उदंती.com,फरवरी 2012
वर्ष- 2, अंक 6
यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढ़ता है। - एमर्शन
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पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म
कहि देबे संदेस पर विशेष
अनकही: शिक्षा की ध्वस्त बुनियाद - डॉ। रत्ना वर्मा कहि देबे संदेस पर विशेष
बृजलाल वर्मा का साथ और पलारी वासियों ... - उदंती फीचर्स
हर मुश्किल पार करके पूरा हुआ, मनु नायक... - मोहम्मद जाकिर हुसैन
सुरीले गीतों का फनकार- डॉ. एस. हनुमंत नायडू
रफी साहब की दरियादिली देख...
मुबारक बेगम नहीं गा सकीं बिदाई गीत
छत्तीसगढिय़ा मिठास घोलने वाले संगीतकार ...
नए कलाकारों को मिला महत्व
'कहि देबे संदेस' की व्यथा- कथा
कहां गुम हो गई छत्तीसगढ़ी जनजीवन की झलक? - भूपेन्द्र मिश्रा
प्रकृति: कचनार की छाँह में - अर्बुदा ओहरी
सेहत: माटी का सेब आलू - नवनीत कुमार गुप्ता
हाइकु: प्यार का पर्व - मंजु मिश्रा
लघुकथाएं: 1. चाहत 2. पराया सम्मोहन - रचना गौड़ 'भारती'
गजलें: क्या रोज छिटकती है चाँदनी? - प्राण शर्मा
ब्लॉग बुलेटिन से: लहरें... एक नशा है... - रश्मि प्रभा
प्रेरक कथा: वृक्ष
पिछले दिनों
वाह भई वाह
मिसाल: नाव से दुनिया का ....
जरा सोचें: माफ करना सीखें - डॉ. सृष्टि सिसोदिया
पर्यावरण: विज्ञान की रक्षक भूमिका - भारत डोगरा
रंग बिरंगी दुनिया
2 comments:
प्राण शर्मा जी की गज़लें समय, समाज और जीवन की वास्तविकता से साक्षात करवाती हैं.
रूपसिंह चन्देल
ek naayab ank ,mukh pristh sunder laga .
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