भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे से लगभग 400
कि.मी. की दूरी पर अवस्थित है एक अद्भुत द्वीप, जिसे
लक्षद्वीप के नाम से जाना जाता है। यही एकमात्र ऐसा द्वीप है जिस पर जाने के लिए
पर्यटक को भारत सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है। पूरा आइलैण्ड करीब 32 कि.मी. के
क्षेत्र में फ़ैला हुआ है।
यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर से घिरा शांत समुद्र
और इसका पारदर्शी-तल पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देता है। समुद्र के नीले पानी के
भीतर तैरती असंख्य रंग-बिरंगी मछलियाँ, द्वीप पर आच्छादित
नारियल और पाम के हरे-भरे वृक्ष, चाँदी-सी चमकती मुलायम रेत
एक अनोखा दृश्य उपस्थित होता है। इस द्वीप-समूह में कुल मिलाकर 36 द्वीप हैं,
जिसमें से केवल तीन द्वीप कलपेनी, अगाती और
अमीनी द्वीप पर ही जाने की इजाजत मिलती है। इजाजत कोच्ची स्थित कार्यालय से ली जा
सकती है। पर्यटक को अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन से इस आशय का प्रमाण-पत्र लेना होता
है कि वह अपराधी-किस्म का नहीं है। यदि आप इस सुन्दरतम द्वीप की यात्रा करना चाहते
हैं, तो मई से लेकर सितम्बर का समय उचित होगा। शेष समय यहाँ
तीखी धूप पड़ती है। अगाती द्वीप की कुल मिलाकर आबादी करीब सात हजार है। ये कभी
हिन्दू धर्मावलंबी थे, चौदहवीं सदी में इस्लाम स्वीकार कर
लिया था। लक्षद्वीप भारत का एकमात्र मूँगा द्वीप है। इन द्वीपों की शृंखला मूँहा
एटोल है। एटोल मूँगे के द्वारा बनाया गई ऐसी रचना है, जो
समुद्र की सतह पर पानी और हवा मिलने पर बनती है। सिर्फ़ इन्हीं परिस्थितियों में
मूँगा जीवित रह सकता है।
आज यह द्वीप पर्यटन की दृष्टि से तेजी से विकास
कर रहा है। पर्यटक यहाँ आकर जहाँ प्रकृति के नैसर्गिक वातावरण को निहारकर
मंत्रमुग्ध हो उठता है, वहीं वह वाटर स्पोर्ट्स यानी
स्कूबा डायविंग, कायाकिंग, नौकायन,
ग्लास-बोट, वाटर स्कीइंग का जमकर लुत्फ़ उठा
सकता है। मलयालम, जेसेरी भाषा यहाँ के निवासियों की आम-भाषा
है। अगाती और बंगारम द्वीप बहुत ही खूबसूरत द्वीप है। यहाँ बोट हमेशा तैयार मिलती
है। नौकायन ही यहाँ का यातायात का मुख्य माध्यम है।
कालपेनी आइलैंड- यहाँ तीन द्वीप हैं जिनमें आबादी नहीं है। कदमठ आइलैंड एक जैसी गहराई और दूर अनंत तक जाते किनारे कदमठ को स्वर्ग बनाते हैं। यही एकमात्र द्वीप है जिसके पूर्वी और पश्चिमी दोनों ओर लैगून हैं। यहाँ वाटर स्पोर्ट्स की बेहतरीन सुविधाएँ हैं।
17/19-01-2020
( सुवर्ण जयंति एक्स. रात्रि 11।30)
17 तारीख की शाम को हम छिन्दवाड़ा से नागपुर के
लिए रवाना हुए। सुवर्ण जयंती एक्स. नागपुर रात्रि साढ़े ग्यारह बजे पहुँचती है।
लगातार दो दिन की यात्रा के पश्चात् हम दिनांक 19 जनवरी की
सुबह छह-साढे़ छह बजे
के करीब कोच्चि पहुँचे। शहर की प्रख्यात थ्री-स्टार होटेल सारा (
इस अल्पावधि में हमने फ़ोक क्लोर म्युजियम, सेंट फ़्रांसिस जेवियर चर्च) , साइनेगोग जिव्ज मन्दिर (यहूदियों का प्रार्थना स्थल) तथा डच पैलेस देखा और दोपहर को हमने ‘फ़ोर्ट क्वीन’ होटेल में सुस्वादु भोजन का आनन्द लिया।
ज्ञात हो कि पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा 8 जुलाई 1497 में भारत की खोज में निकला था। 20 मई 1498 को वह केरल तट के कोज्जीकोड जिले के कालीकट के कप्पाडु पहुँचा था। सन् 1502 में वह पुनः दूसरी बार भारत आया था। लंबी बीमारी के बाद उसका निधन सन 1524 में हुआ। उसके मृत शरीर को कोच्चि के संत फ़्रांसिस चर्च में दफ़नाया गया था। सन 1539 में पुर्तगाल के इस हीरो के शरीर के अवशेषों को निकालकर पुर्तगाल के विडिगुअरा में दफ़नाया गया।
20-22 जनवरी -अगत्ति।द्वीप- बीस जनवरी की सुबह आठ बजे हमने होटेल सारा छोड़ दिया और सीधे एअरपोर्ट पहुँचे। सुबह साढ़े नौ बजे की इंडियन एअरलाइन की फ़्लाइट अगत्ति के लिए थी। कोच्ची (कोचीन) से अगत्ति तक की उड़ान में महज एक घंटा तीस मिनट लगते हैं।
अगत्ति द्वीप- हवाई अडडे से कुछ ही दूरी पर सैलानियों के लिए हट्स बने हुए हैं। मीलों दूर-दूर तक फ़ैली, चाँदी-सी चमचमाती मखमली रेत के मध्य ये हट्स बने हुए हैं। इस मखमली रेत पर चलना एक अलग ही तरीके का अहसास दिलाता है। जगह-जगह नारियल के असंख्य पेड़ और पास ही लहलहाता-समुद्र आपको किसी दिव्य लोक में ले जाने के लिए पर्याप्त है। इतना अलौकिक दृश्य, जिसे शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। दूर-दूर तक फ़ैली नीले पानी की चादर, क्षितिज पर रंग बिखेरता सूरज, सफ़ेद झक्कास रेत और रंग-बिरंगी मछलियाँ अगत्ति की असली पहचान है। यदि संयोग से उस दिन पूर्णिमा हो तो इस द्वीप के सुन्दरता को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो उठेंगे।
तलापैनी द्वीप- यहाँ तीन द्वीप हैं जिनमें आबादी नहीं है। इनके चारों ओर लैगून की सुंदरता देखने लायक है। कूमेल एक खाड़ी है जहाँ पर्यटन की पूरी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ से पित्ती और थिलक्कम नाम के दो द्वीपों को देखा जा सकता है। इस द्वीप का पानी इतना साफ है कि, आप इस पानी में अंदर तैरने वाले जीवों को आसानी से देख सकते हैं। साथ ही यहाँ आप तैर सकते हैं, रीफ पर चल सकते हैं, नौका में बैठकर घूम सकते हैं और कई वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं।
बंगारम आइलैण्ड- अन्य द्वीपों से यह सबसे खूबसूरत द्वीप है। यह बेहद ही शांत द्वीप है। इसकी शांति पर्यटकों को अच्छी खासी पसंद आती है। यहाँ नारियल के सघन वृक्ष आपका मन मोह लेते है। डालफ़िन, कछुए, मेंढक और रंग-बिरंगी मछलियाँ यहाँ देखी जा सकती है। मन मोह लेने वाले इस द्वीप पर हमने बहुत सारा समय आनन्द में बिताया और इसी के किनारे एक विशालकाय टैंट के नीचे बैठकर हम सब पर्यटकों ने सुस्वादु भोजन का आनन्द लिया। और अगत्ति द्वीप के लिए रवाना हो गए। चूंकि 22 जनवरी की रात हमारी यात्रा की अन्तिम रात्रि थी, अगली सुबह हमें वापिस जाना था। इस अन्तिम पड़ाव पर हम सब शांत समुद्र के किनारे बैठकर शेर-शायरी और सुन्दर गीतों और कविताओं का आनन्द उठाते रहे और अन्त मेंलक्षद्वीप से लौटकर आए हुए हमें अभी ज्यादा समय
नहीं बिता है। दस दिन के इस रोमांचक सफ़र की मधुर-स्मृतियाँ आज भी चमत्कृत करती है।
चमत्कृत करते हैं वे अद्भुत क्षण, जब हम पूरब से सूरज को
निकलता देख रोमांचित होते थे तो वहीं उसे अस्ताचल में जाता देख, इस आशा के साथ लौट पड़ते थे कि अगली सुबह फ़िर सूरज एक नया उजाला, एम नया संदेशा लेकर फ़िर नीलगगन में अवतरित होगा। खिलखिलाता-दहाड़ता समुद्र
और समुद्र के बीच कमल सा खिला द्वीप, जिसकी चांदी-सी चममचाती
मुलायम रेत पर विचरण करना और नारियल के पेड़ के पेड़ से बंधे झूले में जी भरके
झूलना। रह-रह कर याद आते हैं वे क्षण जब हम सब मिलकर द्वीप पर फ़ैली असीम शांति के
बीच सहभोज का आनन्द उठाते है। याद आते हैं वे क्षण जब हम नौका विहार करते हुए
समुद्र के तल में फ़ैली शैवाल के सघन बुनावटॊं को देखकर रोमांचित होते थे।
सम्पर्कः 103, कावेरी
नगर, छिन्दवाड़ा (म. प्र.) 490001, मो-
9424356400
5 comments:
सुंदर
बहुत सुंदर 🙏
चित्रात्मक शैली में बेहद सुंदर प्रस्तुति। दिल्ली की बदहाल गर्मी में समुद्र, द्वीप, थिरकती नीली लहरें और पारदर्शी जल-तल सभी कुछ पढ़कर व महसूस कर राहतकारी लगा। लक्ष्यद्वीप की अद्भुत छवि को देख मोहन राकेश द्वारा रचित आखिरी चट्टान संसमरण भी याद आ रहा है।
बहुत खूब।
बहुत सुंदर, कल ही मेरे भाई भाभी वहा से घूम कर आए हैं,, उन्होंने भी खूब तारीफ की है, आपके पोस्ट को सेव कर लिया है, भविष्य में मुझे भी जाना है, तो ये यात्रा वृतांत मेरे काम आएगा, आभार आपका
माला वर्मा
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