जीवन का कोई भी पहलू हो हम हर पल निर्णायक की भूमिका में होते
हैं और हमारे निर्णय ही हमारी नियति तय करते हैं। जहाँ एक ओर अच्छे निर्णय का
समापन सुखद होता है, वहीं बुरे निर्णय का दुःखद। अत: यह आवश्यक है कि परिस्थिति कैसी भी हो
हमारा निर्णय उचित, सामयिक एवं स्पष्ट होना चाहिये एवं इसके
लिए आवश्यक है मानस का संतुलन तथा स्थिरता। कई बार कठिन परिस्थिति हमें गलत निर्णय
कि दिशा की ओर मोड़ते हुए विफलता के मार्ग पर धकेल देती है।
अपने कार्य में निपुण एक कुम्हार अपने कर्तव्य के प्रति पूरी
तरह समर्पित था। वह जो भी कार्य करता ग्राहक उसकी भरपूर सराहना करते थे। अपनी
कार्य कुशलता के परिप्रेक्ष्य में उसकी समाज में प्रतिष्ठा भी गरिमापूर्ण थी। एक
दिन जब वह सुबह- सुबह अपने कार्य की ओर अग्रसर हुआ तो लोगों के क्षणिक आनंद को
ध्यान में रखते हुए उसने सनी मिट्टी को सुंदर चिलम का आकार प्रदान किया और उसी एक
पल में न जाने ऐसा क्या हुआ कि उसने अपनी गरिमापूर्ण बनी बनाई चिलम को बिगाड़ दिया।
माटी ने पूछा – भाई
कुम्हार ऐसा क्या हुआ कि इतनी मेहनत और प्रेम से बनाई सुघड़ चिलम को खुद तुमने तोड़
दिया। क्या कारण था इसका ?
कुम्हार ने आत्म
स्वीकृति कि मुद्रा में कहा - हाँ मैं चिलम बनाने की सोच रहा था, किन्तु मेरी मति बदल
गई। इसलिये अब मैं तुम्हें सुराही का आकार दूँगा।
यह सुनकर प्रफुल्लित
होकर माटी बोल उठी – अरे कुम्हार मुझे खुशी है कि तुम्हारी मति सही समय पर बदल गई।
तुम्हारे सत्कार्य से मेरी तो ज़िंदगी ही बदल गई। यदि चिलम बनती तो न केवल खुद जलती
; अपितु दूसरों को भी
जलाती। पर अब सुराही बनते ही न केवल खुद शीतल रहूँगी; बल्कि
दूसरों की प्यास बुझाते हुए उन्हें भी शीतल रखूँगी।
बात का सारांश मात्र
इतना है कि हमारा सही समय पर लिया गया फैसला न केवल हमारे सुख का प्रयोजन बनाता है
अपितु दूसरों के लिए भी लाभकारी होता है, अत: यह अत्यावश्यक है कि जीवन में पल एवं परिस्थिति कैसी भी हो, हम ठंडे दिल व दिमाग से सही फैसला करें। यही तो महात्मा गांधी ने भी कहा है
कि कठिन परिस्थिति में निर्णय पर पहुँचने के लिए सबसे पहले एक पल के लिए केवल यह
सोचा जाए कि हम जो निर्णय करने जा रहे हैं, उसका समाज के
अंतिम छोर पर खड़े आदमी पर क्या प्रभाव होगा। लाभकारी या हानिकारक। और तब उसी पल
में हमें उत्तर अपनी अंतरात्मा से तुरंत प्राप्त हो जाएगा। बगैर किसी दुविधा के हम
सही निर्णय लेते हुए समाधान पर अपने आप अग्रसर हो जाएँगे।
सम्पर्क: 8/सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail-
v.joshi415@gmail.com
39 comments:
अत्यंत सुन्दर विचारपूर्ण आलेख 🌹🙏सर अति प्रेरणाप्रद आलेख 🌹🙏
हार्दिक आभार अनिमा जी, सादर
बहुत खूबसूरत आलोक। प्रशंशनीय अंकन समय पर फैसला लेना।
धन्यावाद सरजी
बहुत ही अच्छी बात लिखी सर आपने 💐💐 उचित समय पर लिया उचित निर्णय सफलता की गारंटी होती है 🙏🏼🙏🏼
बहुत सुन्दर प्रेरणादायी लेख सर 🖕👏🌷
सम सामायिक सन्दर्भ में उचित मार्गदर्शन प्रिय जोशी जी की खूबी है। negativity से positivity की ओर बढने की प्रेरणा। साधुवाद
बहुत प्रेरक प्रसंग सर। ईश्वर उन सभी लोगों को सद्बुद्धि दें जो अपने तनिक लाभ के लिये समाज में ज़हर भी बेचने तैयार हो जाते हैं। काश इस कुम्हार की तरह उन सभी को सही निर्णय लेने की बुद्धि और हिम्मत हो।
निशीथ खरे
पिताश्री आप ने बहुत ही सरल और स्पष्ट उदाहरण देकर निर्णय उचित है या नहीं के बारे में बताया. सादर प्रणाम पिताश्री
प्रेरणादायक लेख.. सर,
सही समय पर लिया गया फैसला न केवल हमारे सुख का प्रयोजन बनाता है अपितु दूसरों के लिए भी लाभकारी होता है.
बहुत ही प्रेरणादायक लेख। जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब हम चिलम बनाने का निर्णय ले लेते हैं और शायद उसी समय परमपिता की कृपा से हमारे अंतर्मन में एक आवाज उठती है और उस चिलम को सुराही में बदलने के लिए अग्रसर हो जाते हैं। वास्तव में चिलम और सुराही केवल दो वस्तुएं नहीं है बल्कि जीवन के दो छोर हैं। हमें चयन करना होता है कि हमें किस छोर पर बैठना है। प्रतिष्ठा, सफलता और सन्मार्ग के पथ पर या इसके विपरीत मार्ग पर।
सही समय पर सही निर्णय ना सिर्फ स्वयं के जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि परिवार समाज और देश के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
एक बहुत ही सुंदर बौद्धिक लेख के लिए ह्रदय से धन्यवाद सर।
प्रिय महेश,
अब गूगल ने आपको स्थायी रूप से save कर लिया है भविष्य के लिये। हार्दिक आभार। सस्नेह
प्रिय महेश,
अब गूगल ने आपको स्थायी रूप से save कर लिया है भविष्य के लिये। हार्दिक आभार। सस्नेह
प्रिय हेमंत,
आप स्नेह के धनी हैं। हार्दिक आभार। सस्नेह
प्रिय भाई निशीथ,
सही समय पर सही निर्णय ही एकमात्र समाधान है। पसंदगी हेतु हार्दिक आभार। सादर
प्रिय बालसखा,
त्वरित प्रतिक्रिया सुख दे गई। सादर आभार सहित
आदरणीय गुप्ताजी,
आप तो बहुत ही विद्वान हैं और आपका योगदान नई ऊर्जा और प्रेरणा दोनों लेकर आता है। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है आपका सोच एवं वाणी। आभार बहुत छोटा शब्द है, आपके सृजन को प्रणाम। सादर
प्रिय रजनीकांत, आभार दिल से दिल तक। सस्नेह
हार्दिक आभार मित्र
आदरणीय आनंदा जी,
आप तो बहुत ही भले और नेक हैं। स्वआचरण से भोपाल में सबकी चाहत के प्रतिमान। सो हार्दिक आभार। सादर
प्रिय बंधु,
कितना सार्थक संदेश है आपके सोच में। दो छोर। अद्भुत बात। अंतर्मन सदा सही ही कहता है, पर कई बार हम अनसुनी कर देते हैं। आपका नाम जानने की प्रबल इच्छा है। हार्दिक आभार। सादर
काश आजकल लोगों के पास दूसरों के बारे में इतना समय होता। आजकल हरकोई जल्दी में है जैसे कि फ्लाइट छूटने वाली हो। अच्छा शिक्षा प्रद आलेख।
आदरणीय,
इस मंच पर आपकी सदैव से अनुकंपा रही है। सो हार्दिक हार्दिक आभार सहित सादर
बहुत ही अच्छा उदाहरण से समझाया है सिर्फ़ निर्णय लेना ही आवश्यक नहीं सही समय सही निर्णय अति आवश्यक है
किशोर भाई, हार्दिक आभार।आप तो बहुत योग्य हैं। सादर
Absolutely right, a right decision in time has a long range effect. Very well written. S N Roy
Inspiring article... It's in your moments of decision that your destiny is shaped ☺️🙏
Dear Sorabh, That's absolutely correct.
Thanks very much sir. Decision making at a right moment is key to success. Kind regards
Sir, बहुत ही सुंदर
हार्दिक आभार. सादर
I wish the Bollywood heroes who take crores for surrogate advertising, listened to their conscience and took decisions as the Potter did in this article.
Vandana Vohra
Yes Vandana, You are absolutely correct. Thanks very much. With Regards
धन्यवाद सरजी
सारगर्भित लेख और माटी कुम्हार की कथा पढ कर मानस की चौपाई याद आ गई "सुमति कुमति सब के उर रहई" और "जहा सुमति तहा सम्पति नाना, जहा कुमति तहा विपत्ति निधाना "।
राजेश भाई,
सही कहा आपने। सुमति से ही सद्गति। हार्दिक आभार। सादर
विपरीत परिस्थिति मनुष्य के लिए परीक्षा की घड़ी होती है।उस समय कुछ देर ठहरकर चिंतन कर स्वहित व समाजहित को दृष्टिगत रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए ।इसके लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है।आलेख द्वारा आपने सुन्दर संदेश दिया।
आदरणीय,
सही कहा आपने। सार असार के फर्क परखने की काबिलियत ही तो सार्थक जीवन का सूत्र है। हार्दिक आभार। सादर
प्रिय शरद,
बहुत ही सुंदर बात कही। संसर्ग जा दोष गुणा भवन्ति। Person is known by the company he keeps. सत्संग का सुख अपार है, वरना सब निस्सार है। सदा की तरह प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढ़ाया। सो हार्दिक धन्यवाद। सस्नेह
बहुत ही सुंदर उदाहरण काश ऐसा हम सब सोच कर क्रियान्वयन कर सकें
Post a Comment