हमारी सोच से ज्यादा चालाक है
कौआ
- डॉ. डी. बालसुब्रमण्यम
कौआ श्रीनिवास रामानुजन चाहे न हो, फिर भी वह कुछ अंकगणित जानता है, रचनात्मक होता है और चिम्पैंज़ी की तरह औज़ार भी बना सकता है।
जितना हम सामान्य कौए या साइज़ में थोड़े बड़े उसके करीबी रिश्तेदार रेवन कौए
के बारे में अध्ययन करते हैं, वे उतने ही होशियार
साबित होते हैं। पाठकों को शायद याद हो कि 13 साल पहले मैंने एक आलेख में लिखा था कि कौआ थोड़ा अंकगणित जानता है और
कम-से-कम पाँच तक गिनती गिन सकता है। यहाँ यह दोहराने की ज़रूरत नहीं है कि 13 साल पहले मैंने क्या लिखा था। दरअसल, पाठक यू ट्यूब (https://www.youtube.com/watch?v=TtmLVP0HvDg) पर इसका विडियो देख सकते हैं। इसमें बताया है कि कैसे
कौआ एक तार को मोड़कर हॉकी जैसा आकार बना लेता है और इसकी मदद से उस प्याले को बाहर
निकाल लेता है जिसमें खाना रखा है। यू ट्यूब पर इस तरह के कई वीडियो हैं जिनमें
सामान्य कौए की चतुराइयों और औज़ार-निर्माण की दक्षता के बारे में बताया गया है।
कौए और रेवन के साथ किए गए अन्य प्रयोगों में दिखाया गया है कि कैसे वे
याद रख सकते हैं और उसे पुन: याद कर सकते हैं। यह दक्षता उन्हें भविष्य में योजना
बनाने के लिए तैयार करती है। वास्तव में यूके स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के
मनोविज्ञान विभाग के डॉ. मार्कस बोकल और निकोला क्लेटन का मानना है कि याद रखना और
भविष्य के लिए योजना बनाना केवल मनुष्य की क्षमता नहीं है; कुछ अन्य प्रजातियां भविष्य के लिए योजना बना सकती हैं, ठीक उसी तरह जैसे मनुष्य का चार वर्ष का बच्चा बनाता
है। उन्होंने इसके बारे में साइंस पत्रिका के 14 जुलाई 2017 के अंक में स्वीडन
स्थित लुंड विश्वविद्यालय के डॉ. कैन कबादाई और डॉ. मैथियास ओसवाथ के शोध पत्र पर
अपना विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए लिखा था। वह शोध पत्र भी पत्रिका के उसी अंक में
प्रकाशित हुआ था। कबादाई और मैथियास ने अपने शोध कार्य में पांच रेवन कौओं को चुना
था और उन्हें विभिन्न कार्य करने को दिए थे। उन्होंने पाया कि रेवन योजना बनाने, लचीलेपन,
किसी
उद्देश्य के लिए औज़ार-निर्माण, याददाश्त और भविष्य
के लिए योजना बनाने, और लेन-देन में
चिम्पैंज़ी के समान होते हैं।
शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से यह जांचने का प्रयास किया कि क्या कौए और रेवन
केवल भोजन एकत्रित और संग्रहित करने के मामले में ही ये क्षमताएं दर्शाते हैं या
वे ऐसी प्रतिभा इन सीमित दायरों के बाहर भी प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा, यह भी जांच की गई कि क्या कौए मात्र अगले क्षण के लिए
ही निर्णय ले पाते हैं या आने वाले दिन (17 घंटों के लगभग) की आगामी योजना भी बना पाते हैं। दिन की योजना के लिए
आत्म-नियंत्रण और योजना की ज़रूरत होती है। साइंस पत्रिका में प्रकाशित इस पर्चे
में दिए गए लिंक ( https://www.youtube.com/watch?v=O6nNllouHpw) पर पक्षियों के इस तरह के कुछ कौशल का वीडियो देखा जा
सकता है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि रेवन यह भांप लेता है कि भोजन प्राप्त
करने के लिए एक सही आकार का टोकन है,
वह इस
बात को याद रखता है और समय आने पर सही आकार का टोकन डिब्बे में डालकर भोजन प्राप्त
कर लेता है। यह प्रतीकात्मक सोच का एक पहलू है। उल्लेखनीय है कि जिस तरह रेवन ने
टोकन का इस्तेमाल किया वैसे ही हम मनुष्य भी कार्ड के ज़रिए बैंक से पैसा निकालते
हैं या भूमिगत मार्ग या मेट्रो प्लेटफार्म में प्रवेश करते हैं। यह बात यू-ट्यूब वीडियो (https://
www.youtube.com/watch?v=mQCTU2rjE98) में स्पष्ट हो जाती है कि रेवन ‘लाभ-प्राप्ति को मुल्तवी’ भी कर सकता है। ऐसा करने के लिए आत्म-नियंत्रण की
ज़रूरत होती है और इस गुण का प्रदर्शन वे बखूबी करते हैं। इस तरह के प्रयोगों ने
दर्शाया है कि कोओं, रेवन, मैगपाई,
जे, रूक्स वगैरह कॉर्विड कुल के पक्षी होशियार
औज़ार-निर्माता हैं, याद रखते हैं और
समय आने पर याद कर लेते हैं, और आत्म नियंत्रण
का इस्तेमाल करते हुए भविष्य की योजना बनाते हैं। और तो और, ये पक्षी लेन-देन भी करते हैं, ठगते भी हैं और दादागिरी भी दिखाते हैं। इन सब मामलों
में ये बिलकुल वनमानुषों जैसे हैं।
कबादाई व ओसवाथ ने बतौर निष्कर्ष लिखा है कि “रेवन पक्षी-डायनासौर हैं। लगभग 32 करोड़ वर्ष पूर्व उनके और स्तनधारियों के साझा पूर्वज
थे।...इन दोनों के प्रदर्शन में उल्लेखनीय समानता ने संज्ञान के विकासवादी
सिद्धांतों में खोज के रास्ते खोल दिए हैं।” तो, किसी को
पक्षीबुद्धि कहने पर अपमानित महसूस नहीं करना चाहिए।
सच है कि कौए नहीं गाते बल्कि इन्हीं के समान दिखने
वाली काली कोयल गीत गाती है। एक संस्कृत कवि ने कहा था: ‘काक:
कृष्ण: पिक: कृष्ण:, को भेद
पिककाकयो:, वसन्तसमये
प्राप्ते काक: काक: पिक: ।’ (अर्थात
कोयल काली कौआ काला, दोनों
में कैसे भेद करेंगे? वसंत
आने दीजिए, आप खुद
जान जाएंगे कि कौन कोयल है, कौन
कौआ है।) इसके जवाब में आप कह सकते हैं: यंत्र तंत्र कार्येशु, काक:
काक: पिक: पिक:। (जब बात औज़ार निर्माण के काम और अन्य चीज़ों की हो तो आप जानते ही
हैं कि कौन, कौन
है।) (स्रोत फीचर्स)
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