लोरी
आजा रे चंदा...
- डॉ. सुधा गुप्ता
आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
निंदिया छाई
रेशम के पंखों पे
बैठ के आई
शहद -भरी लोरी
सुना जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
मुनिया की आँखों में
मीठे सपने
घूम-घूम, झूम
तितली लगी बुनने
जादू -भरी छड़ी
छुआ जा रे चन्दा !
आ जा रे चन्दा !
Labels: डॉ. सुधा गुप्ता, बाल जगत
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