नए कोरोनावायरस ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित कर दिया
है। सबसे अच्छा तो यही होगा सामाजिक फासला सुनिश्चित करके स्वयं को और अपने
परिजनों को इसके संक्रमण से बचाए रखें। लेकिन यदि आपके परिवार या घर में किसी को
इस वायरस का संक्रमण हो जाए तो क्या करें।
यदि ऐसा व्यक्ति उन लोगों में से नहीं है जिन्हें अनिवार्य रूप से
अस्पताल में भर्ती करना चाहिए तो आपको घर पर ही उसकी देखभाल करनी होगी और अन्य
लोगों को सुरक्षित भी रखना होगा। यानी आपको उस व्यक्ति को अलग-थलग करना होगा लेकिन
साथ ही यह भी ध्यान देना होगा कि उसे भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ मिलते रहें और
तकलीफ कम से कम हो।
यदि आपके घर में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसमें कोविड-19 के लक्षण दिख
रहे हों - जैसे बुखार, सूखी खांसी, सांस लेने में
दिक्कत. मांसपेशियों में दर्द, थकान और दस्त - तो किसी
स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल या स्वास्थ्य कर्मी से संपर्क
करें। हो सकता है कि वे आपको परीक्षण करवाने की सलाह दें। लेकिन ऐसे परीक्षण
फिलहाल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए
स्वास्थ्य कर्मी शायद आपको घर पर ही मरीज़ को अलग-थलग यानी आइसोलेट करने का परामर्श
देंगे।
अच्छी बात है कि कोविड-19 के अधिकांश मामले गंभीर नहीं होते अर्थात
अधिकांश लोग बगैर किसी उपचार के ठीक हो जाते हैं। लेकिन ये मरीज़ भी अन्य लोगों को
संक्रमित कर सकते हैं।
ज़रूरत तो इस बात की होगी कि मरीज़ को एक अलग,
हवादार कमरे में रखा जाए। संभव हो, तो मरीज़ के
लिए बाथरूम भी अलग हो। मरीज़ के लिए तौलिया, चादरें, कप-प्लेट वगैरह भी अलग होना चाहिए और इन्हें नियमित रूप से साफ करना ज़रूरी
है।
देखभाल करने वाले लोगों को नाक, मुंह
वगैरह को मास्क से ढंककर रखना चाहिए और दस्ताने पहनना चाहिए। दस्ताने हटाने के
तुरंत बाद हाथों को साबुन-पानी से कम से कम 20 सेकंड तक अच्छी तरह धोना चाहिए।
वैसे भी हाथों से चेहरे को छूने से बचना चाहिए। चेहरे के लिए मास्क का उपयोग तो
लगातार करना बेहतर है, खास तौर से जब आप मरीज़ के कमरे में
हैं। मरीज़ को भी लगातार मास्क लगाए रखें।
यदि आप मरीज़ के टट्टी, पेशाब
वगैरह को छूते हैं तो दस्ताने व मास्क पहनकर करें और काम समाप्त होते ही पहले
दस्ताने निकालकर फेंक दें, हाथों को अच्छी तरह साफ करें,
उसके बाद चेहरे के मास्क को हटाएं और एक बार फिर से हाथ धोएं। याद
रखें कि जिन सतहों को बार-बार छूना पड़ता है, जैसे दरवाज़े के
हैंडल, नल वगैरह, उन्हें भी अच्छी तरह
साफ करें।
यह ध्यान देना ज़रूरी होता है कि मरीज़ की हालत कब गंभीर रूप ले रही
है। यदि मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत होने लगे, या
बुखार तेज़ हो जाए, सीने में दर्द हो, गफलत
होने लगे या होंठ नीले पड़ने लगें तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं या अस्पताल ले जाएं।
कोविड-19 का कोई इलाज तो नहीं है लेकिन अस्पताल मरीज़ को इन
पेचीदगियों से बचने में मदद कर सकते हैं। जैसे मरीज़ को सांस की दिक्कत से छुटकारा
दिलाने के लिए ऑक्सीजन दी जा सकती है। मरीज़ को स्वस्थ होने में मदद के लिए उसे खूब
आराम और तरल पदार्थों की ज़रूरत होती है। यदि बुखार तेज़ हो तो बुखार कम करने की दवा
दी जा सकती है।
यदि दवा के बगैर भी मरीज़
का बुखार लगातार 72 घंटे तक न बढ़े और यदि सांस फूलने के लक्षण में सुधार हो और
पहली बार लक्षण प्रकट होने के बाद सात दिन बीत चुके हों, तो डॉक्टर की सलाह से आइसोलेशन समाप्त किया जा
सकता है। लेकिन उससे पहले कोविड-19 का टेस्ट करवा लेना होगा।(स्रोत फीचर्स)
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