- मंजु मिश्रा
1.
प्यार वो डोर
खींचे जो जीवन को
ख़ुशी की ओर
2.
हवाओं में भी
आज खुशबू कुछ
निराली- सी है
3.
बहकी फिजाँ
प्यार की मतवाली
खुमारी- सी है
4.
सुना है मैंने
गुनगुनाते हुए
आज साँसों को
5.
लोग शायद
प्यार का पर्व, इसे
ही कहते हैं
6.
शामिल हो लें
हम भी यूँ, प्यार के
इस पर्व में
7.
बाँटे सबके
सुख दु:ख मन के
नेह बढ़ाएँ
8.
चलो साथ में
सब प्यार का यह
पर्व मनाएँ
संपर्क: C/o राजीव शंकर मिश्रा,146, पीएल शर्मा रोड, मेरठ
फोन 0121- 2640855,manjumishra@gmail.com
प्यार वो डोर
खींचे जो जीवन को
ख़ुशी की ओर
2.
हवाओं में भी
आज खुशबू कुछ
निराली- सी है
3.
बहकी फिजाँ
प्यार की मतवाली
खुमारी- सी है
4.
सुना है मैंने
गुनगुनाते हुए
आज साँसों को
5.
लोग शायद
प्यार का पर्व, इसे
ही कहते हैं
6.
शामिल हो लें
हम भी यूँ, प्यार के
इस पर्व में
7.
बाँटे सबके
सुख दु:ख मन के
नेह बढ़ाएँ
8.
चलो साथ में
सब प्यार का यह
पर्व मनाएँ
संपर्क: C/o राजीव शंकर मिश्रा,146, पीएल शर्मा रोड, मेरठ
फोन 0121- 2640855,manjumishra@gmail.com
1 comment:
मंजु मिश्रा जी के प्यार-पगे हाइकु मन-वीणा को झंकृत कर गए हैं ।
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