ने उड़े, पलटी
याद -किताब ।
कितना मन महका गया, सूखा
एक गुलाब ।। 20
दर्द,महफिलें
याद कीं, खुशियों के अरमान ।
मुट्ठी भर औक़ात है, पर
कितना सामान ।। 21
सह जाएँगे साथिया, पत्थर
बार हज़ार ।
बहुत कठिन सहना मगर, कटुक
वचन के वार ।। 22
नयन दिखे नाराज-से, हुई
नयन से बात
पिघल गया मन मेघ-सा, खूब
हुई बरसात ।। 23
तीखे,कड़वे
बोल का, गहरा था आघात ।
मरहम-सा सुख दे गई, तेरी
मीठी बात ।। 24
सम्पर्कः एच-604
, प्रमुख हिल्स, छरवडा
रोड, वापी-396191,
ज़िला- वलसाड (गुजरात),
ई मेल- Jyotsna.asharma@yahoo.co.in
2 comments:
सुन्दर सरस दोहे !
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हार्दिक बधाई आपको
पुरवा में पन्ने उड़े, पलटी याद -किताब ।
कितना मन महका गया, सूखा एक गुलाब ।।
Post a Comment