हल्दी से भारतीय उपमहाद्वीप, पश्चिम एशिया, बर्मा, इंडोनेशिया
और चीन के लोग 4000 से भी अधिक सालों से परिचित हैं। यह
हमारे दैनिक भोजन का महत्त्वपूर्ण अंग है। सदियों से इसे एक औषधि के रूप में भी
जाना जाता रहा है। इसमें जीवाणु-रोधी, शोथ-रोधी और एँ
टी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। हर्बल औषधि विशेषज्ञ हल्दी का उपयोग गठिया, जोड़ों की जकड़न और जोड़ों के दर्द के पीड़ादायक लक्षणों के उपचार में करते
थे। उनका यह भी दावा रहा है कि हल्दी गुर्दे की गंभीर क्षति को ठीक करने में मदद
करती है। इनमें से कुछ दावों को नियंत्रित
क्लीनिकल परीक्षण कर जांचने की आवश्यकता है।
https://www.healthline.com पर हल्दी और उसके उत्पादों के कुछ साक्ष्य-आधारित लाभों की सूची दी गई है, जिनका उल्लेख यहां आगे किया गया है। इन लाभों के अलावा, हल्दी का सक्रिय अणु करक्यूमिन एक शक्तिशाली शोथ-रोधी और एण्टी-ऑक्सीडेंट है; यह एक प्राकृतिक शोथ-रोधी है। लगातार बनी रहने वाली हल्की सूजन (शोथ) हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, और हृदय रोग और चयापचय सिंड्रोम को बढ़ावा देती है। शुक्र है कि करक्यूमिन रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार कर जाता है। (रक्त-मस्तिष्क अवरोध ऐसी कोशिकाओं की सघन परत है जो तय करती है कि रक्त में मौजूद कौन से अणु मस्तिष्क में जाएँगे और कौन से नहीं।) रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार करने की इसी क्षमता के चलते करक्यूमिन अल्ज़ाइमर के लिए ज़िम्मेदार एमीलॉइड प्लाक नामक अघुलनशील प्रोटीन गुच्छों के निर्माण को कम करता है या रोकता है। (हालाँकि
, इस संदर्भ में उपयुक्त जंतु मॉडल पर और मनुष्यों पर प्लेसिबो-आधारित अध्ययन की ज़रूरत है)। करक्यूमिन ब्रेन-डेराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) को बढ़ावा देता है। BDNF एक ऐसा जीन है जो न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाओं) को बढ़ाता है। BDNF को बढ़ावा देकर करक्यूमिन स्मृति और सीखने में मदद करता है। कुछ हर्बल औषधि विशेषज्ञों का कहना है कि यह कैंसर से भी बचा सकता है। कैंसर कोशिकाओं के मरने के साथ कैंसर का प्रसार कम होता है, और नई ट्यूमर कोशिकाओं का निर्माण रुक जाता है। गठिया और जोड़ों की सूजन में करक्यूमिन काफी प्रभावी पाया गया है। हर्बल औषधि चिकित्सक भी यही सुझाव देते आए हैं। यह अवसाद के इलाज में भी उपयोगी है। 60 लोगों पर 6 हफ्तों तक किए गए नियंत्रित अध्ययन में पाया गया है कि यदि अवसाद की आम दवाओं (जैसे प्रोज़ैक) को करक्यूमिन के साथ दिया जाए तो वे बेहतर असर करती हैं।हाल ही में, मुंबई के एक
समूह ने काफी रोचक अध्ययन प्रकाशित किया है, जो बताता है कि
हल्दी कोविड-19 के रोगियों के उपचार में मदद करती है।
शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के 40 रोगियों
पर अध्ययन किया और पाया कि हल्दी रुग्णता और मृत्यु दर को काफी हद तक कम कर सकती
है। के. एस. पवार और उनके साथियों का यह पेपर फ्रंटियर्स इन फार्मेकोलॉजी में
प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है: कोविड-19 के सहायक उपचार
के रूप में पाइपेरीन और करक्यूमिन का मुख से सेवन: एक रैंडम क्लीनिकल परीक्षण। इसे
नेट पर पढ़ा जा सकता है। अध्ययन महाराष्ट्र के एक 30-बेड वाले
कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्र में किया गया था। लाक्षणिक कोविड-19
के सहायक उपचार के रूप में पाइपेरीन के साथ करक्यूमिन का सेवन
रुग्णता और मृत्यु दर को काफी हद तक कम कर सकता है, और
स्वास्थ्य तंत्र का बोझ कम कर सकता है। (वैसे बैंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट
ऑफ साइंस के जी. पद्मनाभन द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन में पता चला है कि
करक्यूमिन एक बढ़िया प्रतिरक्षा सहायक है)। यह वास्तव में एक उल्लेखनीय प्रगति है।
इसे देश भर के केंद्रों में आज़माया जा सकता है जहाँ महामारी अभी भी बनी हुई है।
(स्रोत फीचर्स)
1 comment:
बहुत ज्ञानवर्धक, उपयोगी आलेख। हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ।
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