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Jan 15, 2020

षोडश शृंगार


षोडश शृंगार

- शशि पाधा     

नील गगन पर बिखरी धूप,
किरणें बाँधें वन्दनवार
कुसुमितशोभित आँगन बगिया
चन्दन सुरभित चले बयार
नवल वर्ष के अभिनन्दन में
नीड़-नीड़ गुंजित  गुंजार।

दूर देश से पाहुन आया
चकित-मुदित-सी आन मिलूँ
अक्षत-चन्दन भाल सँवारे
देहरी पे बन ज्योत जलूँ
अंजली में ले पुष्पित लड़ियाँ
स्वागत में आ खड़ी द्वार।

भोर किरण से लाया चुनरी
ओस कणों से मुक्तक हार
जवा कुसुम के कर्णफूल औ
बदली से कजरे की धार
खुली पिटारीलाँघे देहरी
अंग-अंग छा गई बहार।

धरती का षोडश शृंगार
नवल वर्ष लाया उपहार!

            २. समय सारिणी                
देहरी द्वारे रंग बदलना
जीने के सब ढंग बदलना
बदलोगे जब दीवारों पे
टँगी पुरानी समय सारिणी।

नव पृष्ठों पर लिखना तब तुम
नई उमंगेनव अनुबंध
खाली तिथियों में भर देना
स्नेहप्रेमसुहास आनन्द

संकल्पों के शंखनाद में
गूँजेगी नव राग-रागिनी।

 मन मंथन कर जरा सोचना
कैसे  मिट सकती है लाचारी
झोली भर विश्वास बाँटना
मिटे भूखशोषण बेकारी

अँधियारों में भी पंथ आलोकित
करेगी नभ की ज्योत दामिनी।

गाँठ बाँध तू संग ही रखना
बीते कल की सीख सयानी
सुलझा देगी मन की उलझन
पुरखों की अनमोल निशानी

पग पग अंगुली थाम चलेगी
भावी सुख की भाग्य वाहिनी ।

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