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Jan 15, 2020

कुछ करें अलग

कुछ करें अलग 
- विजय जोशी
(पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)

सभी व्यक्ति अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार कार्य करते हैं। यह सही भी है। अधिकतर जन हर दिन अपनी व्यस्त दिनचर्या के तहत अपने दैनिक कार्यो का संपादन  करते है और उसी में खुश भी रहते हैं।
      लेकिन इसमें पेंच भी हैं दैनिक या रूटीन कार्य आपकी क्षमता या बुद्धि बढ़ा नहीं पाता। सब कुछ एकरसताया स्पष्ट कहें तो नीरसता Monotony) में परिवर्तित हो जाता है।
    व्यक्ति काम के साथ समय की शिलापर अपनी पहचान भी छोड़ना चाहता है। नाम की चाहत इंसान को अनादिकाल से ही रही है और इसमें कुछ गलत भी नहीं। यह तो आत्म संतोष का सबसे सुलभ साधन है; लेकिन फिर इसके लिए आवश्यक है आप अलग से कुछ ऐसा करें, जिससे आपकी एक अलग पहचान बने। इसके थोड़े अधिक प्रयास लग सकते हैं, लेकिन वह परिणाम की तुलना में बेहद कम होंगे।
उदाहरण के लिए याद कीजिए आज़ादी पूर्व पराधीनता के उस काल में शासक की हिंसा का कैसा भयानक दृश्य  था. लोग भयभीत होकर एक गुलामी या स्पष्ट कहें तो नारकीय दौर से गुजर रहे थे।  तब शासक से मुकाबला तो दूर उससे नज़र मिला पाने का साहस भी आम जन में नहीं था, विरोध कर आज़ादी की लड़ाई लड़ पाना तो बहुत दूर की बात थी। लगभग असंभव और कल्पना से परे । हाँ  क्रांतिकारियों ने अवश्य उस दौर में जोखिम उठाकर अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती दी थी, पर देश के प्रति अपने संपूर्ण प्रेम के बावजूद यह मुट्ठी भर जोश से परिपूर्ण कुछ लोगों का एक क्रूर,जालिम एवं निर्दयी सत्त्ता से लोहा लेना लगभग पक्की दिवार से टकराकर खुद को लहूलुहान कर देने जैसा पवित्र दुस्साहस ही था।
और तब आये गाँधी, उन्होनें आकलन कर लिया कि हिंसा का मार्ग शासक को दमन के मार्ग का खुला लाइसेंस दे देगा और आम जन द्वारा अपने प्राणों की आहुति देकर भी हम अपने अंतिम लक्ष्य आज़ादी को प्राप्त नहीं कर पाएँगे। तब उन्होंने अपनाया सर्वथा अलग मार्ग अहिंसा का। कुछ इस तर्ज पर कि
सौ जुल्म किये तुमने, एक आह न की हमने,
वो ज़र्फ तुम्हारा था, ये ज़र्फ हमारा है।
    और अलग तरीके से सोचकर किया गया यही कार्य पूरे संसार के सामने अन्याय के खिलाफ एक प्रामाणिक अस्त्र बनकर उभरा और वह भी बगैर किसी खून खराबे के. यही कारण है कि आज संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमरीका के न्यूयार्क स्थित एयरपोर्ट पर बड़े बड़े अक्षरों में सिर्फ यह संदेश अंकित है कि –What made Gandhi : a Gandhi यानी गाँधी को किसने गांधी बनाया। और तो और वहां के राष्ट्रपति बराक ओबामा तक गांधी के अनन्य अनुयायी हैं।  
      याद रखिए आपकी अलग काम कर पाने की प्रतिभा और पहचान ही समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाती है। इसलिए करें कुछ अलग और विशेष।

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

1 comment:

देवेन्द्र जोशी said...

अलग काम करना अच्छी बात है। लेकिन यदि उसमें संकीर्ण सोच जुड़ जाये तो समाज विज्ञान देश के लिए घातक भी हो सकता है।