कभी किसी गाँव में एक लड़का नदी के किनारे चल रहा था। उसे किसी की मदद की पुकार सुनाई दी।
“मुझे बचाओ, मुझे इस जाल से बाहर निकालो, मेरी मदद करो”- एक मगरमच्छ चिल्ला रहा था। वह किसी जाल में उतनी ही बुरी तरह फँस गया था, जैसे कोई मनुष्य विषयों के जाल में फँस जाता है।
लड़का मगरमच्छ की मदद करना चाहता था; लेकिन भयभीत था। उसने कहा, “यदि मैंने तुम्हारी मदद की, तो तुम मुक्त होते ही मुझे खा जाओगे।”
मगरमच्छ ने रोते हुए कहा, “मैं भला अपने प्राणों की रक्षा करने वाले को क्यों मारूँगा? मगरमच्छ इतने कृतघ्न नहीं होते। मैं वचन देता हूँ कि मैं तुम्हें स्पर्श भी नहीं करूँगा और सदैव तुम्हारा ऋणी रहूँगा।”
लड़के को दया आ गई और वह जाल काटने लगा। अभी मगरमच्छ का सिर जाल से बाहर निकला ही था कि उसने लड़के का पैर अपने जबड़े में दबा लिया और बोला, “मैं कई दिनों से भूखा हूँ…”
“यह क्या कर रहे हो!”, लड़का चिल्लाया- “तुम बहुत दुष्ट हो। मेरी भलाई का मोल तुम इस तरह चुका रहे हो!”
“मैं कर ही क्या सकता हूँ? यह तो दुनिया की रीत है! ज़िंदगी ऐसी ही होती है!”, मगरमच्छ ने कहा।
“लेकिन यह अच्छी बात नहीं है!”, लड़के ने रोते हुए कहा।
“अच्छी बात नहीं है से तुम्हारा क्या मतलब! किसी से भी पूछो, तो वह तुम्हें बताएगा कि संसार ऐसे ही चलता है। यदि तुम मुझे गलत साबित कर दोगे, तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा।”
लड़के ने पास ही पेड़ पर एक चिड़िया बैठी देखी और उससे पूछा, “क्या तुम्हें इस मगरमच्छ की बातें उचित जान पड़ती हैं? क्या दुनिया की रीत इतनी ही अन्यायपूर्ण होती है?”
चिड़िया यह सारा प्रकरण देख रही थी। उसने कहा, “मगरमच्छ सही कह रहा है। भलाई के एवज में हमेशा भलाई नहीं मिलती। मैंने अपने चिड़े के साथ मिलकर इस पेड़ पर अपने बच्चों को आँधी-तूफान से बचाने के लिए मजबूत घोंसला बनाया; लेकिन साँप हमेशा मेरे अंडे खा जाता था। यह दुनिया ऐसी ही है। यहाँ वफादारी की कोई उम्मीद मत रखो”।
“तुमने सुन लिया, बच्चे” -मगरमच्छ ने कहा, और लड़के के पैर को ज़ोरों से दबाते हुए कहा, “अब मैं तुम्हें खाऊँगा।”
“ठहरो…”, लड़के ने एक गधे को किनारे पर घास चरते देखा और उससे भी वही सवाल किया।
“दुर्भाग्यवश, मगर की बात सही है,” गधे ने कहा, “मैं गधा हूँ और सब समझते हैं कि मैं मूर्ख हूँ ; लेकिन मुझे भी यह पता है कि दुनिया बिल्कुल भी न्यायपूर्ण नहीं है। भले लोगों के साथ हमेशा बुरी चीजें होती रहती हैं। जब मैं जवान था, तब मेरा मालिक मुझ पर गीले कपड़े लाद देता था और मुझसे खूब काम कराता था। मैंने कई साल तक उसकी सेवा की। जब मैं बूढ़ा और कमजोर हो गया, तो उसने मुझे यह कहकर छोड़ दिया कि वह मुझे खिला नहीं सकता। , तो मगरमच्छ सही कह रहा है। दुनिया में घोर अन्याय, असमानता, और अनैतिकता है।”
“बहुत हो गया,” मगरमच्छ ने लड़के से कहा, “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। अब मैं और नहीं रुक सकता। तुम अपने भगवान को याद कर लो।”
“रुको-रुको,” लड़के ने कहा, “बस मुझे आखिरी बार खरगोश से पूछने दो। लोग कहते हैं कि कोई भी काम तीसरी बार करने पर परिणाम शुभ होता है।”
“चूँकि तुमने मुझे बचाया है, तुम्हें अंतिम अवसर, तो देना ही पड़ेगा”, मगरमच्छ ने कहा।
लड़के ने खरगोश को सारी बात बताई। खरगोश का उत्तर चिड़िया और गधे के उत्तर का बिल्कुल उल्टा था।
खरगोश ने कहा, “यह सरासर गलत है! ऐसा नहीं होता। दुनिया कतई अन्यायपूर्ण नहीं है।”
“तुम क्या कह रहे हो, मूर्ख खरगोश!”, मगरमच्छ ने कहा, “यह दुनिया बिल्कुल भी न्यायपूर्ण नहीं है। मुझे ही देखो! मैं अकारण ही इस जाल में फँस गया।”
खरगोश ने कहा, “ठीक से बोलो। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम पान खाकर बोल रहे हो। मैं तुम्हारी बात नहीं समझ पा रहा हूँ। साफ-साफ बोलो और जोर से बोलो।”
मगरमच्छ ने कहा, “तुम मुझे बेवकूफ समझते हो! मैं जोर से बोलने के लिए मुँह खोलूँगा, तो यह लड़का मेरी पकड़ से छूट जाएगा।”
“क्या तुम सच में इतने बेवकूफ हो?”, खरगोश ने कहा, “तुम्हें पता है न कि तुम्हारी पूँछ कितनी शक्तिशाली है? वह भागने की कोशिश करेगा, तो तुम पूँछ के एक वार से ही उसे ढेर कर सकते हो। तुम जितना ताकतवर यहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं है!”
मगरमच्छ खरगोश के बहकावे में आ गया और उसने अपनी बात साफ-साफ कहने के लिए मुँह थोड़ा और खोला।
खरगोश चिल्लाया, “भागो लड़के, भागो! दूर तक भाग जाओ!”, और लड़का सरपट भाग लिया।
मगरमच्छ गुस्से से पागल हो गया, “धोखेबाज खरगोश! तुमने मेरा खाना खराब कर दिया। यह बहुत बुरा हुआ!”
“यह तुम कह रहे हो!”, खरगोश ने पेड़ से टपके फल को कुतरते हुए कहा।
लड़का भागकर अपने गाँव पहुँचा और सभी को पूरी बात बताई। वे लोग बरछी-भाले लेकर आए और मगरमच्छ को मार दिया।
किसी के साथ आए पालतू कुत्ते ने खरगोश को देखा और उसके पीछे दौड़ पड़ा।
“रुको-रुको!”, लड़का चिल्लाया और उसने कुत्ते को रोकने की कोशिश की। “इस खरगोश ने मेरी जान बचाई है। इसे मत मारो; लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कुत्ते ने खरगोश की गर्दन अपने मुँह में दबा ली थी। खरगोश मर गया।
“अंततः मगरमच्छ की बात सही साबित हुई”, लड़के ने दुखी मन से कहा, “यही दुनिया की रीत है! ज़िंदगी ऐसी ही होती है!”
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इस कहानी के मार्फत मैं आपको क्या बताना चाहता हूँ?
जीवन यदि अन्यायपूर्ण है, तो सबके लिए है। इस हिसाब से जीवन सबके लिए एक समान है और न्यायपूर्ण है।
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