ऑपरेशन थियेटर में
चिकित्सक की आवाज कानों में पड़ने पर काजल ने धीरे से आँखें खोलीं। चिकित्सक का
हाथ उसके पेट पर था। वो टाँके लगा रही थी। साथ ही परिचारिका को कुछ हिदायत देती जा
रही थी।
दर्द की तीव्र लहर से
काजल की आँखों में आँसू आ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कौन- सा दर्द ज्यादा है? शरीर पर लगे कट का या अपनी खूबसूरती खत्म होने का। सहेलियों की बातें रह
-रहकर याद आ रहीं थीं।
"अब तेरे
पेट पर बर्थ मार्क बन जाएँगे।"
" तू अब
सुंदर नहीं रही।"
देख तो मोटापे से सारी
खूबसूरती का सत्यानाश कर लिया।"
"यामिनी
तेरे सामने कहीं नहीं ठहरती थी। अब तेरे सारे प्रपोजल उसके पास हैं। तूने ख़ुद ही
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है।
"बैडोल
शरीर, बढ़े हुए पेट के साथ कौन तुझसे मॉडलिंग कराएगा। अरी
मूर्ख! बच्चा ही चाहिए था, सरोगेसी से कर लेती। "
"शीर्ष पर
आ सब कुछ छूटने का दर्द तुझे बाद में समझ आएगा काजल।"
"देखना,
सुंदर मॉडल देखकर एक दिन राज भी तुझे भूल जाएगा।"
काजल की आँखों के आँसू
कुछ दर्द की शिद्दत और कुछ सहेलियों के आने वाले दिनों के खाके से और तेज़ हो गए।
बच्चा तेज़ आवाज में रो रहा था।
"क्या हुआ
काजल? दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा है? अभी
तुझे पेन किलर के इंजेक्शन लगवाती हूँ।"
"डॉक्टर!
क्या मैं अब सुंदर नहीं रही।" काजल के आँसू रुक ही नहीं रहे थे।
"किसने कहा?
"
काजल के आँसुओं में और
तेजी आ गई। डॉक्टर ने स्टिच लगाना छोड़ उस नर्स को इशारा किया, जो बच्चे को चुप कराने की कोशिश में थी। नर्स ने मुस्कुराकर बच्चे को काजल
के सीने पर लिटा दिया।
बच्चा पहचानी हुई
धड़कनों को सुन चुप हो गया।
अपने बच्चे को अपने
सीने से लगाए वो ख़ुद को दुनिया की अब सबसे खूबसूरत औरत लगी।
2 comments:
मातृत्व के सामने सतही सुंदरता का कोई अस्तित्व नहीं होता। अच्छी लघुकथा
मातृत्व से बड़ा सौंदर्य कोई नहीं है।बहुत सार्थक लघुकथा।डॉ. उपमा जी को बधाई।
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