- निशांत
एक स्त्री किसी पुरुष से क्या चाहती है?
इस प्रश्न का उत्तर एक कहानी में है। यह कहानी पता नहीं कितनी सच है या झूठ। यह एक फैंटेसी है, तो काल्पनिकता के सारे तत्व इसमें मौजूद हैं।
कहते हैं कि राजा हर्षवर्धन किसी युद्ध में परास्त हो गया।
उसे कैदियों की तरह बांधकर जीतने वाले राजा का सामने पेश किया गया। जीतने वाला राजा उस समय बहुत खुश था।
उस राजा ने हर्षवर्धन के सामने एक प्रस्ताव रखा। उसने कहा, “यदि तुम मुझे एक प्रश्न का सटीक उत्तर खोजकर बता दोगे, तो मैं तुम्हारा राज्य तुम्हें वापस कर दूँगा। इस काम में असफल रहने पर तुम्हें आजीवन कारावास दिया जाएगा।”
“प्रश्न यह है , ‘स्त्री अपने पुरुष से क्या चाहती है?’ इसका उत्तर देने के लिए तुम्हें एक महीने का समय दिया जाता है।”
हर्षवर्धन ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
वह कई ज्ञानियों, उपदेशकों, संतों, पुजारियों, गृहणियों, नौकरानियों… यहाँ तक कि वेश्याओं के पास भी गया, ताकि यह पता लगा सके कि कोई स्त्री अपने पुरुष से क्या चाहती है?
किसी ने उसे आभूषणों के बारे में बताया, तो किसी ने संतान के बारे में कहा। किसी ने सुंदर घर-परिवार की बात कही, तो किसी ने धन-वैभव आदि के बारे में कहा।
हर्षवर्धन को किसी भी उत्तर से संतुष्टि नहीं हुई।
एक महीने की समयावधि पूरी होने वाली थी; लेकिन हर्षवर्धन की समस्या जस-की-तस बनी हुई थी।
फिर किसी ने हर्षवर्धन को बताया कि दूर किसी देश में एक चुड़ैल रहती है। केवल वही इस प्रश्न का उत्तर दे सकती है; क्योंकि उसके पास हर प्रश्न का उत्तर है।
हर्षवर्धन अपने मित्र सिद्धिराज के साथ उस चुड़ैल से मिलने गया। उससे उसने वही प्रश्न किया।
चुड़ैल बोली, “मैं इस प्रश्न का सही उत्तर दे सकती हूँ; लेकिन तुम्हारे मित्र को मुझसे विवाह करना होगा।”
जैसी कि चुड़ैलें होती हैं, यह चुड़ैल भी बहुत बूढ़ी और कुरूप थी। हर्षवर्धन अपने मित्र के साथ यह अन्याय नहीं करना चाहता था।
लेकिन हर्षवर्धन और उसके राज्य को बचाने के लिए सिद्धिराज ने चुड़ैल से विवाह करने के लिए मंजूरी दे दी। यह विवाह संपन्न हो गया।
फिर चुड़ैल ने हर्षवर्धन को प्रश्न का उत्तर बताया, “कोई भी स्त्री अपने पुरुष से यह चाहती है कि उसे इतनी स्वतंत्रता मिले कि वह अपने निर्णय स्वयं ले सके।”हर्षवर्धन को यह उत्तर पसंद आया।
हर्षवर्धन ने जीतने वाले राजा को यह उत्तर बता दिया। राजा को भी यह उत्तर पसंद आया, और उसने हर्षवर्धन को मुक्त करके उसका राज्य उसे सौंप दिया।
दूसरी ओर, विवाह की पहली रात को चुड़ैल ने अपने पति सिद्धिराज से कहा, “तुम्हारा मन बहुत शुद्ध है। तुमने अपने मित्र के लिए अभूतपूर्व त्याग किया है। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।”
“मैं हर दिन 12 घंटों के लिए इस चुड़ैल के वीभत्स रूप में रहती हूँ और शेष 12 घंटे अनिद्य सुंदरी के रूप में रहती हूँ। तुम मुझे बताओ कि तुम मुझे हमेशा किस रूप में देखना चाहते हो। तुम जो कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।”
सिद्धिराज ने कहा, “यह निर्णय लेने का अधिकार तुम्हें ही है प्रिये। मैंने तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया है। तुम वही करो, जो तुम्हें पसंद हो, और मैं तुम्हें वैसे ही चाहूँगा।”
यह सुनते ही चुड़ैल परम सुंदरी के रूप में बदल गई और बोली, “तुमने मुझे निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी; इसलिए अब से मैं हमेशा इसी रूप में सुंदर बनी रहूँगी।”
“वास्तव में मेरा असली रूप यही है। मैंने अपने चारों ओर सदा भद्दे लोगों को ही पाया इसलिए मैंने भी कुरूप चुड़ैल का रूप धर लिया था।” ( हिन्दी जेन से)
2 comments:
बहुत सुंदर कथा!
बहुत सुंदर । सुदर्शन रत्नाकर
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