1.कैंची
और सुई
यह कथा महान सूफी संत फ़रीद के बारे में है. एक बार कोई
राजा फ़रीद से मिलने के लिए आया और अपने साथ उपहार में सोने की एक बहुत सुंदर
कैंची लाया जिसमें हीरे जड़े हुए थे. यह कैंची बेशकीमती, अनूठी और नायाब थी. राजा ने संत के पैर छुए
और उन्हें वह कैंची सौंप दी.
फ़रीद ने कैंची को एक नज़र देखा और उसे राजा के हाथ में
देकर बोले, “मेरे लिए उपहार लाने के लिए
मैं आपका शुक्रगुज़ार हूं. यह बहुत सुंदर है लेकिन मेरे लिए यह किसी काम की नहीं
है. अच्छा होगा यदि आप मुझे इसके बदले एक सुई दे दें.”
राजा ने कहा, “मैं समझा नहीं. यदि आपको सुई की ज़रूरत है तो कैंची भी आपके काम आनी
चाहिए.”
फ़रीद ने कहा, “मुझे कैंची नहीं चाहिए क्योंकि कैंची चीजों को काटती है, बांटती है, जबकि सुई चीजों का जोड़ती है. मैं प्रेम
सिखाता हूं. मेरी तालीम की बुनियाद में प्रेम है – प्रेम
लोगों को जोड़ता है, उन्हें बांधे रखता है. यह ऐसी सुई है जो
लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती है. कैंची मेरे लिए बेकार हैः यह काटती है… बांटती है. अगली बार आप जब आएं तो एक मामूली सुई ही लेकर आएं. मेरे लिए
वही बड़ी चीज होगी.”
2.सड़क
के पार
तनज़ेन और एकीदो नामक दो ज़ेन साधक किसी दूर स्थान की यात्रा
कर रहे थे। मार्ग कीचड से भरा हुआ था। जोरों की बारिश भी हो रही थी।
एक स्थान पर उन्होंने सड़क के किनारे एक बहुत सुंदर लडकी को
देखा। लडकी कीचड भरे रस्ते पर सड़क के पार जाने की कोशिश कर रही थी पर उसके लिए यह
बहुत कठिन था।
”आओ मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ।”, तनज़ेन ने कहा और
लडकी को अपनी बाँहों में उठाकर सड़क के दूसरी और पहुँचा दिया।
दोनों साधक फ़िर अपनी यात्रा पर चल दिए। वे रात भर चलते रहे
पर एकीदो ने तनज़ेन से कोई भी बात नहीं की। बहुत समय बीत जाने पर एकीदो ख़ुद को रोक
नहीं पाया और तनज़ेन से बोला – “हम
साधकों को महिलाओं के पास भी जाना तक मना है, बहुत सुंदर और
कम उम्र लड़कियों को तो देखना भी पाप है। तुमने उस लडकी को अपनी बाँहों में उठाते
समय कुछ भी नहीं सोचा क्या?”
तनज़ेन ने कहा – ”मैंने तो लडकी को उठाकर तभी सड़क के पार छोड़ दिया, तुम
उसे अभी तक क्यों उठाये हुए हो?” (हिन्दी ज़ेन से)
No comments:
Post a Comment