देह मोगरा हो गई
- आभा सिंह
1
चौखट थामे झाँकता, सँवल सलोना रूप,
होठों पर निखरी रही,मदिर फागुनी धूप।
2
आँखों में जब खिल उठे, भीगे टेसू रंग,
मान भूल अभिमान को, लगा नेह के अंग।
3
पाती लेकर आ गई, फागुन का संदेश,
शेष दिनों को लाँघ मन, पहुँचा पी के देश।
4
पीला टेसू महकता, आँखों बरसे नेह,
इंद्रधनुष सा झर पड़ा, रंगबिरंगा मेह।
5
धीमे पाँव गुज़र गया, ओढ़ रज़ाई शीत,
फूला टेसू गा उठा, रंग -बिरंगे गीत।
6
फागुन आने की खबर, पहुँची नीबू द्वार,
घोले मिसरी गंध में, वंदन को तैयार।
7
फूलों से अंजलि भरे, होठों पर मधु हास,
शुभकामना बोल रहे, कब से खड़े पलास।
Email- abhasingh1944@gmail.com
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