नारी का संसार लिखा
-डॉ. पूर्णिमा राय
स्वप्न सलोने मन में लेकर, दिलबर तेरा प्यार लिखा।
यौवन तेरे नाम किया है, तन-मन का शृंगार लिखा।।
साँसे आती-जाती कहती, इक पल दूर न जाना अब;
मिला सुकूँ इस रुह को तब ही, जब तेरा अधिकार लिखा।।
मन की बस्ती सूनी-सूनी, रंग प्यार के सदा भरो;
हमने प्रेम भाव से इतना, मनभावन संसार लिखा।।
अरमानों का खून हुआ है, देखी हालत दुनिया की;
मानवता के हित की खातिर, प्रीत भरा उद्गार लिखा।।
बहकी-बहकी फिज़ा लगे है, प्रिय की पावन खुश्बू से
मृत काया में होता स्पंदन, प्राणों का संचार लिखा।।
नारी का सम्मान करें सब, धैर्य बढ़ाएँ उनका जो;
ऐसे पुरुष महान जगत में, उनका ही सत्कार लिखा।
मुख चंदा -सा उज्ज्वल दिखता, कर्म करे सब पुरुषों के;
नारी ताकत के ऊपर ही, कवियों ने हुँकार लिखा।।
सुन्दर नखशिख रूप नारी का, चंचल चितवन मन भाए;
प्रेम, स्नेह की मूरत जननी, नारी का संसार लिखा।।
सम्पर्क: ग्रीन ऐवनियू घुमान रोड, तहसील बाबा बकाला, मेहता चौंक-143114, अमृतसर (पंजाब) 7087775713, Email- drpurnima01.dpr@gmail.com
1 comment:
बहुत सुंदर लिखा पूणिमा जी हार्दिक बधाई
Post a Comment