मनमौजी डुमरुल / तुर्की लोककथा
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डेडे कोरकुट -
हिन्दी अनुवाद-
बालसुब्रमण्यम
ओगुज़ क़बीले में एक शख्स हुआ, जो मनमौजी डुमरुल
के नाम से जाना जाता था। वह दूहा कोजा का बेटा था।
डुमरुल
ने एक सूखी नदी पर पुल बनवा दिया था।
जो
भी उस पुल से नदी पार करता था,
उससे
वह ताँबे के तैंतीस सिक्के वसूलता था। जो पुल से नदी
पार करने से इनकार करते थे, डुमरुल उनकी पिटाई करके उनसे ज़बरदस्ती
चालीस सिक्के ले लेता था।
ऐसा
मनमौजी डुमरुल उन लोगों को चुनौती देने के लिए करता था, जो यह समझते थे कि वे उससे भी ज़्यादा बहादुर हैं। डुमरुल
चाहता था कि सब लोग - यहाँ तक कि
अनातोलिया और सीरिया जैसे सुदूर स्थानों के लोग भी - यह कबूल करें कि वह निडर, वीर, और साहसी है।
एक
दिन, कुछ लोगों ने
डुमरुल के पुल के पास डेरा डाला।
उनमें
से एक शानदार, खूबसूरत जवान बीमार
पड़ गया और अल्लाह के हुक्म से मर गया।
जब
वह जवान मर गया, तो कुछ लोग “बेटा” कहकर और कुछ लोग “भाई” कहकर मातम करने लगे
और बहुत रोना-धोना मच गया।
मनमौजी
डुमरुल फ़ौरन वहाँ आ पहुँचा और उसने लोगों से पूछा:
“क्यों रोना-धोना है, दोस्तो?” क्यों है यह शोर
मेरे पुल पर? किसका है मातम तुम
लोगों को?”
उन्होंने
कहा: “जनाब, हमने एक अच्छा जवान
आदमी खो दिया है, इसीलिए हम रो रहे
हैं।”
मनमौजी
डुमरुल ने पूछा: “वह कौन है जिसने
तुम्हारे दोस्त की जान ली?”
उन्होंने
जवाब दिया, “अज़ीम अल्लाह का
आदेश था।
लाल-डैनों वाले मौत के
फरिश्ते हज़रत इज़्राईल ने उसकी जान ली।”
डुमरुल
ने कहा: “यह कैसा फरिश्ता है
अज़राइल जो लोगों की जान लेता है?
ऐ
रब, तुम्हारी खुशी, वहदत और वजूदकी ख़ातिर
मुझे इस इज़्राईल से मिला दो।
मैं
उससे लड़ूँगा और उसे हराकर इस ख़ूबसूरत जवान की जान बचाऊँगा, ताकि इज़्राईल फिर कभी किसी की जान न ले।”
यह
कहने के बाद मनमौजी डुमरुल अपने घर चला गया।
पर
अल्लाह ताला उसकी बातों से नाराज़ हो गए।
उन्होंने
कहा: “देखो इस सिर-फिरे आदमी को।
यह
मेरी वहदत को नहीं मानता है।
न
ही मेरे प्रति शुक्रगुज़ार है। यह मेरी अज़मत के सामने गुरूर
से पेश आ रहा है।”
उन्होंने
इज़्राईल को हुक्म दिया: “जाओ, इस पागल आदमी की
नज़रों के सामने प्रत्यक्ष हो।
उसे
आतंकित करो, उसकी गरदनमरोड़ो, और उसकी जान ले लो।”
जब
मनमौजी डुमरुल अपने चालीस दोस्तों के साथ बैठकर शराब पी रहा था, इज़्राईल अचानक वहाँ
आ धमका।
न
तो डुमरुल के नौकरों ने, न उसके पहरेदारों
ने इज़्राईल को आते हुए देखा।
मनमौजी
डुमरुल अन्धा हो गया, उसके हाथ जकड़ गए।
उसके
लिए सारी दुनिया बेनूर हो गई।
वह
बोलने लगा।
तो
सुनो, उसने क्या कहा:
“ओ इज़्राईल, क्या ही बलवान, कद्दावर बुज़ुर्ग
हो, तुम!
मेरे
नौकरों ने तुम्हें आते नहीं देखा;
मेरे
पहरेदारों को तुम्हारी आहट नहीं हुई।
मेरी
आँखें, जो पहले देख सकती
थीं, अब अंधी हो गई हैं;
मेरे
हाथ, जो पहले पकड़ सकते
थे, अब जकड़ गए हैं।
मेरी
रूह काँप रही है, और मैं भयभीत हूँ।
मेरे
हाथ से सुनहरा प्याला छूट गया है।
मेरा
मुँह बर्फ-सा ठंडा है; मेरी हड्डियाँ धूल
बन गई हैं।
हे
सफ़ेददाढ़ी वाले बुजुर्ग, तुम कितने कठोर नज़रों वाले फरिश्ते हो!
हे, विशालकाय बूढ़े!
यहाँ
से भाग जाओ, नहीं तो मैं
तुम्हें मार दूँगा।”
ये
शब्द सुनकर इज़्राईल को गुस्सा आ गया। उसने डुमरुल से कहा:
“अरे ओ, पागल आदमी!
क्या
तुझे मेरी कठोर नज़रें पसंद नहीं आ रही हैं?
कितनी
ही कमसिन युवतियों और नव-विवाहिताओं की
मैंने जान ली हैं।
तब
फिर तुझे मेरी सफ़ेद दाढ़ी क्यों पसंद नहीं आ
रही है?
मैंने
तो सफ़ेददाढ़ी वाले और काली दाढ़ी
वाले दोनों ही प्रकार के आदमियों की जानें ली हैं।
इसीलिए
तो मेरी ख़ुद की दाढ़ी सफ़ेद है!”
फिर
इज़्राईल ने आगे यों कहा:
ऐ, पागल आदमी! अभी तुम डींग मार
रहे थे कि मैं लाल-डैनों
वाले इज़्राईल को मार दूँगा। तुम मुझे पकड़कर इस ख़ूबसूरत जवान की जान बचाना चाहते
थे।
पर
अब, ऐ मूर्ख, मैं ही तुम्हारी
जान लेने आ गया हूँ।
बताओ, तुम मुझे अपनी जान
दोगे, या मुझसे लड़ोगे?”
मनमौजी
डुमरुल ने कहा: “क्या तुम्हीं वह
लाल-डैनों
वालेइज़्राईल हो?”
“हाँ, हूँ,” इज़्राईल ने जवाब
दिया।
“क्या तुम्हीं वह
फ़रिश्ता हो जो इन शानदार युवकों की जानें लेता है?” डुमरुल ने पूछा।
“बेशक,” इज़्राईल ने फ़रमाया।
मनमौजी
डुमरुल ने कहा, “अरे ओ, संतरियो, सब दरवाज़े बंद कर
दो।” फिर इज़्राईल की तरफ
मुड़कर बोला:
“ऐ अज़राइल, मैं तुम्हें खुले
मैदान में घेरने की उम्मीद कर रहा था,
पर
तुम इस संकरे कमरे में मेरी पकड़ में आ गए!
अब
मैं तुम्हें मारकर उस खूबसूरत जवान को जिंदा कराऊँगा।”
उसने
अपनी विशाल काली तलवार खींची,
और
उससे इज़्राईल पर वार करने की कोशिश की। पर इज़्राईल कबूतर बनकर खिड़की से बाहर उड़
गया।
तब
डुमरुल ने ज़ोर से तालियाँ बजाईं और अट्टहास करने लगा।
उसने
कहा: “मेरे दोस्तो, देखो मैंने कैसे इज़्राईल
को डरा दिया। वह खुले दरवाज़ेके रास्ते नहीं बल्किसंकरे झरोखे से भाग खड़ा हुआ।
अपने
आपको मुझसे बचाने के लिए, वह कबूतर बनकर उड़
गया।
लेकिन
मैं उसे अपना बाज़ उड़ाकर पकड़ लूँगा।”
यह
कहकर डुमरुल ने अपने बाज़ को हाथ में लिया और इज़्राईल का पीछा करने के लिएअपने
घोड़े पर सवार हो गया।
उसने
अपना बाज़ छोड़कर कुछ कबूतर मारे।
फिर
अपने घर लौट चला। रास्ते मेंइज़्राईल उसके घोड़े की आँखों के सामने प्रकट हुआ।
घोड़े
से गिरने से बेचारे डुमरुल का सिर घूमने लगा और वह एकदम पस्त हो गया।
इज़्राईल
उसकी सफ़ेद छाती पर सवार हो गया।
कुछ
पल डुमरुल बुदबुदाता रहा पर जल्द ही उसके लिए साँस लेना भी मुश्किल हो गया। उसके
गले से मौत की घुरघुराहट आने लगी। वह किसी तरह बोला:
“ओ इज़्राईल, मुझ पर रहम करो!
ख़ुदा
की वहदत पर मुझे कोई शक नहीं है।
मुझे
तुम्हारे बारे में नहीं मालूम था।
मुझे
नहीं मालूम था कि तुम चोरों की तरह लोगों की जानले
लेते हो।
मेरे
पास विशाल चोटियों वाले पहाड़ हैं।
इन
पहाड़ों पर अंगूर के ख़ूबसूरत बागान खिले हुए हैं।
इन
बागान में काले अंगूरों के बेशुमार गुच्छे हैं, जिन्हें निचोड़ने पर लाल मदिरा प्राप्त होती है।
इसे
जो पीता है, वह नशे में धुत हो
जाता है।
मैंने
यह मदिरा पी ली थी, इसीलिए मैं
तुम्हारे आने की आहट सुन न सका।
मुझे
नहीं मालूम मैंने नशे में क्या-क्या बक दिया था।
मैं
मानता था कि मैं दूसरे सब लोगों से ताकतवर हूँ, पर अब जान गया हूँ कि यह सही नहीं है।
मैं
बस अपनी जवानी के कुछ और बरस जीना चाहता हूँ।
ओ
इज़्राईल, मेरी जान बख़्शदो।”
इज़्राईल
ने कहा: “अरे पगले, मुझसे क्यों रहम की
भीख माँग रहा है? मेरे
बदले उस अज़ीम अल्लाह से माँग।
मेरे
हाथ में क्या रखा है? मैं तो बस एक नौकर
हूँ।”
मनमौजी
डुमरुल ने कहा: “तब क्या अज़ीम
अल्लाह ही जान बख्शते और लेते हैं?
“इसमें क्या शक है,” इज़्राईल ने कहा।
तब
मनमौजी डुमरुल इज़्राईलसे बोला:
“तुम एक बुरे आदमी
हो।
मेरे
कामकाज में दखल मत दो।
मुझे
सीधे अल्लाह से बात करने दो।”
फिर
मनमौजी डुमरुल ने अल्लाह से बात की।
तो
सुनो, उसने क्या कहा:
“तुम सर्वोच्च हो।
ओ
ख़ुदा ताला, कोई नहीं जानता तुम
कितने ऊँचे हो।
तुम
हो अल्लाह महान।
मूर्ख तुम्हें आसमान और धरती पर खोजते
हैं, पर तुम रहते हो, भक्तों के दिलों
में।
अजर-अमर-अजय हो तुम, ओ कालजयी और रहम-दिल अल्लाह।
यदि
तुम मेरी जान लेना ही चाहते हो,
तो
ख़ुद आकर लो।
इज़्राईल
को मुझे मारने मत दो।”
इस
बार मनमौजी डुमरुल की बातों से ख़ुदा ताला खुश हो गए।
उन्होंने
इज़्राईल से चिल्लाकर कहा कि चूँकि यह पागल मेरी वहदत पर विश्वास करता है, मैं इसे अशीष देता
हूँ और इसकी जान बख़्शताहूँ, बशर्ते यह अपनी
जगह मरने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को राज़ी कर सके।
इज़्राईल
ने तब डुमरुल के पास आकर कहा:
“ओ मनमौजी डुमरुल, अल्लाह ताला काहुक्महै
कि तुम अपनी जगह मरने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को ले आओ। तभी मैं तुम्हेंछोड़
सकता हूँ।”
मनमौजी
डुमरुल ने कहा: “मैं कहाँ से अपनी
जगह मरने के लिए किसी दूसरे को लाऊँ?
इस
दुनिया में मेरे बूढ़े माँ-बाप के सिवा और कोई
नहीं है।
पर
मैं जाकर उनसे पूछता हूँ कि क्या उनमें से कोई मेरे लिए अपनी जान
देगा।
शायद
उनमें से कोई एक कह दे: ‘तुम मेरी जान ले
सकते हो और मुक्त हो सकते हो।’”
मनमौजी
डुमरुल अपने पिता के घर गया और उनके हाथ चूमकर उनसे बात की।
तो
आओ सुनें, उसने अपने पिता से
क्या कहा:
“सफ़ेददाढ़ी वाले
मेरे पिता, मैं तुम्हें प्यार
करता हूँ और तुम्हारी इज़्ज़त करता हूँ।
क्या
तुम जानते हो, मेरे साथ क्या हुआ
है?
मैंने
अल्लाह से बदतमीज़ी से बात की और उन्हें मुझ पर गुस्सा आ गया।
उन्होंने
लाल-डैनों वाले इज़्राईल
को आसमान से उड़कर नीचे जाने को कहा।
इज़्राईल
मेरी सफ़ेद छाती पर उतरा और मेरे शरीर पर बैठ गया। उसने मेरा गला घोंटकर मुझसे
लगभग मेरे आख़िरीशब्द निकलवाए और लगभग मेरी जान ले ली।
ओ
पिता, मैं तुमसे तुम्हारी
जान की भीख माँगता हूँ।
क्या
तुम मेरे लिए मर सकते हो?
या
मेरे मरने के बाद यह कहते हुए मेरे लिए रोना पसंद करोगे,
‘अरे, मेरा बेटा, मेरा मनमौजी डुमरुल, मर गया!’ ”
उसके
पिता ने जवाब दिया: “मेरे बेटे, ओ मेरे बेटे!
तुम
मेरे कलेजे का टुकड़ा हो, ओ मेरे बेटे!
तुम
शेर की तरह बहादुर हो। एक बार मैंने तुम्हारे लिए नौ ऊँटों की क़ुर्बानी दी थी।
तुम
मेरे आलीशान मकान की नींव हो,
जिसमें
सोने की चिमनियाँ हैं।
तुम
मेरी हंसजैसी सुंदर बेटियों और बहुओं की तरह एक फूल हो।
यदि
चाहो तो तुम दूर स्थित काले पहाड़ को आदेश दे सकते हो कि वह इज़्राईल के लिए घास का
मैदान बन जाए।
यदि
तुम चाहो, तो मेरे शीतल झरनों
को उसके बगीचे के फ़व्वारे बना सकते हो।
यदि
तुम चाहो, तो उसे मेरा घर और
सुंदर घोड़े भेंट कर सकते हो।
यदि
तुम चाहो, तो मेरे ऊँटों से
उसका सामान ढुलवा सकते हो।
यदि
तुम चाहो, तो मेरे बाड़ों में
खड़ी सफ़ेद भेड़ों को मेरे बावर्चीखाने में भूनकर उसे दावत दे सकते हो।
यदि
तुम चाहो, तो मेरा सोना-चाँदी उसे दे सकते
हो।
पर
जीना मुझे बहुत प्यारा है और यह दुनिया बड़ी मीठी है।
इसलिए
मैं तुम्हारे लिए मर नहीं सकता,
तुम्हें
यह समझना होगा।
तुम्हारी
माँ भी तो है। वह तुमसे मुझसे भी ज़्यादा प्यार करती है, और तुम भी उसे मुझसे अधिक चाहते हो।
तो
मेरे बेटे, उसके पास जाओ।”
जब
उसके पिता ने उसे ठुकरा दिया,
मनमौजी
डुमरुल अपनी माँ के पास गया,
और
उससे बोला: “जानती हो माँ, मेरे साथ क्या हुआ?
लाल-डैनों वाला इज़्राईल
आसमान से उड़कर आया और मुझ पर सवार हो गया। उसने मेरे सफ़ेद सीने को दबोच लिया।
उसने
मेरा गला दबाया और लगभग मेरी जान ही ले ली।
जब
मैंने पिता से मुझे उनकी ज़िंदगी देने को कहा तो उन्होंने नहीं दी।
अब
मैं तुमसे तुम्हारी ज़िंदगी माँगने आया हूँ,
ओ
माँ।
क्या
तुम मुझे अपनी ज़िंदगी दोगी?
या
फिर मेरे मर जाने के बाद अपने सफ़ेद चेहरे को अपने तीखे नाखूनों से खरोंचते
हुए
और
अपने लंबे सफ़ेदबालों को नोचते हुए,
‘ओ
मेरा बेटा, मेरा डुमरुल’ कहकर विलाप करना
पसंद करोगी?”
इस
पर उसकी माँ ने क्या कहा, आओ, इसे सुनें:
“बेटे, ओ मेरे बेटे!
मेरे
प्यारे बेटे, जिसे मैंने नौ
महीने अपनी कोख में पाला, और दसवें महीने
जन्म दिया, जिसे मैंने कपड़े
पहनाए और पालने में लिटाया,
जिसे
मैंने अपना भरपूर सफ़ेद दूध पिलाया।
ओ
मेरे बेटे, काश तुम सफ़ेद
मीनारों वाले किले में, भयानक रीति-रिवाजों को मानने
वाले काफ़िरों के कब्ज़े में होते,
ताकि
मैं तुम्हें अपनी ताक़त और पैसे से बचा पाती।
पर
तुम तो इस भयनाक मुसीबत में फँस गए हो।
इसलिए
मैं तुम्हारी ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ा सकती,
मेरे
बेटे।
यह
समझ लो कि दुनिया बहुत मीठी है,
और
मनुष्य को अपनी जान बहुत प्यारी लगती है।
इसलिए
मैं अपनी ज़िंदगी नहीं दे सकती।
तुम्हें
यह समझना होगा।”
इस
तरह उसकी माँ ने भी उसे अपनी ज़िंदगी देने से मना कर दिया।
इसलिए
इज़्राईल मनमौजी डुमरुल की जान लेने के लिए आ पहुँचा।
उसे
देखकर डुमरुल ने कहा:
ओ
इज़्राईल जल्दी नहीं करो।
इसमें
कोई शक नहीं कि अल्लाह एक हैं।
इज़्राईल
बोला: “अरे, पगले, तुम मुझसे क्यों
रहम की भीख माँग रहे हो?
तुम
अपने सफ़ेद दाढ़ी वाले पिता के पास गए,
पर
उसने तुम्हें अपनी ज़िंदगी देने से मना कर दिया।
तुम
अपनी सफ़ेद बालों वाली माँ के पास गए,
और
उसने भी तुम्हें अपनी ज़िंदगी नहीं दी।
अब
कौन रह गया है जो तुम्हें अपनी ज़िंदगी दे सकता है?”
“मैं एक व्यक्ति से
बहुत प्यार करता हूँ”, डुमरुल ने कहा।
मुझे
उसके पास जाने की इजाज़त दो,”
“कौन है यह व्यक्ति, ओ पगले इन्सान?”, इज़्राईल ने कहा।
“वह मेरी ब्याहता
पत्नी है। वह एक अन्य कबीले के व्यक्ति की बेटी है। और उससे मेरे दो बच्चे भी हैं।
मुझे
उनसे कुछ बातें कहनी हैं।”
उनसे
मिलने के बाद तुम मेरी जान ले सकते हो।
तब
वह अपनी पत्नी के पास गया और बोला:
“क्या तुम्हें पता
है मेरे साथ क्या हुआ है?
लालडैनों
वाला इज़्राईल आसमान से उड़कर आया और मुझ पर चढ़ बैठा। उसने मेरे सफ़ेद सीने को
दबोच लिया।
उसने
मेरी जान ही ले ली थी।
जब
मैंने अपने पिता से उनकी ज़िंदगी माँगी,
तो
उन्होंने मना कर दिया।
तब
मैं अपनी माँ के पास गया, पर उन्होंने भी
अपनी ज़िंदगी मुझे नहीं दी।
उन
दोनों ने कहा कि जिंदगी बहुत मीठी है और उन्हें बहुत प्यारी है।
मेरे
ऊँचे काले पहाड़ों को तुम अपनी चरागाह बना लो।
मेरे
शीतल जल के झरनों को अपना फ़व्वारा बना लो।
मेरे
अस्तबल के सुंदर घोड़ों को ले लो और उनकी सवारी करो।
सोने
की चिमनियों वाला मेरा सुंदर घर तुम्हें आश्रय दे।
ऊँटों
का मेरा कारवाँ तुम्हारा माल ढोए।
मेरी
सफ़ेद भेड़ें तुम्हारी दावतों का भोजन बनें।
जाओ, तुम किसी दूसरे
आदमी से शादी कर लो, जिसे भी तुम्हारी
आँखें और दिल चाहें।
ताकि
हमारे दो बेटे यतीम न हो जाएँ।”
यह
सुनकर उसकी पत्नी ने क्या कहा,
आओ, इसे सुनें: “तुम क्या कह रहे हो?
मेरे
बलिष्ठ मेढ़, मेरे युवा राजा, जिस पर मुझे पहली
नज़र में ही प्यार हो गया था,
और
जिसे मैंने अपना पूरा दिल दे दिया है?
जिसे
मैंने अपने मीठे होंठ चूमने के लिए दिए;
जिसके
साथ मैं एक ही तकिए पर सोई और जिसे मैंने प्यार किया।
जब
तुम्हीं न रहोगे, तब काले पहाड़ों का
मैं क्या करूँगी?
यदि
मैं कभी अपनी भेड़ों को वहाँ ले जाऊँ,
तो
मेरी कब्र भी वहीं बने।
यदि
मैं तुम्हारे सोने के सिक्के खर्च करूँ,
तो
बस इसलिए कि उनसे मेरे कफन का कपड़ा ख़रीदा जाए।
यदि
मैं तुम्हारे सुंदर घोड़ों की सवारी करूँ तो वे मेरी लाश को ढोएँ।
यदि
मैं तुम्हारे बाद किसी से प्यार करूँ,
किसी
दूसरे युवक को, और उससे शादी करूँ, और उससे सहवास करूँ, तो वह साँप बनकर
मुझे डस ले।
जीवन
में इतना क्या रखा है, कि तुम्हारे अभागे
माता-पिता तुम्हें अपनी
ज़िंदगी के बदले उनकी ज़िंदगी न दे सके?
अब
जन्नत, आठ मंजिलों वाली
जन्नत, साक्षी रहे; यह धरती और आसमान
साक्षी रहें, अल्लाह ताला साक्षी
रहें, कि मैं अपनी
ज़िंदगी तुम्हारी ज़िंदगी बचाने के लिए क़ुर्बान करती हूँ।”
यह
कहकर वह डुमरुल के लिए मरने को तैयार हो
गई, और इज़्राईल उस
महिला की जान लेने के लिए आ गया।
पर
मनमौजी डुमरुल नहीं चाहता था कि उसकी पत्नी अपनी जान दे दे।
उसने
अल्लाह ताला से रहम की भीख माँगी।
आओ
सुनें, उसने क्या कहा:
“तुम सबसे ऊँचे हो;
कोई
नहीं जानता तुम कितने ऊँचे हो,
ओ
अल्लाह, अज़ीमख़ुदा!
मूर्ख
तुम्हें आसमान और धरती पर खोजते हैं,
पर
तुम रहते हो, तुम पर विश्वास
करने वालों के दिलों में।
सनातन
और दयावान अल्लाह - यही तुम्हारी पहचान
है!
मुझे
इस इलाके की मुख्य सड़कों के किनारे गरीबों के लिए मकान बनवाने दो।
मुझे
तुम्हारे नाम से भूखे इन्सानों को भोजन कराने दो।
यदि
तुम मेरी ज़िंदगी लेना ही चाहते हो तो हम दोनों की ज़िंदगी
ले लो।
यदि
तुम मेरी ज़िंदगी बख़्शोगे तो हम दोनों की ज़िंदगी बख्श दो, ओ रहम-दिल अल्लाह!”
ख़ुदा
मनमौजी डुमरुल के इन शब्दों से खुश हो गए।
उन्होंने
इज़्राईलको आदेश दिया: “मनमौजी डुमरुल के
माता और पिता की ज़िंदगी ले लो।
इस
नेक दंपति को मैंने 140 सालों की उम्र दी
है जो अब पूरी हो चली है।
इज़्राईल
ने तुरंत जाकर उन दोनों की जान ले ली,
लेकिन
मनमौजी डुमरुल अपनी पत्नी के साथ 140
साल
और जिंदा रहा।
डेडे
कोरकुट आया, और उसने कहानियाँ
सुनाईं और वीरगाथाएँ गाईं।
उसने
कहा: “मेरे बाद वीर
ओजस्वी गवैए आएँगे और मनमौजी डुमरुल की गाथा सबको सुनाएँगे, और ऊँची पेशानी वाले उदार दिल इन्सान उन्हें सुनेंगे।
मैं
प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारे काली चट्टानों वाले पहाड़ सदा ऊँचे खड़े रहें,
कि
तुम्हारे छायादार पेड़ कभी काटे न जाएँ,
कि
तुम्हारे बहते झरने कभी न सूखें।
मैंने
तुम्हारे सफ़ेद माथे के लिए प्रार्थना के पाँच शब्द कहे हैं।
कि
अल्लाह ताला कभी भी तुम्हें बुरे लोगों के क़ब्ज़े में न आने
दें।
मैं
आशा करता हूँ कि अल्लाह यह प्रार्थना क़बूल करेंगे।
मुझे
यह भी उम्मीद है कि वे तुम्हारे गुनाहों को हज़रत मुहम्मद की ख़ातिर और अपनी अज़मत
की ख़ातिर माफ़ कर देंगे।
Hindi
Translator: Balasubramaniam Lakshminarayan,
Email: l.balasubramaniam@gmail.com,
Reviewer:
Piyush Ojha, Email: piyushojha@gmail.com
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