वर्ष-12, अंक- 6
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नई किरन
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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
नई भोर की
नई किरन का
स्वागत कर लो!
आँखों में सब
आशाओं का
सागर भर लो!
भूलो, बिसरी बातें
दर्द-भारी अँधियारी रातें
शुभकामना की
देहरी पर
सूरज धर लो!
बैर-भाव मिट जाए
मन से, तन से
इस जीवन से,
जगे प्रेम नित
दु:ख सारी
दुनिया का हर लो!
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