उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Mar 1, 2025

प्रेरकः क्या लोगों को आपकी कमी खलेगी?

 लगभग सौ साल पहले एक व्यक्ति ने सुबह समाचार पत्र में स्वयं की मृत्यु का समाचार छपा देखा और वह स्तब्ध रह गया। वास्तव में समाचार पत्र से बहुत बड़ी गलती हो गई थी और गलत व्यक्ति की मृत्यु का समाचार छप गया। उस व्यक्ति ने समाचार पत्र में पढ़ा – ‘डायनामाइट किंग अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु… वह मौत का सौदागर था।’

अल्फ्रेड नोबेल ने जब डायनामाइट की खोज की थी, तब उन्हें पता नहीं था कि खदानों और निर्माणकार्य में उपयोग के लिए खोजी गई विध्वंसक शक्ति का उपयोग युद्घ और हिंसक प्रयोजनों में होने लगेगा। अपनी मृत्यु का समाचार पढ़कर नोबेल के मन में पहला विचार यही आया – “क्या मैं जीवित हूँ? ‘मौत का सौदागर ‘अल्फ्रेड नोबेल’… क्या दुनिया मेरी मृत्यु के बाद मुझे यही कहकर याद रखेगी?”

उस दिन के बाद से नोबेल ने अपने सभी काम छोड़कर विश्व-शांति के प्रसार के लिए प्रयत्न आरम्भ कर दिए।

स्वयं को अल्फ्रेड नोबेल के स्थान पर रखकर देखें और सोचें:

* आपकी धरोहर क्या है?

* आप कैसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाना पसंद करेंगे?

* क्या लोग आपके बारे में अच्छी बातें करेंगे?

* क्या लोग आपको मृत्यु के बाद भी प्रेम और आदर देंगे?

* क्या लोगों को आपकी कमी खलेगी? (हिन्दी ज़ेन से)


2 comments:

Sonneteer Anima Das said...

दुःखद... वैज्ञानिक कभी विध्वंस का विचार रखकर अविष्कार नहीं करता परंतु लोग उस अविष्कार का नकारात्मक प्रयोग करते हैं और विध्वंसक स्वयं ही बनते हैं....

Anonymous said...

अति सुंदर वाक़ई आपने स्वयं के मूल्यांकन का एक सुंदर विचार दिया है।
अशोक कु मिश्रा