शतरंज और दोस्ती
मैं कभी-कभार शतरंज खेल लेता हूँ। पत्नी के साथ, और कभी-कभी जीत भी जाता हूँ।
शतरंज को केंद्र में रखकर रचे गए किस्से-कहानियाँ और रणनीतियों के बारे में पढऩा मुझे अच्छा लगता है। कई महान और प्रसिद्ध फिल्मों में शतरंज की बिसात के इर्द-गिर्द बहुत रोचक सीन्स क्रिएट किए गए हैं। शतरंज के बारे में मेरा पसंदीदा किस्सा भूतपूर्व विश्व चैंपियन बोरिस स्पास्की (Boris Spassky) और बॉबी फ़िशर (Bobby Fischer) से संबंधित है। वर्ष 2014 में आई फिल्म पॉन सैक्रिफ़ाइस (Pawn Sacrifice) इन दोनों के बीच 1972 में हुए प्रसिद्ध मैच पर केंद्रित थी। यह इतिहास का सबसे प्रसिद्ध शतरंज मैच था जिसे सोवियत बौद्धिक श्रेष्ठता को अमेरिकी चुनौती मिलने के कारण असंख्य लोगों ने देखा था।
अधिकांश लोग जानते हैं कि बॉबी फ़िशर ने वह मैच जीत लिया था और जीतने के बाद वह बहुत-बहुत वर्षों के लिए दृष्टि से ओझल हो गया था। 1992 में वह स्पास्की के साथ प्रतिबंधित देश सर्बिया में एक अनऑफीशियल मैच खेलने के लिए सामने आया। फ़िशर की इस हरकत के लिए अमेरिकी सरकार ने उसके पीछे खुफ़िया विभाग को लगा दिया था।
फ़िशर के साथ जो कुछ हुआ उसे पढक़र उसपर तरस आता है लेकिन मैं उसकी और स्पास्की की अद्वितीय प्रतिद्वंदिता के कारण उसका बहुत सम्मान करता हूँ। इनकी कहानी का मेरा पसंदीदा भाग वह है जब स्पास्की ने वर्ष 2004 में जापान में फ़िशर की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया दी। स्पास्की ने राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को लिखा कि वे फ़िशर को माफ़ कर दें।
पूरा पत्र यह रहा-
मैं जानता हूँ क देश का कानून अपनी जगह पर है, लेकिन फ़िशर का प्रकरण सामान्य नहीं है। मैं और बॉबी 1960 से ही दोस्त हैं जब हमने मार-डेल-प्लाज़ा में शतरंज खेला और पहले और दूसरे स्थान पर रहे। बॉबी का व्यक्तित्व त्रासदीपूर्ण है। मैं यह इतने वर्षों बाद समझ पाया हूँ। वह ईमानदार और भले दिल वाला व्यक्ति है। वह बिल्कुल भी सोशल नहीं है। वह हम लोगों के तौर-तरीकों से ज़िन्दगी बिताने में सक्षम नहीं है। वह न्यायप्रिय है और किसी भी परिस्थिति में स्वयं से या उसके आसपास स्थित लोगों से समझौते नहीं करता। वह उस प्रकार के व्यक्तियों में है जो अपनी पूरी ज़िन्दगी खुद से ही लड़ते हुए बिता देते हैं।
मैं यहाँ उसकी किन्हीं हरकतों तो जायका नहीं ठहरा रहा और उसका बचाव नहीं कर रहा हूँ। वह जैसा है, सो है। मैं बस यही चाहता हूँ कि उसके प्रति उदारता बरती जाए, उसे क्षमा कर दिया जाए।
यदि ऐसा करना किन्ही कारणों से संभव न हो तो मैं चाहूँगा कि आप कृपया राष्ट्रपति फ्रांस्वा मितरां द्वारा 1992 में की गई गलती को सुधार दीजिए। बॉबी और मैंने एक ही प्रकार का अपराध किया था। उस मैच में भाग लेने की मुझे भी उतनी ही सज़ा मिलनी चाहिए।
मुझे गिरफ्तार कीजिए। और मुझे बॉबी फ़िशर के साथ ही उसकी कोठरी में बंद कर दीजिए। और हमें शतरंज का एक सेट भी दे दीजिए।
बोरिस स्पास्की
दसवां शतरंज विश्व चैंपियन
08- 07- 2004
इस पत्र को पढऩे के बाद क्या यह यकीन होता है कि इसे लिखनेवाला भूतपूर्व विश्व चैंपियन व्यक्ति अपने खेल कैरियर की चोटी पर बॉबी फ़िशर से हार गया था? यह किस्सा हमें यह सीख देता है कि हमें अपने प्रतिद्वंदी के प्रति किस प्रकार का सम्मान भाव अपने मन में रखना चाहिए। (हिन्दी ज़ेन से)
No comments:
Post a Comment