आई बरखा...
- पुष्पा मेहरा
1.
आई बरखा
हवा के ढोल बजे
ताल दें पत्ते।
2.
दूर गगन
सतरंगी धनुक
धरा से मिला।
3.
ताप से जले
शीतल जल ओढ़े
आए बादल।
4.
साँस न लेते
टूटे बाँध से रोते
नैन नभ के।
5.
घिरी बदरी
जंगल में मंगल
मनाते पाखी।
6.
पावस ऋतु
धरती पे उतरी
चूड़ी खनकी।
7.
फूली है धरा
देखके बादल का
प्यार अनूठा।
8.
सोंधी सुगंध
कण-कण मुखर
प्रेम की पाती।
9.
आई है वर्षा
हँस रहे महल
रोते छप्पर।
10.
बाढ़ सुरसा
निगलती जीवन
बढ़ती जाती।
11.
आओ सजाएँ
सुन्दर -सी
क्यारियाँ
रोप दें वृक्ष।
12.
जंगल कटे
गैसों का बोलबाला
जीने ना देता।
13.
धुआँ विषैला
फैला है चारों ओर
नभ रुआँसा।
14.
सूखी नदियाँ
सीना धरा का चाक
पक्षी भी रूठे।
15.
बना पतंगा
जीवन इन्सान का
क्षणभंगुर।
16.
वर्षा से भीगी
सोंधी -गंध
लपेटे
जागी धरती।
1।.
करें किलोल
डाल-डाल पखेरू
टूटी खुमारी।
18.
नन्ही बूँदों ने
सजा दिया है तन
श्वेत बेला का।
19.
ख़ुशबू उड़ी
हरी झुकी डाल पे
भौंरा आ बैठा।
1 comment:
सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे।
Post a Comment