- अपर्णा विश्वनाथ
उगादी आंध्र प्रदेश की पारंपरिक त्योहारों में से एक है। उगादी/ संवत्सरादि/ युगादि (युग+आदि) यानी एक नए युग की शुरुआत। यह पर्व चंद्र पंचाग के चैत्र मास के पहले दिन (पाड्यमी) को मनाया जाता है।
उगादी का दक्षिण भारत में विशेष महत्त्व अनेक कारणों से है। इस समय वसंत ऋतु अपने पूरे चरम पर होता है; इसलिए मौसम काफी सुहावना तो रहता ही है साथ ही कृषकों में नई फसल को लेकर काफी खुशी और उत्साह का माहौल रहता है।
इसके इतर उगादी के इतिहास (History of Ugadi Festival) पर नजर डालें, तो पौराणिक कथाओं के अनुसार — इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी और इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। जिस तरह हम अपना जन्मदिन मनाते हैं, ठीक उसी तरह उगादी सृष्टि के जन्म दिवस मनाने का सांप्रदाय है। इसलिए कई जगहों पर इस दिन ब्रह्म और विष्णु जी को पूजने की परंपरा है।
इतिहासकारों के अनुसार इस पर्व की शुरुआत सम्राट शालिवाहन (जिन्हें गौतमीपुत्र शतकर्णी के नाम से भी जाना जाता है)के शासनकाल में हुआ था।
पर्व का एक पक्ष यह भी है कि पुराने समय में किसानों के लिए यह एक खास अवसर होता था; क्योंकि इस समय उन्हें नई फसल की आमद जो होती थी, जिसे बेचकर वह अपनी जरूरत का सामान खरीद सकते थे। यही कारण है कि उगादी के इस पर्व को कृषकों द्वारा आज भी इतना सम्मान दिया जाता है।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के अलावा देश के कई हिस्सों में अलग-अलग नामों से यह पर्व मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता कि इस दिन कोई नया काम शुरु करने पर सफलता अवश्य मिलती है, आज भी उगादी के दिन दक्षिण भारतीय राज्यों में लोग नए काम की शुरुआत, दुकानों का उद्घाटन, भवन- निर्माण का आरंभ आदि जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत उगादी के दिन करते हैं।
प्रकृति और परंपरा
हमारे भारतीय त्योहार, और प्रकृति एक दूसरे के पर्याय हैं। हर त्योहार में एक विशेष खानपान का महत्त्व होता है। गौर करने पर हम पाएँगे कि यह विशेष खानपान के नियम हमारे शरीर को ऋतुओं में हुए परिवर्तन से लड़ने के लिए तैयार करता है और हमारे शरीर के प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है। प्रकृति के साथ अनुसंधान करने, प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने और प्रकृति के करीब जाने का एक बहाना है हमारे भारतीय पर्व- त्योहार ।
उगादी के दिन
उगादी के दिन घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर, सिर से नहाकर, नूतन या स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। विधिपूर्वक घर में पूजा- पाठ करके भगवान को उगादी पच्चडी का नैवेद्य समर्पित किया जाता है और भगवान के आशीर्वाद के रूप में घर के सभी सदस्य यह उगादी पच्चडी ग्रहण करते हैं। अपने संस्कारों का निर्वहन करते हुए भगवान तथा बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उसके बाद ही अन्य पकवान और खानपान खाने की प्रथा है। तत्पश्चात् देवालय जाकर भगवान के दर्शन करके वहाँ या अन्यत्र जहाँ पंचांग श्रवण हो रहा है, वहाँ पंचांग श्रवण करने की प्रथा है। यह संस्कार और प्रथा आज भी आंध्रप्रदेश की परंपरा और संस्कृति में जीवित है।
उगादीपच्चडी (चटनी) और पंचांग श्रवणं का विशेष महत्त्व
उगादी के दिन प्रसाद के रूप में एक प्रकार की पच्चडी (चटनी) कुल छह प्रकार की खाद्य सामग्री (कच्चा आम, नीम का फूल, इमली, गुड़, हरी मिर्च और सेंधा लवण ) के मिश्रण से तैयार की जाती है। यह पदार्थ स्वास्थ्य और स्वाद दोनों ही दृष्टि से अति उत्तम है। इसके बिना उगादी अधूरी है।
ये छह पदार्थ आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही जीवन के षड रसों को भी इंगित करता है। जिस तरह से यह छह रस हमारे भारतीय भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसी तरह हमारा जीवन भी हर्ष, विषाद, क्रोध, कड़वाहट, भय तथा आश्चर्य इन छह संवेदनाओं का मिश्रण है और हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है।
इन षड् रसों में हमारी संवेदनाएँ किस तरह शामिल है -
1- गुड़ मीठा होता है और मीठा खुशियों का प्रतीक है।
2- कच्चे आम का तुर्श और अम्लीय स्वाद जीवन के आश्चर्य और जीवन की नई चुनौतियों का प्रतीक है।
3- नीम फूल का कड़वा स्वाद जीवन के विषाद और कठिनाइयों का प्रतीक है।
4- इमली का खट्टा स्वाद जीवन के चुनौतियों का प्रतीक है।
5- हरी मिर्च का उष्ण और तीखापन क्रोध का प्रतीक है।
6- लवण का नमकीन स्वाद जीवन के अज्ञात या अपरिचित पहलू का प्रतीक है।
इन छह सामग्रियों के अलावा पच्चडी को और स्वादिष्ट बनाने के लिए उपर से नारियल, केला, मधु का प्रयोग भी किया जाता है। कुछ लोग हरी मिर्च की जगह काली मिर्च (गोलमिर्च) का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन उपर्युक्त छह सामग्री मुख्य रूप से उगादी पच्चडी के लिए होना अति आवश्यक है।
यह उगादी पच्चडी हमें बताता है कि जिस तरह भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने के लिए हम षड् रस का प्रयोग करते हैं, ठीक उसी प्रकार भावनात्मक स्वास्थ्य जीवन के लिए इन छह संवेदनाओं का भी स्वागत किया जाना चाहिए और यह भी कि किसी तरह के असफलताओं पर उदास नही होना चाहिए बल्कि सकारात्मकता के साथ नयी शुरुआत करनी चाहिए।
पंचांग श्रवणं
पंचांग के पाँच अंग है तिथि, वार, नक्षत्र, योगं और करणं।
इन पंच अंग का आपके जीवन में इस नववर्ष में क्या प्रभाव रहेगा। उगादी के दिन पंचांग सुनने की प्रथा उगादी पर्व का एक अंग है।
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