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Apr 21, 2020

नमस्ते : अद्भुत अभिवादन

 नमस्ते : अद्भुत अभिवादन
- विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)
 अतिथि अभिवादन हर धर्मसमुदाय एवं समाज की प्राचीनतम परंपरा है। इसका निहितार्थ है एक दूसरे के प्रति सम्मानसद्भाव का आदान प्रदान। विश्व शांतिसदाशयता और समझ की दिशा में हमारे पूर्वजों द्वारा उठाया गया यह एक अग्रगामी कदम था उस दौर में। हर देश में इसके अलग अलग प्रकार हैं जैसे पश्चिम में हेंडशेक यानी हाथ मिलानाजापानी संस्कृति में आधे झुककर सम्मान तो भारतीय संस्कृति में दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते इत्यादि। सभी के सभी सद्भावना के संदेश वाहक हैं। लेकिन इन सबमें नमस्ते का महत्व विशिष्ट हैजिसे कोरोना वायरस के संदर्भ में परिभाषित किया है हाल ही में अमिताभ बच्चन ने स्वयं।
   आइये इस हिन्दुस्तानी परंपरा नमस्ते की उपयोगिता और उपयोग का एक आकलन किया जाए आजजिसका प्रभाव सर्वविदित है और जो इस प्रकार हैं।
1)   यह बेक्टेरिया रहित (शून्य बेक्टेरिया) अभिवादन स्वच्छता का सूचक है।
2)   यह योग की भी एक सर्व उपयोगी मुद्रा है।
3)   इसका तात्कालिक लाभ तो कोरोना वायरस जैसी शारीरिक संक्रमण से फैलनेवाली बीमारी के संदर्भ में ही हैजो शारीरिक      स्पर्श के माध्यम से समाज में महामारी के रूप में फैलती है। नमस्ते के कारण 124 मिलियन (दस लाख) बेक्टेरिया कालोनी (सी.एफ.यू.) घटकर शून्य पर आ जाता है।
4)   दोनों हाथ जोड़कर किया गया नमस्ते तहे दिल से स्वागत का दर्शन हैजबकि हेंडशेक में एक हाथ तो करता है स्वागत पर दूसरा रहता है तटस्थ अर्थात संवेदनारहित।
5)   नमस्ते जीवंत नेत्र संपर्क का भी वाहक है जिसमें निहित है भावनात्मक जुड़ाव तथा अतिथि को अनंत काल तक याद रख पाने का याददाश्ती मंत्र।
6)   सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो आपके अपने स्वास्थ्य से संबन्धित है और वह है एक्यूप्रेशर के बारे में।  नमस्ते के दौरान आपकी उँगलियों के ऊपरी हिस्से में स्थित प्रेशर पाइंट पर दबाव के कारण आँखकानमस्तिष्क की सक्रियता सुनिश्चित होती हैजो आपकी खुद की सेहत के लिये अत्यंत फायदेमंद है।
    निष्कर्ष : तो आइये आज और अभी से हम न केवल अतिथि के लाभ बल्कि खुद के फायदे के लिए इसे अपनाकर जीवन में आगे बढ़ें। बाय वन गेट वन फ्री अर्थात एक के साथ एक फ्री। एक काम दो लाभ।

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

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