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Jul 18, 2009

उदंती.com, जुलाई 2009

उदंती.com, वर्ष 1, अंक 12, जुलाई 2009
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अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।             
 — अलेक्जेन्डर पोप
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अनकही: बिन पानी सब सून

रंगकर्मी / श्रद्धांजलि:हबीब तनवीर - हृषिकेश सुलभ
लोककला / नाचा: छत्तीसगढ़ जहां जिंदगी नाचती है- रामहृदय तिवारी
समाज / मुस्लिम लड़कियां: पर्दे से निकलकर मुक्केबाजी में ...- अजीता मैनन
कला / चित्रकार: जीवन के रहस्य तलाशती: रश्मि भल्ला- उदंती
पर्यटन / प्रकृति: डलहौजी: कुदरत का सुन्दर नजारा - अशोक सरीन

3 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

अंक सुंदर है। पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्‍य दूंगा।

अहफ़ाज रशीद said...

aapke tamaam anubhav udanti ke har article aur paragraph men dikhte hain.. badhaai aur shubhkaamnayen..
ahfaz rashid.raipur.

Mayur Malhar said...

bahut achha laga mam. maine abhi do hi rachanai padhi hai lekin dono hi bhut badhiya lagi. Sanjay Sir ke baare main to kuch kahene ki zaroorat hi nahi hai.