क्यों कभी-कभी
कुछ शब्द ही
साँसों को बाँध
लयबद्ध कर देते है.....
क्यों कभी-कभी
कुछ स्पर्श जीने के
मायने बदल देते है.....
क्यों कभी-कभी कुछ स्मृतियाँ
जीने की वज़ह बन जाती है.....
यह सिर्फ-
एहसासों से जुड़ी बातें है
जो कभी असल में जुड़कर
या कभी अदृश्य साथी बन
साथ-साथ चला करती है...
टूटते है जब भी
मन से जुड़े तार
तब यही शब्द स्मृतियाँ बनकर
स्पर्श हमें करते है....
तभी तो
शब्द, स्मृतियाँ और
स्पर्श
अक्सर एहसास बनकर
न दिखकर भी
आस-पास महसूस हुआ करते है...
सम्पर्कः
58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर
-342001,
मो. 09460248348, 07425834878
2 comments:
बहुत शुक्रिया रत्ना जी🙏
बहुत बढ़िया जी
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