उदंती का अंक इस बार भी मन को प्रफुल्लित कर गया,विविधता से भरा एक प्यारा अंक ! सम्पादकीय आलेख बहुत बढ़िया लगाlहिन्दी साहित्य के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार विद्यानिवास मिश्र,प्रेमचंद,भीष्मसाहनी,शंकर पुणतांबेकर को पढ़ना हमेशा ही चिंतन,मनन की ओर ले जाता हैl सुकेश साहनी द्वारा अनूदित खलील ज़िब्रान की लघुकथा 'भाई भाई'बहुत मज़ेदार लगी l पक्षियों को देखना जितनी ख़ुशी देता है उतना ही आनंद तब आता है जब उनके बारे में रोचक तथ्य पता चलते हैं lउनके बारे में पढ़ना हमेशा ही अनूठा लगता हैंl पक्षियों से जुड़ें सभी लेख हमारा ज्ञान बढ़ाते हैंlचाहे वो 'आँगन की गौरैया'हो या 'एवरेस्ट की ऊँचाई पर उड़ते हंस','बया का ख़ूबसूरत घोंसला'हो या फिर 'विश्व भ्रमण करते घुमक्कड़ पक्षी', ये सभी आलेख इस अंक को और महत्वपूर्ण बनाते हैं l रामेश्वर काम्बोज द्वारा रचित- हार नहीं मानती चिड़िया और बीते पल प्रेरक व मनमोहक कविताएँ है l शबनम शर्मा की 'कबूतर' भी सुन्दर रचना हैl '41 साल 10 सबक'और 'प्यार का कोई प्रतिदान' नहीं से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है l अंक ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ संग्रहणीय भी हैंl रत्ना जी को बधाई व मंगल कामनाएँ!
ज्योत्स्ना प्रदीप W/o प्रदीप कुमार शर्मा (CRPF ) मकान नंबर,गली नंबर -9 गुलाब देवी रोड,न्यू गुरुनानक नगर, जालंधर पंजाब 14403 jyotsanapardeep@gmail.com
उदंती का नियमित प्रकाशन भी एक घटना है। यह पत्रिका अपने समय की पड़ताल तो करती ही है लेकिन इसके संपादन की विशेषज्ञता उसके प्रकृति प्रेम में झलकती है और यह साफ दिखाई देता है कि यह प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सजग पत्रिका है। यह पत्रिका इस मायने में भी उल्लेखनीय है कि साहित्य की एक हाशिए पर पड़ी विधा यात्रावृतांत को केंद्र में लाने का प्रयास करती है। यह क्या प्रयास निरंतर होता है कि पाठकों की रुचि के अनुकूल उदंती का संपादन हो।
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उदंती का अंक इस बार भी मन को प्रफुल्लित कर गया,विविधता से भरा एक प्यारा अंक !
सम्पादकीय आलेख बहुत बढ़िया लगाlहिन्दी साहित्य के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार विद्यानिवास मिश्र,प्रेमचंद,भीष्मसाहनी,शंकर पुणतांबेकर को पढ़ना हमेशा ही चिंतन,मनन की ओर ले जाता हैl
सुकेश साहनी द्वारा अनूदित खलील ज़िब्रान की लघुकथा 'भाई भाई'बहुत मज़ेदार लगी l
पक्षियों को देखना जितनी ख़ुशी देता है उतना ही आनंद तब आता है जब उनके बारे में रोचक तथ्य पता चलते हैं lउनके बारे में पढ़ना हमेशा ही अनूठा लगता हैंl पक्षियों से जुड़ें सभी लेख हमारा ज्ञान बढ़ाते हैंlचाहे वो 'आँगन की गौरैया'हो या 'एवरेस्ट की ऊँचाई पर उड़ते हंस','बया का ख़ूबसूरत घोंसला'हो या फिर 'विश्व भ्रमण करते घुमक्कड़ पक्षी', ये सभी आलेख इस अंक को और महत्वपूर्ण बनाते हैं l
रामेश्वर काम्बोज द्वारा रचित- हार नहीं मानती चिड़िया और बीते पल प्रेरक व मनमोहक कविताएँ है l
शबनम शर्मा की 'कबूतर' भी सुन्दर रचना हैl '41 साल 10 सबक'और 'प्यार का कोई प्रतिदान' नहीं से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है l
अंक ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ संग्रहणीय भी हैंl रत्ना जी को बधाई व मंगल कामनाएँ!
ज्योत्स्ना प्रदीप
W/o प्रदीप कुमार शर्मा (CRPF )
मकान नंबर,गली नंबर -9 गुलाब देवी रोड,न्यू गुरुनानक नगर, जालंधर
पंजाब 14403 jyotsanapardeep@gmail.com
आपके प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए,कम है। शुभकामनाएं।
उदंती का नियमित प्रकाशन भी एक घटना है। यह पत्रिका अपने समय की पड़ताल तो करती ही है लेकिन इसके संपादन की विशेषज्ञता उसके प्रकृति प्रेम में झलकती है और यह साफ दिखाई देता है कि यह प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सजग पत्रिका है। यह पत्रिका इस मायने में भी उल्लेखनीय है कि साहित्य की एक हाशिए पर पड़ी विधा यात्रावृतांत को केंद्र में लाने का प्रयास करती है। यह क्या प्रयास निरंतर होता है कि पाठकों की रुचि के अनुकूल उदंती का संपादन हो।
उदन्ती के सभो अंकों की तरह यह अंक भी सार्थक और सुन्दर है। आपके उत्कृष्ट सम्पादन में उदन्ती निरंतर अग्रसर है।
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