उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Mar 1, 2022

कविता- पहाड़ यात्रा

 - मधु बी. जोशी

1.

रोपणी 

ऊँची सड़क से

फूलों- सी दिखती

बहनों-बेटियों,

ऐसी ही फलो-फूलो

ऐसे ही गाती रहो

गीत सुख के, दुख के

बहन का मान रखने वाले गबरू

और मनमौजी अँछरियों के।

बनी रहे तुम्हारे हाथों की जीवनी

जमें रहें तुम्हारे पाँव घरती पर

हरे रहें तुम्हारे खेत।

2.

हहराती चली आई

कितनी बिसरी वनस्पति गंधें

दौड़े चले आए

कितने वृक्ष, 

लताएँ, क्षुप

जैसे साथी स्कूली दिनों के।

कुछ दिख जाते रहे कभी

किसी भीड़ में, 

उनके चेहरे याद थे

बात नहीं हुई थी उनसे 

स्कूल में भी कभी।

कुछ याद तक नहीं थे।

उनके बिना भी 

चलता रहा था जीवन

निर्बाध।

इतने समय बाद दिखे

वे जाने-बिसरे चेहरे

भरापूरा हो गया

मेरा जगत।


छोटे शहर की कहानियाँ 

(कथाकार जयशंकर के लिए)

एक जीवन में,

कितने जीवन।

एक कहानी में,

कितनी कहानियाँ।

एक मानुस में,

कितने कितने मानुस।

2 comments:

Unknown said...

Thanks 😊👍

Anima Das said...

सुंदर रचना 🌹💐बधाई