जीवन के रहस्य तलाशती: रश्मि भल्ला
रंग संसार के कला जगत में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी रश्मि के लिए कला परमानंद है। उन्होंने अपने कार्य अपने कौशल से सभी को रिझा दिया है। आर्ट एंड क्राफ्ट की कई विधाओं में कार्य कर चुकी रश्मि के लिए कोई भी विधा कठिन नहीं है, लेकिन चित्रकला में वे सुकून पाती हैं। एब्सट्रेक्ट आर्ट की भाषा उन्हें अपनी बोली सी लगती है।
रश्मि के चित्र जीवन के गहरे रहस्य के साथ सुख दुख को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। रश्मि कहती हैं जीवन के रंग खट्टे-मीठे फल की तरह प्रकृति के भीतर बिखरे पड़े है । यही वजह है कि विभिन्न चटख रंगों से सजे रश्मि के चित्र प्रकृति के सौंदर्य को अपने भीतर समेटे हुए जान पड़ते हैं। गत वर्ष उन्होंने एक कला श्रृंखला में प्रकृति पर केंद्रित लगभग 100 चित्र बनाएं हैं।
रश्मि के अनुसार मानव के हर प्रश्न का जवाब प्रकृति के पास है। समय के फेर में पड़कर व्यक्ति जीवन के इस रंग को झुठलाने की कोशिश करता है तथा यथाशीघ्र बहुत कुछ पाने की इच्छा जीवन को और अधिक जटिल बना देती है, जीवन की इसी जटिलता को रश्मि अपने चित्रों के माध्यम से बेहद सरलता से समझा देती हैं। वे कहती हैं सरलता जीवन के हर पहलू में है और इसी सरलता में सफलता छिपी है।
रंग संसार के कला जगत में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी रश्मि के लिए कला परमानंद है। उन्होंने अपने कार्य अपने कौशल से सभी को रिझा दिया है। आर्ट एंड क्राफ्ट की कई विधाओं में कार्य कर चुकी रश्मि के लिए कोई भी विधा कठिन नहीं है, लेकिन चित्रकला में वे सुकून पाती हैं। एब्सट्रेक्ट आर्ट की भाषा उन्हें अपनी बोली सी लगती है।
रश्मि के चित्र जीवन के गहरे रहस्य के साथ सुख दुख को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। रश्मि कहती हैं जीवन के रंग खट्टे-मीठे फल की तरह प्रकृति के भीतर बिखरे पड़े है । यही वजह है कि विभिन्न चटख रंगों से सजे रश्मि के चित्र प्रकृति के सौंदर्य को अपने भीतर समेटे हुए जान पड़ते हैं। गत वर्ष उन्होंने एक कला श्रृंखला में प्रकृति पर केंद्रित लगभग 100 चित्र बनाएं हैं।


करने की क्षमता रखता है और अमूर्त अनन्त प्रसन्नता पैदा कर देता है।

बचपन में खेलों में रूचि रखने वाली रश्मि अपनी मां को सिलाई-बुनाई, कढ़ाई करते हुए देखा करती थी तभी से कला के प्रति उनका रूझान जागा। 'मेरी रूचि देखकर मां ने मुझे चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया। रंगों के लिए मुझे सोचना नहीं पड़ता लेकिन फिर भी मुझे नीला रंग सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। पिछले दिनों मैं भिलाई स्टील प्लांट घूमने गई थी अत: आजकल प्लांट को ही अपना विषय बनाकर काम कर रही हूं।' बच्चों के साथ काम करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। इसी उम्र में हम बच्चों को सही आकार में ढाल सकते हैं। अपने अमूर्त चित्रों के बारे में उनका कहना है कि हर इंसान के जीवन में तनाव होता है और इस तनाव को एक महिला सबसे ज्यादा अनुभव कर सकती है। मैंने अपने चित्रों में इसी अनुभव को ढालने का प्रयास किया है।

परिचय
16 फरवरी 1974 को जन्मी रश्मि भल्ला ने बीएससी (बायो), एमए (अर्थशास्त्र), मल्टीमीडिया कोर्स, इंटरमीडिएट जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुम्बई से किया है। भिलाई के नेहरू आर्ट गैलरी में गु्रप प्रदर्शनी के साथ तीन एकल प्रदर्शनी। नेहरू आर्ट गैलरी में पेटिंग और स्कलप्चर का संग्रह। साउथ सेंट्रल जोन कल्चरल सेंटर नागपुर एवं ललित कला अकादमी दिल्ली में भागीदारी। विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित रश्मि का ज्यादातर समय अपने हॉबी आर्ट स्कूल में बितता है जिसे वे स्वयं संचालित करती है। पता - हॉबी आर्ट स्कूल, 106, लक्ष्मी कॉम्प्लेक्स, रिसाली, भिलाई। मोबाइल : 9229477679 Email- rashmi16.2009@rediffmail.com
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