ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं
- माहिर-उल क़ादरी
इस अंक में
अनकहीः
सबसे बड़ा दान विद्या दान - डॉ. रत्ना वर्मा
शिक्षाः निजी स्कूलों से अभिभावकों का मोहभंग -
डॉ. महेश परिमल
आलेखः पीछे छूटते मानवीय संवेदना के ऑर्गैनिक मूल्य
- शशि पाधा
स्वास्थ्यः कम खाएँ, स्वस्थ रहें - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन, सुशील चंदानी
आलेखः आपकी नज़र में भारत की नई तस्वीर - साधना
मदान
यात्रा संस्मरणः लक्षद्वीप की सुरम्य यात्रा -
गोवर्धन यादव
आधुनिक बोध कथा- 5ः मदद भरा हाथ - सूरज प्रकाश
जीव- जगतः कौआ और कोयल: संघर्ष या सहयोग - कालू
राम शर्मा
प्रकृति से संवादः करके देखिए अच्छा लगेगा -
सीमा जैन
नवगीतः बदले हुए परिवेश में - क्षितिज जैन 'अनघ'
कविताः मातृत्व दिवस 8 मईः ...और वे चली गईं चुपचाप - डॉ. रत्ना वर्मा
व्यंग्यः श्यामलाल जी का अभिनन्दन - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
लघुकथाः चौराहे पर - डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति
लघुकथाः 1. विकलांग, 2. परिवार की लाड़ली - माधव नागदा
प्रेरकः प्रतीक्षा करें… धीरज धरें… - निशांत
परामर्शः कभी सोचा है - प्रगति गुप्ता
किताबेंः यथार्थ से साक्षात्कार
कराती लघुकथाएँ - नमिता सचान सुंदर
4 comments:
बहुत रोचक और हर विधा को समेटती एक अच्छी पत्रिका बधाई
सुंदर, रोचक अंक हेतु हार्दिक बधाई आ. रत्ना जी! आपके श्रम को नमन!
~सादर
अनिता ललित
बहुत ही सुंदर अंक ।
हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
सुंदर अंक के लिए बहुत बधाई
Post a Comment