पहली बूँद के इंतजार में -
रश्मि शर्मा
रश्मि शर्मा
1.
बारिश की
पहली बूँद के
इंतजार में हूँ
जब उठेगी धरा से
सोंधी खुशबू
घर के सामने वाले
तालाब में
बूँदों का नर्तन
होगा
मैं हथेलियों में
भर लूँगी बूँदे
हवा में लहराते
दुपट्टे को
बाँध, भीगी
घास में
दौड़ पड़ूँगी, फुहारों
संग
काले मेघों को दूँगी
न्योता
अब यहीं बस जाने
का
फाड़कर कॉपियों के
पन्ने
बनाऊँगी काग़ज की
कश्ती
नीचे वाली बस्ती
में
बाँस के झुरमुट
तले रुक जाऊँगी
वहीं तो आता है
गाँव की गलियों का
सारा पानी
कश्ती में बूँदों
से नन्हे सपने
भरकर बहा दूँगी
मैं तब तक देखती
रहूँगी कश्ती को
जब तक बारिश डुबो
न दे
या हो न जाए
इन आँखों से ओझल
गरजते बादल की
आवाज
सुन रही हूँ
बारिश की
पहली बूँद के
इंतजार में हूँ।
2. बूँदों का आचमन
नीम की नुकीली
पत्तियों पर
ठहरी बूँदें
सहज ही गिर पड़ीं
नीम ने चाहा था
जरा -सी
देर
उसे
और ठहराना
मैंने चाहा था
जमीं के बजाए
हथेलियों में
उसे सँभालना
जो चाहता है मन
वो कब होता है
कहो तुम ही
हरदम चाहा तुमने
वीरबहूटी बना
दोनों हथेलियों के
बीच
मुझे सहेजना
और मैं
बूँदों की तरह
फिसल जाती हूँ
अनायास
देखो
अब सावन में भी
नहीं मिलती
बीरबहूटियाँ
बूंदों का आचमन कर
तृप्त हो जाओ
कि अब तो
नीम ने भी हार मान
ली....।
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