आधुनिक आइसक्रीम का रसायन शास्त्र
- डॉ.
ओ.पी वर्मा
आइसक्रीम शब्द सुनते ही सबके मुँह में पानी आ जाता है।
पल भर में विद्युत धारा की तरह एक ठंडा मीठी तरंग पूरे शरीर में प्रवाहित हो जाती
है और मन प्रसन्न हो जाता है। शादी हो या जन्मदिन का समारोह हो, आइसक्रीम
के बिना सब कुछ अधूरा ही माना जाता है। ऐसे रिसेप्शन्स में सबसे ज्यादा भीड़
आइसक्रीम की स्टॉल्स पर ही दिखाई देती है। आइसक्रीम विटामिन व कैल्शियम से भरपूर
सबका पसंदीदा, शीतल
और स्वास्थ्यप्रद व्यंजन है जो ताजा दूध, मक्खन, अंडे, फलों और सूखे मेवों तैयार किया जाता
है। आइसक्रीम बनाने वाले बड़े बड़े
संस्थान भिन्न-भिन्न रंगों और फ्लेवर में अनेक प्रकार की आइसक्रीम बनाते हैं और
लुभावनी पैकिंग में बेचते हैं। विज्ञापनों पर खूब पैसा बहाते हैं;
परंतु क्या ये लोग सचमुच ताज़ा दूध, मक्खन, फलों, आदि
से ही आइसक्रीम बनाते हैं? यथार्थ
कुछ और ही है जिसे आप सुन नहीं पाएँगे। सचमुच आज बहुराष्ट्रीय संस्थानों
का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना ही है। आपके स्वास्थ्य से उन्हें कोई सरोकार नहीं।
मिल्क पाउडर
एक समस्या तो यह है कि आइसक्रीम बनाने के लिए जिन गायों
के दूध से मिल्क पाउडर बनाया जाता है, उन्हें प्राय: सिंथेटिक इस्ट्रोजन हार्मोन
के इंजेक्शन दिये जाते हैं; ताकि
गायों का विकास तेजी से हो और ये दूध ज्यादा देने लगे। लेकिन क्या इसका असर हमारी
नन्हीं लड़कियों के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ेगा। हम देख रहे हैं कि आजकल आठ दस साल
उम्र में ही लड़कियों के हिप्स और ब्रेस्ट डवलप हो रहे हैं और कैंसर का खतरा भी
बढ़ रहा है। यह सब इन्हीं हार्मोन्स और रसायनों की नतीजा है।
शुगर
आइसक्रीम को मिठास देने के लिए चीनी के अलावा कई सस्ती
आर्टिफीशियल शुगर्स जैंसे एसेपार्टेम, जाइलिटोल, सेक्रीन आदि भी मिलाई जाती है,
जो
आपकी सेहत को बहुत खराब करती हैं और इनसे आपको कैंसर भी हो सकता है। सभी बड़े
ब्रांड्स आइसक्रीम बनाने के लिए शरीर के लिए घातक ट्रांसफैट युक्त हाइड्रोजिनेटेड
वनस्पति घी, स्किम्ड
मिल्क पाउडर, हाई
फ्रक्टोज कोर्न सिरप, कृत्रिम मिठास या एस्पार्टेम और विषैले एडीटिव्ज जैसे
कार्बोक्सिमिथाइल सेल्यूलोज, ब्यूटिरेल्डीहाइड, एमाइल
एसीटेट आदि का इस्तेमाल करते हैं। अंडे की जगह सस्ता रसायन डाईइथाइल ग्लाइकोल
प्रयोग किया जाता है, जिसका प्रमुख उपयोग रंग रोगन साफ करना हैं। आइसक्रीम का आकार
बड़ा करने और ज्यादा मुनाफा कमाने हेतु इसमें हवा भी मिला दी जाती है, हालाँकि
यह हवा हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुँचाती है।
जहरीले आर्टिफीशियल फ्लेवर्स
चैरी आइसक्रीम बनाने के लिए एल्डीहाइड सी-17 नामक
खतरनाक विष का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक ज्वलनशील रसायन है और रंग रोगन, प्लास्टिक
तथा रबड़ बनाने के काम में आता है। आपकी सबसे पसंदीदा वनीला आइसक्रीम पिपरोनाल
नामक जुएँ मारने की दवा से तैयार होती है। ड्राइ फ़्रूट्स
के फ्लेवर के लिए बुटीरेल्डीहाइड नामक रसायन मिलाया जाता है। इसका प्रयोग रबर
बनाने के लिए होता है।
चमड़ा और कपड़ा साफ करने का रसायन इथाइल एसीटेट आपकी
आइसक्रीम को अनानास का फ्लेवर देता है। इथाइल एसीटेट हृदय, यकृत और फेफड़े
के लिए बहुत हानिकारक है। बनाना आइसक्रीम
ऐमाइल एसीटेट से तैयार होती है, जो ऑयल पेंट बनाने के काम में आता है।
आपकी आइसक्रीम में मोनो और डाइग्लीसराइड्स, डाइसोडियम
फोस्फेट, बैंजाइल
ऐसीटेट, मोनो
स्टिरेट, प्रोपाइलीन
ग्लाइकोल, सोडियम
बेंजोएट, पोलीसोर्बेट
80, पोटेशियम
सोर्बेट, मोडीफाइड
कोर्न सिरप और सोय लेसीथिन भी मिलाए जाते हैं। हालांकि एफ.डी.ए. ने इन रसायनों
को GRAS (generally recognized
as safe)लिस्ट में रखा है; लेकिन
प्रश्न यह है कि क्या इन्हें आइसक्रीम में मिलाना जरूरी है। क्या इन्हें मिलाए
बिना आइसक्रीम नहीं बन सकती। यह भी विदित रहे कि एफ.डी.ए. के नियमों के अनुसार
आइसक्रीम निर्माता को हर चीज लेबल पर लिखने की जरूरत नहीं है।
यह सब जानने के बाद क्या आप विभिन्न खतरनाक रसायनों से
तैयार हुए इस व्यंजन को आइसक्रीम कहेंगे? इसे तो केमिकल
ट्रीट, केमिकल
शॉप, आइसकेम, आइसस्केम
या केमिकल
बम कहना ही उचित होगा। गृहणियों क्या यह सब जानने के बाद भी पति और बच्चों को बाजार की आइसक्रीम खिलाना पसंद करोगी? कभी नहीं ना। क्या इसका कोई समाधान
है? जी
हाँ बिलकुल है और वह है कि पूरा भारत बाजार की इस केमिकल
आइसक्रीम का पुरजोर तरीके से बहिष्कार करे। आप अच्छी और स्वास्थ्यप्रद आइसक्रीम घर
पर बना सकते हैं। देखिएगा आपके बच्चे और पतिदेव भी आइसक्रीम बनाने में आपकी मदद
करेंगे। मेरा दावा है यह इतनी स्वादिष्ट बनेगी कि आप बाहर की आइसक्रीम हमेशा के
लिए भूल जाएँगे।
तो आइये कुछ आइसक्रीम घर पर बनाइये। आपके बच्चों तथा पति
को घर पर बनी स्वास्थ्यप्रद और स्वादिष्ट आइसक्रीम खिलाइए-
केदार हिम
सामग्री
1. कंडेंस्ड
मिल्क एक टिन 400
ग्राम ,2. बारीक
पिसी ताजा अलसी 100
ग्राम, 3. दूध
1
लीटर
4. किशमिश
चौथाई कप, 5. बारीक कटी बादाम 25 ग्राम,
6. नेचुरल
वनीला एक छोटी चम्मच, 7. चीनी स्वाद
के
अनुसार, 8. कोको पावडर 50 ग्राम
बनाने की विधि
सबसे पहले दूध गर्म कीजिए।
थोड़े से दूध लगभग (100-150 ग्राम) में अलसी के पावडर को अच्छी तरह मिला कर एक तरफ
रख दें। फिर दूध को धीमी-धीमी आँच पर 15-20 मिनट तक
उबाल कर ठंडा होने के लिए रख दें। ठंडा होने पर दूध, चीनी, कंडेंस्ड मिल्क और अलसी के मिश्रण को हैंड
ब्लेंडर से अच्छी तरह फेंटे। मेवे, वनीला मिला कर फ्रीजिंग ट्रे में रख कर जमने
के लिए डीप फ्रीजर में रख दें। चाहें तो आधी जमने पर फ्रीजिंग ट्रे को बाहर निकाल
कर एक बार और अच्छी तरह फेंट कर डीप फ्रीजर रख दें। अगले दिन सुबह आपकी
स्वास्थ्यप्रद, प्रिजर्वेटिव, रंगों व
घातक रसायन मुक्त केदार हिम तैयार है।
कंचन हिम
सामग्री
1. दूध 600
एम.एल. 2. कोडप्रेस्ड
वर्जिन अलसी का तेल 60 एम.एल.3. उबाल कर ठंडा किया हुआ गाढ़ा दूध 100 एम.एल.4. प्राकृतिक
शहद या चीनी स्वादानुसार 5. बारीक कटे मेवे 25
ग्राम 6. मध्यम आकार का एक आम (लगभग 350-400
ग्राम) 7. नीबू का रस एक चम्मच
बनाने की विधि
सबसे पहले पनीर बनाइए। इसके लिए स्टील की पतीली में दूध
गर्म की कीजिए। उबाल आने पर उसमें नीबू का रस डालिये। नीबू डालते ही
दूध फट जायेगा। अब फटे दूध को एक चलनी में डाल दें, ताकि उसका पानी निकल जाये। सिर्फ 4-5 मिनट बाद
ही पनीर और गाढ़े दूध को एक बर्तन में लेकर बिजली से चलने वाले हैन्ड ब्लेंडर से
अच्छी तरह फैंट लें और कॉटेज चीज़ बना लें। अब आम को छील कर छोटे-छोटे टुकड़े कर
लीजिए । इसके बाद पनीर और दूध के मिश्रण में आम के टुकड़े, अलसी का
तेल और शहद या चीनी मिला कर एक बार फिर अच्छी तरह फैंट लें और मिश्रण में कटे मेवे
मिला कर फ्रीजर में जमने के लिए रख दें।
अगले दिन स्वास्थ्यवर्धक, ऊर्जावान और स्वादिष्ट कंचन हिम जम कर तैयार
हो जाएगा। अपने परिवार के साथ इस कंचन हिम पर थोड़ा सा शहद डाल कर आनन्द
लीजिए।
नोट- अलसी का कोल्डप्रेस्ड तेल आप इस नंबर 9929744434
से मंगवा सकते हैं।
संपर्क: वैभव हास्पिटल और रिसर्च इंस्टिट्यूट,
7 बी- 43, महावीर
नगर तृतीय, कोटा- राजस्थान,
मो. 9460816360, Email-
dropvermaji@gmail.com, http://flaxindia.blogspot.in
No comments:
Post a Comment