इंद्रधनुष
-विजय जोशी
हम सबने प्रकृति की अनुपम देन इंद्र धनुष को देखा है। अपनी
सतरंगी छटा बिखेरते हुए जब वह आकाश में उभरता है तो हम सबके अंदर का मन मयूर नाच
उठता है। इसमें हर रंग का न केवल समायोजन है बल्कि उसके पीछे एक संदेश भी है ।
पहला रंग लाल: गुलाब के फूल या खून के रंग के अनुरूप यह रंग शृंगार, प्रेम, रोमांस व जोश का प्रतीक है।
गुलाब की सुंदरता व सुंगध तन, मन दोनों को खुशी से सराबोर कर देती है।
दूसरा रंग नारंगी: फलों, शरद ऋतु एवं सूर्यास्त को दर्शाने वाला यह रंग
जीवन में शांति का संदेश देता है।
तीसरा रंग पीला: सूर्य की चमक, सुर्ख, सूरजमुखी जैसे फूलों की आभा से युक्त यह रंग
मूलतः प्रसन्नता का संदेश स्वयं में समायोजित करते हुए हमें जीवन में खुशी का
संदेश प्रदान करता है।
चौथा रंग हरा: धरती पर हर ओर
नर्म दूब की आभा लिये, पेड़ों, मैदानों, वनों हर ओर अपनी प्राकृतिक छटा वाला यह रंग इंसान को कुदरत
के योगदान का संदेश प्रदान करता है।
पाँचवाँ रंग नीला:
विस्तृत आकाश पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक दृश्यमान यह रंग हमें जीवन में
पटल या कैनवास को बड़ा करते हुए उस पर अच्छे व परहितकारी कार्य की कूँची से पावन
संदेश लिखकर उसे सार्थक करने का प्रयोजन बनता है।
छठा रंग नीलवर्णी (इंडिगो): रात का साथ निभाता यह रंग सुखद सपनों के सुख
का अहसास देते हुए हमें अपने तथा दूसरों के साथ उसी अहसास को बाँटने का प्रयोजन
करता है।
सातवाँ रंग बैंगनी: शांति और समृद्धि से सुसज्जित यह रंग समुद्र
की गहराई का सूचक है जो हमें जीवन में न
केवल गहराई का महत्व समझाता है अपितु हमारे चरित्र को भी गहन गंभीर बनाने की
प्रेरणा का वाहक बनता है।
यह तय है कि जीवन तो एक सतरंगी इंद्रधनुष है
पर याद रखिए- जब तक आप अपने व्यक्तित्व में अच्छाइयों का संग्रहण बादल के स्वरूप
करके उसकी बारिश अपनों पर नहीं करेंगे, तब तक न तो जीवन में इंद्रधनुषी छटा
बिखरेगी और न वह रंगीन आभा, जो खुद को तथा दूसरों को आनंद दे सकती है। यही है इंद्रधनुष
से प्राप्त वह तीन सूत्रीय संदेश पहला अच्छाइयों का संग्रहण, दूसरा अपनों पर उसकी बरसात
तथा तीसरा इनसे उपजी इंद्रधनुषी आभा का अपनों के साथ आनंद।
सम्पर्कः 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास) भोपाल- 462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com
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