- शशि पुरवार
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छेड़ो कोई तान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
कुसुमित डाली लचकी जाए
कूके कोयल आम्बा बौराए
गुंचों से मधुपान, सखी री
गोप-गोपियाँ छैल छबीले
होठों पर है छंद रसीले
प्रेम रंग का भान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
नीले पीले रंग गुलाबी
बिखरे रिश्ते खून खराबी
गाऊँ कैसे गान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
शीतल मंद पवन हमजोली
यादों में सजना की हो ली
भीगे हैं मन प्रान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
पकवानों में भंग मिली है
द्वारे- द्वारे धूम मची है
सतरंगी परिधान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
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