इन दिनों भरी गर्मी में कौओं को चोंच में सूखी
टहनी दबाए उड़कर पेड़ों की ओर जाते देखा जा सकता है। कौओं की चहल-पहल अप्रैल से
जून के बीच कुछ अधिक दिखाई देती है। अगर आप इन दिनों पेड़ों पर नज़र डालें, तो दो डालियों के बीच कुछ टहनियों का बिखरा-बिखरा- सा कौए का घोंसला देखने
को मिल सकता है।
पिछले दिनों मुझे मध्यप्रदेश के कुछ ज़िलों से
गुज़रने का मौका मिला तो पाया कि पेड़ों पर कौओं ने बड़ी तादाद में घोंसले बनाए
हैं। दिलचस्प बात यह लगी कि कौओं ने घोंसला बनाने के लिए उन पेड़ों को चुना, जिनकी पत्तियाँ झड़ चुकी थीं और नई कोपलें आने वाली थीं। जब पत्तियाँ झड़
जाएँ, तो पेड़ की एक-एक शाखा दिखाई देती है। जब पत्तियाँ
होती हैं तो कई पक्षी वगैरह इसमें पनाह पाते हैं; मगर वे
दिखते नहीं। पीपल के पेड़ पर अधिकतम घोंसले दिखाई दिए। एक ही पीपल के पेड़ पर सात
से दस तक घोंसले दिखे।
दरअसल, कौए ऐसे पेड़
को घोंसला बनाने के लिए चुनते हैं, जिस पर घने पत्ते न हो।
एक वजह यह हो सकती है कि कौए दूर से अपने घोंसले पर नज़र रख सकें या घोंसले में
बैठे-बैठे दूर-दूर तक नज़रें दौड़ा सकें। घोंसला ज़मीन से करीब तीन-चार मीटर की
ऊँचाई पर होता है। नर और मादा मिलकर घोंसला बनाते हैं और दोनों मिलकर अंडों-चूज़ों
की परवरिश भी करते हैं।
कौए का घोंसला साधारण-सा दिखाई देता है। किसी को
लग सकता है कि यह तो मात्र टहनियों का ढेर है। हकीकत यह है कि यह घोंसला हफ्तों की
मेहनत का फल है। अंडे देने के कोई एक महीने पहले कौए टहनियाँ एकत्र करना प्रारंभ
कर देते हैं। प्रत्येक टहनी सावधानीपूर्वक चुनी जाती है। मज़बूत टहनियों से घोंसले
का आधार बनाया जाता है और फिर पतली व नरम टहनियाँ बिछाई जाती हैं। कौए के घोंसले
में धातु के तारों का इस्तेमाल भी किया जाता है। ऐसा लगता है कि बढ़ते शहरीकरण के
चलते टहनियों के अलावा उन्हें तार वगैरह जो भी मिल गए उनका इस्तेमाल कर लेते हैं।
कोयल कौए के घोंसले में अंडे देती है। कोयल के
अंडों-बच्चों की परवरिश कौए द्वारा होना जैव विकास के क्रम का नतीजा है। कोयल ने
कौए के साथ ऐसी जुगलबंदी बिठाई है कि जब कौए का अंडे देने का वक्त आता है तब वह भी
देती है। कौआ जिसे चतुर माना जाता है, वह कोयल के
अंडों को सेता है और उन अंडों से निकले चूज़ों की परवरिश भी करता है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया
है कि कोयल के पंख स्पैरो हॉक नामक पक्षी से काफी मिलते-जुलते होते हैं। स्पैरो
हॉक जैसे पंख दूसरे पक्षियों को भयभीत करने में मदद करते हैं। इसी का फायदा उठाकर
कोयल कौए के घोंसले में अंडे दे देती है। उल्लेखनीय है कि स्पैरो हॉक एक शिकारी
पक्षी है,
जो पक्षियों व अन्य रीढ़धारी जंतुओं का शिकार करता है। वैज्ञानिकों
ने एक प्रयोग किया, जिसमें नकली कोयल और नकली स्पैरो हॉक को
एक गाने वाली चिड़िया के घोंसले के पास रख दिया। देखा गया कि गाने वाली चिड़िया उन
दोनों से डर गई।
स्पेन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया है कि
कोयल की एक प्रजाति वाकई में घोंसले में पल रहे कौओं के चूज़ों को जीवित रहने में
मदद करती है। टीम बताती है कि ग्रेट स्पॉटेड ककू द्वारा कौए के घोंसले में अंडे
दिए जाने पर कौए के अंडों से चूज़े निकलना अधिक सफलतापूर्वक होता है। अध्ययन से
पता चला कि केरिअन कौवों के जिन घोसलों में कोयल ने अंडे दिए, उनमें कौवे के चूज़ों के जीवित रहने की दर कोयल-चूज़ों से रहित घोंसले से
अधिक थी। और करीब से देखने पर पता चला कि कोयल के पास जीवित रखने की व्यवस्था थी,
जो कौवों के पास नहीं होती। जिन घोंसलों में कोयल के चूज़े पनाह पा
रहे थे, उन पर शिकारी बिल्ली वगैरह का हमला होने पर कोयल के
चूजे दुर्गंध छोड़ते हैं। यह दुर्गंध प्रतिकारक रसायनों के कारण होती है और शिकारी
बिल्ली व पक्षियों को दूर भगाने में असरदार साबित होती है। अर्थात पक्षियों के बीच
परजीवी-मेज़बान का रिश्ता जटिल है।
कौओं को संरक्षित करने के लिए उनके प्रजनन
स्थलों को सुरक्षित रखना होगा। कोयल का मीठा संगीत सुनना है तो कौओं को बचाना
होगा।
जब पक्षी घोंसला बनाते हैं तो वे सुरक्षा के
तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हैं। पिछले दिनों मैं एक शादी के जलसे में शामिल
हुआ था। बारात के जलसे में डीजे से लगाकर बैंड व ढोल जैसे भारी-भरकम ध्वनि उत्पन्न
करने वाले साधनों की भरमार थी। मैंने पाया कि जिन कौओं ने सड़क किनारे पेड़ों पर
घोंसले बनाए थे वे इनके कानफोड़ू शोर की वजह से असामान्य व्यवहार कर रहे थे। कौए
भयभीत होकर घोंसलों से दूर जाकर काँव काँव की आवाज़ निकाल रहे थे। दरअसल, पक्षियों को भी खासकर प्रजनन काल में शोरगुल से दिक्कत होती है। इस तरह के
अवलोकन तो आम हैं कि अगर इनके घोंसलों को कोई छू ले तो फिर पक्षी उन्हें त्याग
देते हैं। फोटोग्राफर्स के लिए भी निर्देश हैं कि पक्षियों के घोंसलों के चित्र न
खींचें। कैमरे के फ्लैश की रोशनी पक्षियों को विचलित करती है। (स्रोत फीचर्स)
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