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Jan 1, 2025

विज्ञान राउंड अपः वर्ष 2024 अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान जगत - चक्रेश जैन

  - चक्रेश जैन

साल 2024 में कृत्रिम बुद्धि यानी एआई के उपयोग का दायरा बढ़ता रहा - मौलिक कविता लेखन से लेकर चुनाव में मतदाताओं को लुभाने तक इसका इस्तेमाल हुआ। कहना मुश्किल है कि यह विस्तार कहाँ पहुँचकर थमेगा। 

यह वही वर्ष है, जब जनरेटिव एआई से सृजित लार्ज लैंग्वैज मॉडल द्वारा शोध पत्रों की समकक्ष समीक्षा (पीयर रिव्यू) ने नए सवालों को जन्म दिया। 2024 के भौतिकी और रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों ने एआई आधारित अनुसंधान कार्य को मुहर अचंभित कर दिया।

इस वर्ष पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में एआई का जलवा दिखा। खिलाड़ियों के प्रशिक्षण से लेकर कार्यक्रमों के प्रसारण में एआई शामिल रहा। वर्जीनिया युनिवर्सिटी के गणितज्ञ केन ओनो ने गणितीय मॉडलिंग के ज़रिए अमेरिकी तैराकों को इस लायक बनाया कि वे शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक बटोरने में कामयाब रहे।

वर्ष 2024 में जापान ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दो ऐतिहासिक सफलताएँ हासिल कीं। 20 जनवरी को वह चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पाँचवा देश बन गया। 5 नवंबर को लकड़ी से बना उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचा। ऐसा कर जापान ने इको फ्रेंडली उपग्रहों का मार्ग प्रशस्त किया है। इस उपग्रह को ‘लिगनोसैट’ नाम दिया गया है। 

इसी वर्ष साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया कि मंगल ग्रह पर अरबों साल पहले पानी मौजूद था। सच तो यह है कि काफी समय से यह माना जाता रहा है कि मंगल ग्रह के आरंभिक इतिहास में पानी की अहम भूमिका रही है।

साल की शुरुआत में ही नासा ने आर्टिमिस चंद्र मिशन कार्यक्रम एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर पुन: उतारना है।

वर्ष 2024 में अंतरिक्ष में पहली बार एक निजी कंपनी ने अपने शक्तिशाली रॉकेट से एक केला भेजा, इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करना है।

इसी वर्ष चीन का अंतरिक्ष यान चांग-ए-6 यान 53 दिनों की यात्रा पूरी कर चंद्रमा के सुदूर क्षेत्र से मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करके पृथ्वी पर लौट आया है। चीन को इस दिशा में पहली बार बड़ी सफलता मिली है। अमेरिका और सोवियत संघ पहले ही चंद्रमा के निकटस्थ भाग से नमूने ला चुके हैं।

विदा हो चुके वर्ष 2024 में पहली बार प्रतिपदार्थ (एंटी मैटर) को प्रयोगशाला से बाहर ले जाने का प्रयास किया गया। इस असाधारण उपलब्धि के लिए सर्न प्रयोगशाला के अनुसंधानकर्ताओं की दो टीमों में होड़ जारी रही। हर पदार्थ-कण का एक प्रतिपदार्थ होता है। भौतिकशास्त्र के अध्येताओं का मानना है कि बिग बैंग के दौरान प्रतिपदार्थ और पदार्थ समान मात्रा में बने थे। प्रतिपदार्थ को पृथ्वी पर सबसे महँगा पदार्थ माना जाता है। एक ग्राम प्रतिपदार्थ बनाने की लागत खरबों डॉलर आएगी।

इसी वर्ष अनुसंधानकर्ताओं ने एक फोटॉन से दुनिया का सबसे छोटा क्वांटम कंप्यूटर बनाने में सफलता हासिल की। क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम यांत्रिकी सिद्धांत पर आधारित होते हैं।

साल 2024 में पहली बार मनुष्य में जेनेटिक रूप से संशोधित सुअर के गुर्दे का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया। अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में इसे बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है।

वर्ष 2024 में जीवविज्ञान की सबसे महत्त्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजना मानव कोशिका एटलस का पहला मसौदा जारी किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य मनुष्य की प्रत्येक कोशिका का जेनेटिक मानचित्र तैयार करना है। फिलहाल इसमें 620 लाख मानव कोशिकाओं का डैटा है। इस अनुसंधान से आगे चलकर गंभीर बीमारियों के बारे में सटीक जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी। ‘विकिपीडिया फॉर सेल्स’ नाम की इस परियोजना की शुरुआत 2016 में हुई थी। दस वर्षीय परियोजना पूरी होने की दहलीज पर है। इसमें 102 देशों ने सहभागिता की है।

नेचर के अनुसार पहली बार माइटोकॉन्ड्रिया के दो प्रकारों का पता चला। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा भण्डार कहा जाता है। वहीं अनुसंधानकर्ताओं ने टमाटर में से दो जीन हटाकर मीठे टमाटर का सृजन किया, जिसका उपयोग मधुमेह रोग से लड़ने में हो सकता है।

नेचर पत्रिका के अनुसार पहली बार एक महिला वैज्ञानिक ने प्रयोगशाला में वायरस का सृजन कर अपने कैंसर का इलाज किया। यह अपने ढंग का अनूठा और चुनौतीपूर्ण प्रयोग था।

इसी साल जनवरी में कंपनी न्यूरालिंक ने पहली बार किसी मनुष्य में इलेक्ट्रॉनिक चिप प्रत्यारोपित किया। यह पहला मानव परीक्षण था। 

पुरस्कार व समारोह

साल 2024 के विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों के लिए सात वैज्ञानिकों का चयन किया गया। चिकित्सा विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रूवकुन को संयुक्त रूप से चुना गया। दोनों वैज्ञानिकों को यह सम्मान माइक्रो आरएनए पर अनुसंधान के लिए दिया गया है। 

भौतिकशास्त्र में नोबेल सम्मान जेफ्री हिंटन और जॉन हाॅपफील्ड को मशीन लर्निंग को सक्षम बनाने के लिए मिला है। वस्तुत: दोनों अनुसंधानकर्ताओं ने आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क को प्रशिक्षित किया है ताकि वह मनुष्यों की भांति सोच सके और सीख सके। 

इस साल का रसायन विज्ञान का नोबेल सम्मान डेविड बेकर, डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। जहां डेविड बेकर ने कंप्यूटेशनल प्रोटीन डिज़ाइन पर अनुसंधान किया है, वहीं डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर ने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी को लेकर शोधकार्य किया है। 

ब्रिटिश भौतिकीविद सर रिचर्ड हेनरी फ्रेंड को अर्द्ध चालक पदार्थों के क्षेत्र में शोध के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ फिज़िक्स द्वारा आइज़ैक न्यूटन मेडल से पुरस्कृत किया गया।

साल 2024 का बुनियादी चिकित्सा अल्बर्ट लास्कर पुरस्कार चीनी-अमेरिकी जैव रसायनविद ज़िजियान जेम्स चेन को दिया गया है। इस वर्ष का लास्कर ब्लूमबर्ग लोकसेवा पुरस्कार कुरैशा अब्दुल करीम और सलीम अब्दुल करीम को संयुक्त रूप से दिया गया है। दोनों ही अध्येता कोलंबिया युनिवर्सिटी में रोग प्रसार विज्ञान के विशेषज्ञ हैं।

साल 2024 का एबेल पुरस्कार फ्रांसीसी गणितज्ञ मिशेल पियरे टैलाग्रेंड को दिया गया है। उन्हें यह सम्मान गणितीय भौतिकी और सांख्यिकी में संभाव्यता सिद्धांत व कार्यात्मक विश्लेषण में विशेष योगदान के लिए मिला है।

अजरबैजान की राजधानी बाकू में 29वाँ संयुक्त राष्ट्र वार्षिक शिखर सम्मेलन हुआ। इसमें जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। सबसे ज़्यादा ज़ोर जलवायु वित्त पोषण पर रहा। सम्मेलन को दी फाइनेंस कॉप नाम दिया गया है। सम्मेलन में विकसित और विकासशील देशों के बीच गहरे मतभेदों के कारण प्रमुख मुद्दों पर प्रगति अवरुद्ध रही।

वर्ष 2024 ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ कैमेलिड्स’ के रूप में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र के आव्हान पर अंतर्राष्ट्रीय ऊँट वर्ष मनाने का मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में ऊँट की अहम भूमिका उजागर करना था। 

इस वर्ष अमेरिकन केमिकल सोसायटी द्वारा प्रकाशित पत्रिका केमिकल रिव्यूज़ के सौ साल पूरे हुए। यह रसायन विज्ञान का शीर्षस्थ जर्नल है, जिसका प्रकाशन 1924 में शुरू हुआ था।

इसी साल 25 नवंबर को दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित संयुक्त राष्ट्र वैश्विक प्लास्टिक संधि पर आयोजित वार्ता में दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि जुटे। इस बार कुछ प्रस्तावों पर सहमति दिखाई दी, लेकिन महत्त्वपूर्ण मुद्दे नहीं सुलझे और वार्ता बिखर गई।

इसी साल मेक्सिको में चुनाव संपन्न हुए, जिसमें देशवासियों ने पहली बार महिला वैज्ञानिक क्लॉडिया शीनबॉम को राष्ट्रपति चुना। उन्होंने वैज्ञानिक से राष्ट्रपति पद तक पहुंचने के सफर में कई चुनौतियों का सामना किया है।

स्मृतिशेष

साल 2024 में हमने कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं को खो दिया। 8 अप्रैल को ब्रिटिश भौतिकशास्त्री और तथाकथित गॉड पार्टिकल के खोजकर्ता पीटर हिग्ज़ का निधन हो गया। उन्हें 2013 में भौतिकशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

अतिचालकता सिद्धांत के अनुसंधानकर्ता लियान कूपर का 23 अक्टूबर को 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें इस क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1972 में नोबेल सम्मान मिला था।

इसी वर्ष 4 अगस्त को विख्यात भौतिकीविद प्रोफेसर त्संग दाओ ली का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें 1957 में भौतिकी का नोबेल सम्मान मिला था। वे सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए दूसरे वैज्ञानिक थे। उन्होंने कण भौतिकी में विशेष योगदान दिया था। 

स्वीडिश जैव रसायनज्ञ बेंग्ट सैमुएलसन की 5 जुलाई और जे. रॉबिन वारेन की 23 जुलाई को मृत्यु हो गई। दोनों वैज्ञानिकों को चिकित्सा विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

17 अक्टूबर को चिकित्सा विज्ञान में नोबेल विजेता एंड्रयू वी. स्काली का देहांत हो गया। उन्होंने दो दशकों तक मस्तिष्क में मौजूद हारमोन की भूमिका पर अनुसंधान किया था। उन्हें इस शोधकार्य के लिए 1975 में अल्बर्ट लास्कर पुरस्कार और 1977 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल सम्मान प्रदान किया गया था। (स्रोत फीचर्स)

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