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Feb 1, 2025

दोहेः नेकी कर...


  -  डॉ. उपमा शर्मा

1.

शब्दों के भी हैं यहाँ, तीखे-मीठे स्वाद।

कभी दिलाते मान ये, जन्मे कभी विवाद।

2.

जल लेता वो सिंधु से, करता धरा निहाल।

मेघों से धरती हरी, हारा तभी अकाल।

3.

पीने को पानी नहीं, रख मानव यह ध्यान।

दूषित कीं नदियाँ अगर, खतरे में फिर जान।

4.

नहर, नदी, पोखर सभी, सूख रहे हैं ताल।

पानी बिन जीवन नहीं, रखिए इसे सँभाल।

5.

बूँद- बूँद है कीमती, मत करना बरबाद।

 दूषित पानी देखकर, नदी करे फरियाद।

6.

हुआ स्वयंवर फूल का, तकता अलि की राह। 

वो बगिया मँडरा रहा, उसको मधु की चाह। 

7.

तुम जो मेरे साथ हो, आ जाए ठहराव।

 हिचकोले खाए नहीं, जीवन की यह नाव।

8.

जीते नित ही झूठ अब, सच पर उठे सवाल। 

नेकी कर बस इसलिए, दे दरिया में डाल।

सम्पर्कः बी-1/248,यमुना विहार, दिल्ली-110053


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