- बसन्त राघव
....क्या हो गया है
इस बदहवास भीड़ को!
क्यों भागे जा रहे हैं बेतहाशा
क्यों है इतनी बेचैनी
छोड़ने की ..अपने वतन को
....
सहमें हुए हैं
घायल रक्त रंजित वृद्ध, बच्चे, स्त्रियाँ
भागे जा रहे हैं, भागे
जा रहे हैं
शरणार्थी शिविरों की ओर
....
आज सारा युक्रेन
तब्दील हो गया है
श्मशान में
जल रहा है धू -धू
....
एक आग सुलगने लगी है
लोगों के भीतर भी लहू खौल रहा है
युद्धोन्माद के खिलाफ
एक यक्ष प्रश्न तैर रहा है हवा में
क्या युद्ध के अलावा
और कोई रास्ता नहीं बचा है
समाधान का ...
...
हर क्षण भयावह और वीभत्स
जाने कब कौन, कहाँ शिकार हो
जाये
निर्दय खूंखार गोलियों का
उड़ाये जा रहे हैं मिसाइलों से
इंसानियत के परखच्चे
शनैश्चर विचरण कर रहा है
मुँडेर - दर -मुँडेर
कहीं यह अतंर्दृष्टि की
घोर चूक तो नहीं
वोलोदिमीर जेलेंस्की
देखो तो कैसा मंजर है चारों ओर
या फिर तुम्हें दिखाई नहीं देता
कि क्या हो रहा है?
....
किसी को कुछ नजर नहीं आता
कोहरा बहुत घना है
तो जाएँ कहाँ,
हर मोड़ पर तो खतरा है
‘टैंक’
मुँह बाएँ खड़ा है
....
कदम -कदम पर है बिछा है
मौत का पहरा
रची जा रही मानवता की अग्नि समाधि
कर रहा अट्टहास राक्षसी दंभ
....
क्या घर, क्या बाहर,
क्या गली, क्या चौपाल
हर जगह, हर समय मँडरा
रहा काल
न जाने क्यों अब किसी पर
भरोसा नहीं होता
क्यों दिखाई नहीं देता
शांति की पहल करनेवाला
कोई मसीहा
....
कभी खारकीव, कभी खेरसाँन
में
तो कभी चेर्निहाइव और मारियुपोल,
इरपिन और कभी कीव में
हर शहर, गाँव में
कभी दस-बीस तो कभी हजार
जानें जा रही हैं
तमाशबीन हो गई है सारी दुनिया
बर्बरता की पराकाष्ठा
लिख रही है कलंक कथा
स्कूलों, अस्पतालों,
चर्चों तक में
....
रोको- रोको इस महाविनाश को
रोको और अधिक अशुभ होने से
रोको खंडित होने से मानवता को ,
विश्वबन्धुत्व को
....
अभी भी वक्त है चेतो,
बाज आओ ठहरो- ठहरो जरा
ओ सैन्य वीरों सोचो- सोचो जरा
ओ कर्णधारों आओ
महाविनाश के सभी हथियार
सिरा आएँ सागर में
मनुष्य हैं तो, मनुष्य
बनकर रहें
सुंदर धरती को लहू से सींच कर
क्या कभी तुमने
किसी फूल को खिलते
देखा है?
सम्पर्कः पंचवटी नगर, मकान नं.30, बोईरदादर, कृषि फार्म रोड,
रायगढ़, छत्तीसगढ़, मो. 8319939396, basantsao52@gmail.com
4 comments:
अत्यंत संवेदनशील... 🙏😢
युद्ध की विभीषिका का मार्मिक चित्रण करती रचना हृदय को छू गई. बधाई वसंत जी .
बहुत संवेदनशील कविता है, बहुत बधाई
यूक्रेन की भयावह स्थिति को परिलक्षित करती हुई एक सशक्त रचना
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