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Mar 10, 2017

नारी का संसार लिखा

 नारी का संसार लिखा 
-डॉ. पूर्णिमा राय

स्वप्न सलोने मन में लेकर, दिलबर तेरा प्यार लिखा।
यौवन तेरे नाम किया है, तन-मन का शृंगार लिखा।।

साँसे आती-जाती कहती, इक पल दूर न जाना अब;
मिला सुकूँ इस रुह को तब हीजब तेरा अधिकार लिखा।।

मन की बस्ती सूनी-सूनी, रंग प्यार के सदा भरो;
हमने प्रेम भाव से इतना, मनभावन संसार लिखा।।

अरमानों का खून हुआ है, देखी हालत दुनिया की;
मानवता के हित की खातिर, प्रीत भरा उद्गार लिखा।।

बहकी-बहकी फिज़ा लगे है, प्रिय की पावन खुश्बू से
मृत काया में होता स्पंदन, प्राणों का संचार लिखा।।

नारी का सम्मान करें सब, धैर्य बढ़ाएँ उनका जो;
ऐसे पुरुष महान जगत में, उनका ही सत्कार लिखा।

मुख चंदा -सा उज्ज्वल दिखता, कर्म करे सब पुरुषों के;
नारी ताकत के ऊपर ही, कवियों ने हुँकार लिखा।।

सुन्दर नखशिख रूप नारी का, चंचल चितवन मन भाए;
प्रेम, स्नेह की मूरत जननी, नारी का संसार लिखा।।

सम्पर्क: ग्रीन ऐवनियू घुमान रोड, तहसील बाबा बकाला, मेहता चौंक-143114, अमृतसर (पंजाब) 7087775713, Email- drpurnima01.dpr@gmail.com

1 comment:

सुनीता काम्बोज said...

बहुत सुंदर लिखा पूणिमा जी हार्दिक बधाई