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Jul 1, 2022

प्रेरकः जितनी लम्बी चादर, उतने ही पैर पसारें

 - निशांत

खुशहाल ज़िन्दगी जिएँ, बरबाद ज़िन्दगी नहीं। दूसरों को दिखाने के लिए पैसा खर्च न करें। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि दुनियावी वस्तुओं में वास्तविक संपत्ति नहीं है। अपने धन का नियोजन करें, धन को अपना नियोजन न करने दें। जितनी लम्बी चादर हो, उतने ही पैर पसारें।

एक पैसा बचाया मतलब एक पैसा कमाया” – बेंजामिन फ्रेंकलिन

1. संपत्ति की परिभाषा बदलें – “मुझे याद है अपनी पहली नौकरी के दौरान अपने दफ्तर के कमरे में बैठकर मैं दीवार पर लगी शानदार महँगी कार की तस्वीर को निहारता रहता था। देर-सबेर मैंने ऐसी कार खरीद भी ली। आज, दस साल बाद मैं अपने दफ्तर के कमरे में बैठा हुआ दीवार पर लगी अपने बच्चों की तस्वीर को एकटक देखता रहता हूँ। खिड़की से बाहर मुझे पार्किंग लॉट में खड़ी अपनी साधारण कार भी दिखती है। दस सालों में कितना कुछ बदल गया है! मेरे कहने का मतलब यह है कि मेरे लिए संपत्ति की परिभाषा यह है – इतना धन जो मेरे और मेरे परिवार की ज़ायज ज़रूरतों को पूरा कर दे, हमारी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाए, और जिससे हम दूसरों की भी कुछ मदद कर पाएँ। (साईं इतना दीजिये, जा में कुटुंब समाय।  मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।)

2. मिल–बांटकर काम चला लें – नई फ़िल्म सिनेमाहाल में देखना बहुत ज़रूरी तो नहीं। घर में ही बढ़िया सा नाश्ता बनाएँ और सस्ता सुंदर होम थियेटर का मज़ा लें। दोस्त को भी बुला लें। हिसाब लगाएँ आपने कितने पैसे बचाए!

3 – विज्ञापनों की खुराक कम करें – विज्ञापन जानलेवा हैं! शायद ही कोई इस बात से इनकार करे। विज्ञापन निर्माता विज्ञापनों की रचना इस प्रकार करते हैं कि आपको अपने जीवन और अपने आसपास कमी ही कमी दिखने लगती है। वे आपमें उत्पादों की कभी न बुझनेवाली प्यास जगाना चाहते हैं। वे आपको यकीन दिलाते हैं की अमुक चीज़ के बिना आप अधूरे हैं। विज्ञापन देखने से बचें।

4. नकद खरीदें – “जो धन आपके पास नहीं है उसे आप नहीं उड़ा सकते” – यह बात पुरानी हो गई है। कई बैंक ओवरड्राफ्ट सुविधा देते हैं – मतलब आप डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने से भी अपने बैंक अकाउंट को चूना लगा सकते हैं। सारी मुसीबतों से बचने के लिए जब खरीदें, नकद खरीदें।

5. सौदेबाजी में शर्म कैसी? – किसी दुकान में यदि आप वस्तुओं के दाम की तुलना करने के लिए कीमत का लेबल चेक करेंगे तो आपकी इज्ज़त दांव पर नहीं लग जायेगी। सोचसमझ कर भाव-ताव करके सामान खरीदें। आजकल फोन कनेक्शन लेते समय लोग कितना सोचते हैं! जिसमें ज्यादा से ज्यादा फायदा होता है उसे चुनते हैं। यही नीति दूसरी चीज़ें खरीदते समय क्यों न अपनाई जाए?

6. लम्बी बचत योजना बनाएँ – समझदार आदमी सारे अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखता। यदि आप मार्केट में पैसा लगाते हों तो अपना पोर्टफोलियो लचीला और विस्तृत रखें। चाहे एफडी में पैसा लगाएँ या शेयरों में, उनपर निगाह रखना बहुत ज़रूरी है। छोटी अवधि के लाभ के लिए किया गया निवेश ज्यादा मुनाफा दे सकता है लेकिन सुरक्षित नहीं होता।

7. बाज़ार के गुलाम नहीं बनें – आपने कभी देखा है कि कोई छोटा बच्चा कभी खिलौने से खेलने के बजाय उसके डब्बे से खेलने में ही आनंद लेता है। बच्चो के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वे तभी खुश होंगे जब उनके पास बहुत कुछ खेलने के लिए होगा। हम बड़े लोग क्यों अपने मज़े के लिए दुनिया भर का कबाड़ अपने इर्दगिर्द खरीदकर जमा करते रहते हैं?

8. स्वस्थ रहें – डाक्टर जेम्स एम् रिप बहुत बड़े ह्रदय रोग विशेषज्ञ और लेखक हैं। वे कहते हैं कि हमारी फिटनेस का ऊँचा स्तर हमारे लंबे जीवन को सुनिश्चित करता है। कोई बूढ़ा आदमी जिसका दिल मज़बूत है वह उस जवान आदमी से बेहतर है जो दौड़भाग नहीं कर सकता। अपनी फिटनेस का स्तर बढ़ाकर हम अपनी जैविक घड़ी को पीछे कर सकते हैं।

9. घर बैठे ज़िन्दगी का लुत्फ़ लें – अगली बार घर से बाहर निकलने से पहले सोचें – क्या बाहर जाने की ज़रूरत है? हो सकता है बाहर निकले बगैर ही काम बन जाए। घर में बैठें और पैसे बचाएँ।

10. बुरे दिनों के लिए ख़ुद को तैयार रखें – आज सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा है और आप ख़ुद को हिमालय की चोटी पर महसूस कर रहे हैं लेकिन आपको स्वयं को आड़े वक़्त के लिए तैयार रखना चाहिए। हो सकता है कल कुछ बुरा हो जाए और आपकी आजीविका संकट में आ जाए। पैसे की हिफाज़त करें, पैसा आपकी हिफाज़त करेगा। जितना ज़रूरी हो उतना ही खर्च करें और बाकी पैसा बचा लें। दूसरों से होड़ करने के चक्कर में आप छोटी सी आर्थिक चोट सहने के लायक भी न रह पाएँगे।

11. पड़ोसी की चिंता करना छोड़िए – यदि रुपया-पैसा ही खुशियाँ लाता है तो दुनिया के धनी देशों में लोग दुखी क्यों हैं? यह पाया गया है कि किसी देश का धनी होना उसके नागरिकों के सुखी होने की गारंटी नहीं है। क्यों? क्योंकि धनी लोग अपनी तुलना अपने से और धनी से करते हैं। वे उनसे जलते-कुढ़ते हैं।

12. इंस्टेंट नुस्खों से परहेज करें – आज हर चीज़ को क्विक-फिक्स करने की लहर चल पड़ी है। मोटापा घटाने के लिए भूख मारने वाले कैप्सूल खाना लोग आसान समझते हैं, कम खाना और कसरत करना बहुत मुश्किल काम लगता है। मेहनत करने से कतराते हैं क्योंकि जेब में पड़ा पैसा दूसरों से मेहनत करवाना जानता है। हर बात के लिए मेहनत करने का सरल विकल्प त्याग देना और पैसे के दम पर काम निकालने में कैसी समझदारी है?

13. समय ही धन है – आपके पास जितना कम काम होता है आपको उतना ही कम व्यवस्थित होने की आवश्यकता होती है। ऐसे काम करने में ही अपनी ऊर्जा और समय लगाना चाहिए जिनके बदले में कुछ बेहतर मिले। इस प्रकार आप कम काम करने के बाद भी रचनात्मक अनुभव करेंगे। आपको कम संसाधनों की ज़रूरत होगी और आप तनाव मुक्त भी रहेंगे। यही विजय का सूत्र है। सरलीकरण और अपरिग्रहण पर ध्यान दें। ज़रूरी बातों पर ही ध्यान दें। बाकी सब काम का नहीं है।

14. बिना खर्च किए ही कुछ देने की कोशिश करें – दोस्त का जन्मदिन आ रहा है और आप उसे तुरत-फुरत कुछ सस्ता और सुंदर गिफ्ट देना चाहते हैं? उसे पत्र लिखें। सच मानें, आज के ज़माने में इससे अच्छा और सस्ता उपहार हो ही नहीं सकता। हर हफ्ते थोड़ा सा समय निकाल लें और अपने प्रियजनों को चिठ्ठी लिखें। हाथ से लिखे ख़त की बात ही कुछ और है। चिठ्ठी लम्बी हो यह ज़रूरी नहीं है, महत्त्वपूर्ण हैं आपकी भावनाएँ और आपका लिखना। यदि लिखना सम्भव न हो तो अपने हाथ से ग्रीटिंग कार्ड बना सकते हैं। माना कि आप कलाकार नहीं हैं लेकिन आपके हाथ का बना ग्रीटिंग कार्ड इतना बुरा तो नहीं होगा कि कोई उसे पाकर रो पड़े!

15. लालच को अपने ऊपर हावी न होने दें – स्टीफन आर कोवी के अनुसार यदि आप ग़लत साधनों का प्रयोग करके दूसरों का आदर सम्मान और प्रशंसा प्राप्त कर भी लेते हैं तो देर- सबेर आपके हाथ कुछ नहीं आता। ऐसा बहुत कुछ था जिसकी आपको परवाह करना चाहिए थी लेकिन आपने उसे नज़रंदाज़ किया। जो माता-पिता अपने बच्चों को उनका कमरा साफ़ करने के लिए कहते हुए झल्लाते रहते हैं उन्हें ही वह कमरा ख़ुद साफ़ करना पड़ता है। इससे रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कमरा जल्द ही पहले जैसा हो जाता है। क्या यही सब पैसे पर लागू नहीं होता? आज दुनिया में लोग इतने गंभीर आर्थिक संकट में इसीलिए फंसे पड़े हैं क्योंकि लोगों ने यह मान लिया कि साधन नहीं बल्कि साध्य महत्त्वपूर्ण हैं।

मेरी सलाह – धनी होने की आकांक्षा रखने में कुछ ग़लत नहीं है, लेकिन इसके लिए उचित साधनों का ही प्रयोग करना चाहिए।

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