सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
- देवमणि पाण्डेय
नाच रही हैं छत पर बूँदें, पुरवा ने दी ताल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
मेढ़क मिलकर बिरहा गाते कोयल कजरी गाए
दुबकके बैठी है गोरैया कौवा शोर मचाए
दादी को लगती है बारिश अब जी का जंजाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में, सूनी है चौपाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
खेतों में घुटनों तक पानी उफन रहे हैं नाले
दलदल में फँस गया ट्रैक्टर बाहर कौन निकाले
बाँध के रस्सी खींच रहे हैं बैल हुए बेहाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
महँगू की गिर गई मड़ैया टूटके बरसा पानी
घर में बैठी सोच रही है रामधनी की नानी
कहाँ पड़ेगा झूला कट गई पीपल की वो डाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
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