वर्ष 1, संयुक्तांक 10-11, मई-जून 2009
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जीवित भाषा, बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती।
जीवित भाषा, बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती।
- बाबूराव विष्णु पराड़कर
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अनकही/पारिवारिक संबंधों में जहर
पुरातन/ मंदिर
चंदखुरी: कौशल्या का मायका था छत्तीसगढ़- उदंती फीचर्स
प्रकृति/जीवाणु
चींटियां : एक साल में 400 किलो ...
छोटा पर्दा/ मनोविज्ञान
बचपन : इन्हें टीवी देखने से... - स्त्रोत
क्या खूब कही
वे इंसानों का खून .., शरीर की गर्मी से ...
कम्प्यूटर / भाषा
यूनीकोड से भारतीय भाषा - नितीन जानकीदास देसाई
संगीत/यादें
इकबाल बानो - नाजिम नकवी
कविता- मुकुन्द कौशल के नवगीत
पुरातन/ मंदिर
चंदखुरी: कौशल्या का मायका था छत्तीसगढ़- उदंती फीचर्स
प्रकृति/जीवाणु
चींटियां : एक साल में 400 किलो ...
छोटा पर्दा/ मनोविज्ञान
बचपन : इन्हें टीवी देखने से... - स्त्रोत
क्या खूब कही
वे इंसानों का खून .., शरीर की गर्मी से ...
कम्प्यूटर / भाषा
यूनीकोड से भारतीय भाषा - नितीन जानकीदास देसाई
संगीत/यादें
इकबाल बानो - नाजिम नकवी
कविता- मुकुन्द कौशल के नवगीत
कला/ चित्रकार
फूलों और तितलियों के संग... - उदंती फीचर्स
कैरियर/ प्रतिभा पलायन
बेआबरू होकर कूचे से निकलना - डॉ. सिद्धार्थ खरे
कहानी/ उद्धार - रविन्द्रनाथ ठाकुर
इन दिनों / जूते की जंग - अविनाश वाचस्पति
ललित निबंध/ फूल को देखने का सुख- अखतर अली
21वी सदी के व्यंग्यकार
सीनियर राइटर्स - कैलाश मंडलेकर
किताबें/ श्रम की गरिमा का सम्मान
धूप में गुलाबी होती कहानियां
इस अंक के लेखक/ वाह भई वाह
आपके पत्र/ इन बाक्स
रंग बिरंगी दुनिया
तिनके नहीं मिलेंगे तब..., उम्र को भूल जाइए
फूलों और तितलियों के संग... - उदंती फीचर्स
कैरियर/ प्रतिभा पलायन
बेआबरू होकर कूचे से निकलना - डॉ. सिद्धार्थ खरे
कहानी/ उद्धार - रविन्द्रनाथ ठाकुर
इन दिनों / जूते की जंग - अविनाश वाचस्पति
ललित निबंध/ फूल को देखने का सुख- अखतर अली
21वी सदी के व्यंग्यकार
सीनियर राइटर्स - कैलाश मंडलेकर
किताबें/ श्रम की गरिमा का सम्मान
धूप में गुलाबी होती कहानियां
इस अंक के लेखक/ वाह भई वाह
आपके पत्र/ इन बाक्स
रंग बिरंगी दुनिया
तिनके नहीं मिलेंगे तब..., उम्र को भूल जाइए
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ऐसा क्यों
ऐसा क्यों है कि घर पर लोग 'स्वयं कर के देखो' में जुटे रहते हैं और कार्य- स्थल पर कोई और कर लेगा की फेर में।
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1 comment:
naam bhi to alag hain ek "ghar" aur dusra "karya sthal"
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