जवानी और बुढ़ापा
-
डॉ. मोहम्मद युनूस बट, अनुवाद-
अख़्तर अली
पहले बुढ़ापा कलात्मक होता था आज कल
भयानात्मक होता है। यह इस पर निर्भर करता है कि आप बुढ़ापे की दुनिया में जवानी के
कौन से रास्ते से दाखिल हुए है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि 2035
तक देश मे बूढ़ों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
अब ये तो दुनिया का नियम है कि यहाँ अगर कोई चीज़ बहुत ज्यादा मात्रा में है तो
उसकी कीमत बहुत कम हो जाती है। कालेज के प्रोफेसर ने पाँच लड़कों को कक्षा मे खड़ा
किया और कहा - तुम चार लड़कों के दिमाग़ की कीमत पाँच सौ रुपये प्रति ग्राम
और मेरे से कहा - तुम्हारे दिमाग की कीमत डबल यानी हज़ार रुपये प्रति ग्राम है।
अपने दिमाग की कीमत जान कर मैं पूरी तरह खुश हो भी नही पाया था कि प्रोफ़ेसर साहब
ने बताया कि जो वस्तु बहुत कम मात्रा में पाई जाती है उसकी कीमत हमेशा बहुत अधिक
होती है। मुझे लगता है बूढ़ों की बढ़ती तादाद से उनकी मार्केट वेल्यू एकदम घट जाएगी।
जनसंख्या रोकने के तरीके ढूँढ़ निकाले बुढ़ापा रोकने का कोई उपाय नही है। अब जब
चारो तरफ़ बूढ़े ही बूढ़े हो जाएँगे तो उन्हे बूढ़ा समझ उनकी इज्ज़त कौन करेगा?
बूढ़ों को हमारे
समाज मे वही स्थान प्राप्त है जिस स्थान पर वह बैठे रहते हैं। हम बूढ़ों के खिलाफ़
नही ,क्योंकि हमें भी एक दिन बूढ़ा होना है
लेकिन बूढ़े हमारे खिला$फ रहते है क्योंकि उन्हें अब कौन सा जवान होना है।
हमारे यहाँ बूढ़े
नसीहत देने के काम आते है। एक बूढ़े ने बच्चे को नसीहत देते हुए कहा -
बेटे अपनी बाईक की रफ्तार उतनी ही रखना
जितनी मेरी दुआओं की रफ्तार है यानी चालीस किलो मीटर प्रति घंटा,
ये उनकी दुआओं की रफ्तार है नसीहतों की
रफ्तार बाईक की रफ्तार जैसी है ।
बूढ़े हमेशा ये सोच
कर परेशान रहते हैं कि नई पीढ़ी बड़ी होकर क्या करेगी?
एक सर्वे रिपोर्ट के
अनुसार पच्चीस प्रतिशत लोग यह मानते है कि बूढ़े एकदम खाली रहते है, जबकि
तीन प्रतिशत बूढ़े भी इस रिपोर्ट से सहमत नहीं है, उन सबका कहना है कि हमारे पास पलभर की भी फ़ुरसत नही है।
दरअसल जवान जिस काम को पाँच मिनट में करके दिन भर खाली बैठे रहते है,
बूढ़े उसी पाँच मिनट के काम को करने मे
पूरा दिन लगा देते है लिहाज़ा उनके पास पाँच मिनट का भी टाईम नहीं होता। बुढ़ापे
की बस एक ही बीमारी है और वह है बुढ़ापा और बुढ़ापे के अतिरिक्त और कुछ नहीं।
बुढ़ापे मे अक्सर
भूल जाने की आदत होती है। तीन बूढ़े आपस मे बात कर रहे थे,
एक ने कहा-
जब मैं सीढिय़ों के बीच मे पहुँचता हूँ
तब भूल जाता हूँ कि मुझे चढऩा है या उतरना, दूसरे ने कहा- जब मे फ्रिज खोलता हूँ तो भूल जाता हूँमुझेकुछ रखना है या
निकालना है,
तीसरे ने कहा-
मैं कभी-
कभी यही भूल जाता हूँ कि मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ। वैसे मैं ये बात
दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप किसी भी
बूढ़े को झाड़ेंगे तो उसमे से एक जवान आदमी निकलेगा।
कहते है स्वर्ग मे
कोई बूढ़ा नहीं होता और अगर यहाँ बूढ़ो की संख्या बढ़ती गई तो फिर इस देश के
स्वर्ग बनने की कोई संभावना नहीं रहेगी।
अब जो लोग कहते है
कि 2035
तक बूढ़ों की संख्या दोगुनी हो जाएगी
उन्हें मैं ये भी बता दूँ उस वक्त जो बूढ़े होगे वो बुढ़ापे की सभी परिभाषाएँ बदल देंगे;क्योंकि उल वक्त हम बूढ़े होंगे।
एक बात और बुढ़ापे
की सभी बाते बूढ़े पुरुषों के बारे में ही होती है बूढ़ी औरतों के बारे में नहीं,
क्योंकि औरत कभी बूढ़ी नहीं होती।
सम्पर्क: आमानाका,
रायपुर (छ.
ग.), मो.
न.
9826126781
No comments:
Post a Comment